Jitiya Vrat: संतान की लंबी उम्र के लिए बहुत खास है ये व्रत तारीख को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन, जानिए पूजा विधि

Jitiya Vratजितिया पर्व तीन दिनों तक चलता है इस पर्व की शुरुआत सप्तमी तिथि पर नहाय खाय परंपरा से होती है, इसमें स्त्रियां पवित्र नदी में स्नान के बाद पूजा का सात्विक भोग बनाती हैं। दूसरे दिन अष्टमी को निर्जला व्रत रखा जाता है। नवमी तिथि पर इसका पारण किया जाता है।

Update: 2023-10-05 10:08 GMT

Jitiya Vrat : इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्तूबर को रखा जा रहा है। यह व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया, जितिया या ज्युतिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला होता है। महिलाएं अपनी संतान की समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया जीवित्पुत्रिका व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उनकी रक्षा करता है। यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और वेस्ट बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जितिया व्रत के दौरान कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है, क्योंकि इस दौरान हुई गलती से आपका व्रत निष्फल भी हो सकता है। जानते हैं जितिया व्रत के नियम...

जितिया पर्व तीन दिनों तक चलता है इस पर्व की शुरुआत सप्तमी तिथि पर नहाय खाय परंपरा से होती है, इसमें स्त्रियां पवित्र नदी में स्नान के बाद पूजा का सात्विक भोग बनाती हैं। दूसरे दिन अष्टमी को निर्जला व्रत रखा जाता है। नवमी तिथि पर इसका पारण किया जाता है।

नहाय खाय - 5 अक्टूबर 2023

जितिया व्रत - 6 अक्टूबर 2023

व्रत पारण - 7 अक्टूबर 2023

जितिया व्रत पूजा विधि

प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर स्वच्छ करें और छोटा सा तालाब बनाएं।जितिया में शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की पूजा करें।जीमूतवाहन की कुश निर्मित मूर्ति को जल या फिर मिट्टी के पात्र में स्थापित करें और पीले और लाल रुई से उन्हें सजाएं।धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला से उनका पूजन करें।इसके बाद महिलाएं संतान की दीर्घायु और उनकी प्रगति के लिए पूजा करें।पूजा के दौरान जीवित्पुत्रिका की व्रत कथा जरूर सुनें।इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

जितिया व्रत कठिन व्रतों में एक होता है, जिसके नियम पूरे 3 दिनों तक चलते हैं। नहाय खाय से शुरू होकर व्रत फिर पारण के बाद जितिया का व्रत पूरा होता है। इस व्रत में महिलाएं छठ पूजा की तरह ही स्नान आदि और पूजा-पाठ के बाद भोजन करती हैं। इसके बाद दूसरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में नहाय-खाय के दिन भूलकर भी लहसुन-प्याज, मांसाहार या तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।

मान्यता है कि यह व्रत परंपरा की तरह निभाया जाता है। यानी पहले सास इस व्रत को करती है। उसके बाद घर की बहू यह व्रत रखती है। ऐसे में यदि आपने एक बार जितिया का व्रत रखा है, तो इसे हर साल नियम के अनुसार करना चाहिए। इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।जितिया व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है। साथ ही इस दिन मन, वचन और कर्म से भी शुद्ध रहें। इसके अलावा इस दौरान लड़ाई-झगड़े और कलह-क्लेश से दूर रहना चाहिए वरना व्रत का शुभ फल नहीं मिलता है।

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