छ: महायोगों की Janmashtami 2025 : बस कुछ घंटे शेष... ऐसे करें केशव को प्रसन्न, राशी अनुसार लगाएं भोग जीवन को जरूर मिलेगी एक नई दिशा

Janmashtami 2025 : बिना रोहिणी नक्षत्र वाली अष्टमी तिथि यदि हो तो जिस मध्य रात्रि को अष्टमी तिथि हो तो दूसरे दिन रात्रि के समय जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिये| 16 तारीख शनिवार को रात्री 9.34 बजे तक अष्टमी तिथि है लेकिन रोहिणी नक्षत्र मध्य रात्री तक भी नहीं है| लेकिन चूँकि 15 तारीख को मध्य रात्री मे अष्टमी तिथि है अत:16 तारीख की रात्री को ही जन्माष्टमी मनाई जायेगी|

Update: 2025-08-16 12:37 GMT

Janmashtami 2025 : आज जन्माष्टमी है. आज कान्हा को सब अलग-अलग रूप और तरीके से पूजन कर प्रसन्न करेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार इस वर्ष छ: महायोगों की जन्माष्टमी है. बुधादित्य योग और गजलक्ष्मी योग के साथ 100 वर्षों बाद पड़ रहा है अशुभ ज्वालामुखी योग भी है. वैसे तो जन्माष्टमी दो तरह की हो सकती है| विष्णु धर्मोत्तर पुराण , 'निर्णयामृत' और 'तिथितत्व' नामक ग्रंथ कहते है, कि जन्माष्टमी या तो रोहिणी नक्षत्र युक्त या बिना रोहिणी नक्षत्र वाली हो सकती है|

बिना रोहिणी नक्षत्र वाली अष्टमी तिथि यदि हो तो जिस मध्य रात्रि को अष्टमी तिथि हो तो दूसरे दिन रात्रि के समय जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिये| 16 तारीख शनिवार को रात्री 9.34 बजे तक अष्टमी तिथि है लेकिन रोहिणी नक्षत्र मध्य रात्री तक भी नहीं है| लेकिन चूँकि 15 तारीख को मध्य रात्री मे अष्टमी तिथि है अत:16 तारीख की रात्री को ही जन्माष्टमी मनाई जायेगी| 16 तारीख को सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत सिद्धि योग ,वृद्धि योग और ध्रुव योग है अर्थात छ: बन गये है| 16 तारीख कों गोचर मे शुक्र और गुरु की युति के कारण गजलक्ष्मी योग बन रहा है| अष्टमी को कृत्तिका नक्षत्र होने से ज्वालामुखी योग भी बन रहा है जो की अशुभ है लेकिन इसका प्रभाव नहीं होगा |


इस तरह करें पूजन


रात्रि 12 बजे बाल कृष्ण की प्रतिमा को जल, दूध, चन्दन युक्त जल से स्नान करवायें तथा भगवान को वस्त्र और श्रृंगार इत्यादि अर्पित कर के भोग लगायें। सुगन्धित पदार्थों से युक्त आरती करें। रात्रि जागरण कर ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।



भगवान को प्रसन्न कीजिये इस तरह

शनिवार की रात्रि 12 बजे शुक्र प्रधान वृषभ लग्न और बुधादित्य योग और गजलक्ष्मी योग में जन्माष्टमी मनाई जायेगी। शुक्र, धन धान्य और ऐश्वर्य प्रदाता ग्रह है। भगवान श्रीकृष्ण का विधिवत श्रृंगार, पूजन इत्यादि कर के यदि राशी के अनुसार भोग लगाया जाये तो निश्चित ही जीवन को एक नई दिशा मिलेगी।

  • मेष : लड्डू और अनार का भोग लगाएं रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
  • वृषभ : रसगुल्ले का भोग लगाएं तो हर मनोकामना पूर्ण होगी।
  • मिथुन :काजू की मिठाई अर्पित करें। इससे धन लाभ होगा।
  • कर्क : नारियल की बर्फी और नारियल का भोग लगाएं। पारीवारिक सुख बढेगा।
  • सिंह : गुड़ व बेल का फल भोग में चढ़ाएं। व्यवसाय में लाभ होगा।
  • कन्या : तुलसी के पत्ते और हरे फल का भोग लगाएं। आवास के समस्या हल होगी।
  • तुला : कलाकंद और सेब का भोग लगाएं।सभी समस्याओं का समधान होगा।
  • वृश्चिक : गुड़ की मिठाई का भोग लगाएं। लोकप्रियता बढेगी।
  • धनु : कोई बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। सौभाग्य में वृद्धि होगी।
  • मकर : गुलाब जामुन और काले अंगूर का भोग लगाएं। न्याय मिलेगा।सभी समस्याओं से मिलेगी मुक्ति
  • कुंभ : पिसा धनिया और शक्कर तथा चीकू चढ़ाएं। स्थिरता आयेगी।
  • मीन : जलेबी और केले का भोग लगाएं। रुके हुए काम शीघ्र पूरे होंगे।


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