Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर खीरा क्यों काटते हैं? पढ़ें इसका धार्मिक महत्त्व
जन्माष्टमी का त्योहार हर साल बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं..इस दिन को भगवान विष्णु के अठवे अवतार श्री कृष्ण के जन्म के उत्सव के रुप में मनाया जाता हैं.
Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का त्योहार हर साल बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं..इस दिन को भगवान विष्णु के अठवे अवतार श्री कृष्ण के जन्म के उत्सव के रुप में मनाया जाता हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण ने देवकी की कोख से जन्म लिया था.जन्माष्टमी में का उत्सव वृंदावन मथुरा में बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है.इस साल 16 अगस्त 2025 शुक्रवार की रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में कान्हा जी की विधि विधान से पूजा अर्चना होती है.साथ ही लड्डू गोपाल को माखन मिश्री और 56 भोग लगाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी पर खीरा काटने की परंपरा कई सालों से चली आ रही हैं.लेकिन क्या आप जानते है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर खीरे को क्यों काटा जाता हैं.आइए जानते है जन्माष्टमी पर खीरे काटने की परंपरा के पिछे की कहानी.
खीरा काटने का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खीरे का संबंध गर्भाश्य से होता है.. जन्माष्टमी पर माता देवकी के गर्भाशय के प्रतिक के रुप में माना जाता हैं. मतलब ये की खीरा काटना भगवान कृष्ण का प्रतिक हैं.अधी रात को जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म होता है तब खिरे को काटकर उसके बीज निकालकर उसे नाभी छेदन की प्रतीकात्मक क्रिया के रूप में मनाया जाता है.
संतान सुख की होती है प्राप्ति
खीरे के शुद्ध और पवित्र फल है,इसे भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता हैं.कुछ लोग खीरे को गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ मानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जन्माष्टमी पर खीरे को प्रसाद के रुप में ग्रहण करने पर जिसको संतान नहीं हो रही हैं उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है.