Vrindavan Janmashtami 2025: बांके बिहारी मंदिर में कब बजेगी मंगला आरती? तिथि और समय जानें

देशभर में जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती हैं| लेकिन मथुरा और वृंदावन और पूरे ब्रज में जन्माष्टमी की बात ही कुछ और होती है| वृंदावन में जहां कान्हा ने बचपन बिताया, गोपियों के साथ रास रचाया, लीला रची यहां जन्माष्टमी की छटा देखते ही बनती हैं |

Update: 2025-08-11 11:45 GMT

Vrindavan Janmashtami 2025: बांके बिहारी मंदिर में कब बजेगी मंगला आरती? तिथि और समय जानें

देशभर में जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती हैं, लेकिन मथुरा और वृंदावन और पूरे ब्रज में जन्माष्टमी की बात ही कुछ और होती है| वृंदावन में जहां कान्हा ने बचपन बिताया, गोपियों के साथ रास रचाया, लीला रची यहां जन्माष्टमी की छटा देखते ही बनती हैं|  हर साल यहां भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में भारी उत्साह होता हैं| मंदिरों की विशेष सजावट की जाती हैं,और कान्हा जी की विशेष पूजा- अर्चना की जाती हैं

इस साल 2025 में मथुरा और वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी 16 अगस्त यानी शनिवार को धूम-धाम से मनाया जाएगा| वहीं इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु बांके बिहारी के दर्शन के लिए उमड़ेंगे |

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास होता है| इस दिन रात 12 बजे ठाकुर जी की मंगला आरती की जाती हैं| और खास बात ये है ये आरती पूरे साल में सिर्फ एक बार वो भी जन्माष्टमी के शुभ अवसर में होती हैं| इस दौरान कान्हा जी का पूरे विधि-विधान के साथ महाभिषेक किया जाता है, और उसके बाद विशेष पूजा की जाती है, और यही कारण है कि जन्माष्टमी की रात बांके बिहारी मंदिर में होने वाली मंगला आरती पूरे साल की सबसे खास आरती मानी जाती है | इस खास मंगला आरती के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु वृंदावन पहुंचते है|

बांके बिहारी मंदिर में पूरे साल मंगला आरती नहीं होती..साल में एक बार जन्माष्टमी पर ही मंगला आरती होती हैं..इसके पिछे धार्मिक मान्याता और परंपरा जुड़ी हुई है.. कहा जाता है कि स्वामी हरिदास जी की तपस्या से प्रसन्न होकर बांके बिहारी जी का प्राकट्य निधिवन में हुआ था | इसी कारण इस स्थान के बहुत पावन माना जाता है, मान्यता है कि आज भी ज भी भगवान श्रीकृष्ण, राधा रानी और गोपियों के साथ रात्रि में रास रचाते हैं और फिर तृतीय प्रहर में विश्राम करते हैं। इसी कारण से उन्हें प्रातःकाल मंगला आरती के लिए नहीं उठाया जाता |

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