होलिका दहन से पहले क्यों लगाते हैं सरसों का उबटन, जानिए उस दिन और क्या करें मंत्र जाप...

Update: 2023-03-01 11:47 GMT

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Holika Dahan 2023: होली का त्योहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है। उससे एक दिन पहले फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका मनाया जाता है। होलिका दहन के समय ये ध्यान रखा जाता है कि भद्रा नहीं होना चाहिए। होलिका दहन दिन में कभी नहीं करना चाहिए। यदि प्रतिपदा कम होती है, तो भद्रा का मुख छोड़कर भद्रा में भी होलिका दहन किया जा सकता है।

होली रंगों का त्यौहार है। इस दिन सभी लोग रंगों से सराबोर होते हैं। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है। होलिका दहन से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

अगर आप होलिका दहन के दिन कुछ उपायों को प्रयोग करें तो पूरे साल अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि ला सकते है। होलिका दहन और पूजा करने का महत्व पुराणों में भी है और ऐसा माना जाता है कि होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं।

होलिका दहन से पहले आपको और आपके सभी परिवार के सदस्यों को हल्दी का उबटन,सरसो तेल में मिलाकर पूरे बदन पर करना चाहिए। फिर सूखने के बाद उसे एक कागज में शरीर से छुड़ाकर जमा कर लें। फिर आप 5 या 11 गाय के उपले, एक मुट्ठी सरसो के दाने, नारियल का सूखा गोला लें।

फिर नारियल के सूखे गोले में जौ,तिल,सरसो का दाना,शक्कर,चावल और घी भर लें। फिर उसे होलिका की जलती हुई अग्नि में प्रवाहित कर दें। साथ में उबटन के निकाले गए अंश को भी अग्नि में डाल दें। होलिका दहन होने से पहले या फिर बाद में शाम के वक्त घर में उत्तर दिशा में शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है।

होलिका का परिक्रमा करने का भी बहुत महत्व है। ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां, रोग और दोष खत्म हो जाते हैं। इसलिए आप परिक्रमा जरूर करें।

कहा जाता है कि होलिका दहन की रात घर के सभी सदस्यों को सरसों का उबटन बनाकर पूरे शरीर पर मालिश करना चाहिए। इससे जो भी मैल निकले उसे होलिकाग्नि में डाल दें। ऐसा करने से जादू, टोने का असर समाप्त होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।

होलिका दहन के बाद इन मंत्रों का करें जाप

इस मन्त्रों को पढ़कर भस्म को मस्तक, सीने व नाभि में लगायें तथा घर के हर कोने में थोड़ी से छिड़क दें। ऐसा करने से घर में शु़द्ध वातावरण रहेगा एवं सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

मम सकुटुम्बस्य ढुण्ढा राक्षसीप्रीत्यर्थे तत्पीड़ापरिहारार्थम् होलिका पूजनं च अहं करिष्ये।'' इस मन्त्र से संकल्प करें तत्पश्चात ध्यान मन्त्र से ध्यान करें-''असृक्याभयसंत्रस्त्रैः कृत्वा त्वं होलिवालिशैः। तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभव।।'' तत्पश्चात इस ''होलिकायै नमः'' मन्त्र से यथाविधि पूजन करें। दीप मन्त्र-''दीपयाम्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे। हिताय सर्व जगताय पीतये पार्वतीपतेः।।'' इत्यादि मन्त्रों से पूजन कर ''अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।'' से जल अपित करें फिर प्रज्जवलित होलिका की तीन बार परिक्रमा करें। फिर दूसरे दिन होलिकाभस्म धारण मन्त्र-''वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव।।''

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