Ganesh Ji ki Aarti: गणेश जी की इस आरती से मिलता है सुख समृद्धि और ऐश्वर्या का वरदान; देखें सही पूजा विधि, मंत्र और इसके लाभ

Ganesh ji ki aarti in hindi: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की आरती करने से सुख समृद्धि और ऐश्वर्या का वरदान मिलता है, और जीवन में खुशहाली आती है। गणेश जी को लम्बोदर, विघ्नहर्ता, गणपति, बप्पा और भी कई नामों से जान जाता है।

Update: 2025-10-02 09:57 GMT

Ganesh Ji ki Aarti

Ganesh Ji ki Aarti: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की आरती करने से सुख समृद्धि और ऐश्वर्या का वरदान मिलता है, और जीवन में खुशहाली आती है। गणेश जी को लम्बोदर, विघ्नहर्ता, गणपति, बप्पा और भी कई नामों से जाना जाता है।

उनकी आरती करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है। भगवान गणेश की आरती गाने से न सिर्फ घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, बल्कि भगवान की कृपा बनी रहती है। आरती के दौरान शंख, घंटी, ताली, और वाद्य यंत्रों का प्रयोग होता है जिससे पूजा का वातावरण और भी शुभ होता है। गणेशजी के पसंदीदा फूल, दूर्वा घास, सिंदूर, चंदन, मोदक, लड्डू, नारियल और सुपारी पूजा में चढ़ाई जाती हैं।

पूजा की सामग्री और विधि

पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति या चित्र, चौकी, लाल कपड़ा, गंगाजल, जल, सुपारी, सिक्का, आम के पत्ते, नारियल, अक्षत, दीपक, धूपबत्ती, ताज़े फूल, दूर्वा की गांठें, सिंदूर, चंदन, मौली, जनेऊ, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, मोदक या लड्डू और मौसमी फल जरूरी होते हैं। ये सभी सामग्री पूजा से पहले अच्छी तरह से तैयार करनी चाहिए।

पूजा करने से पहले शुद्ध वस्त्र पहनकर स्थान की सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उनकी मूर्ति को स्नान कराएं, फिर वस्त्र अर्पित करें। सिंदूर और चंदन से तिलक करें, फूल, दूर्वा और अक्षत चढ़ाएं, मिठाई और फल अर्पित करें, फिर आरती करें और अंत में परिक्रमा करें।

आरती के फायदे

गणेश जी की आरती करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, बुद्धि बढ़ती है और सभी कार्य बिना विघ्न के पूरे होते हैं। बुधवार को गणेश पूजा करने का विशेष महत्व है, इससे साधक को शुभ फल मिलते हैं। गणेश जी को पूजा से दाम्पत्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है। गणेश जी की पूजा और आरती से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। भगवान गणेश के भक्तों को उनका आशीर्वाद हमेशा मिलता रहे।

गणेश जी की आरती

पहली आरती:- जय देव, जय देव, जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती, दर्शनमात्रे मन कामनापूर्तिी। रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा, चंदनाची उटी कुंकुम केशरा, हीरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा, रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया। लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना, सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना, दास रामाचा वाट पाहे सदना, संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना। घालीन लोटांगण, वंदिन चरण, डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे, प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन, भावें ओवाळिन म्हणे नामा। त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्व मम देवदेव। कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा, बुद्धात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्, करोमि यद्यत् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि।

दूसरी आरती:- सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची, नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची, सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची, कंठी झलके माल मुकताफळांची। जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव। रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा, चंदनाची उटी कुमकुम केशरा, हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा, रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया। जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव। लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना, सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना, दास रामाचा वाट पाहे सदना, संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना। जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति, दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव। शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को, दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को, हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को, महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को। जय जय जय जय जय, जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता, जय देव जय देव।

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