Gandheshwar Mahadev, Sirpur, Chhattisgarh: यहां शिव लिंग के स्पर्श से आती है मनभावन गंध

Update: 2023-07-05 13:42 GMT

Gandheshwar Mahadev, Sirpur, Chhattisgarh : रायपुर I कहते हैं कि भगवान को पाना है तो विशुद्ध प्रेम से उनका दिल जीतो। फिर वे खुद चलकर तुम्हारे पास आएंगे। बिल्कुल ऐसा ही हुआ था सिरपुर के शासक बाणासुर के साथ। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। अपने भक्त के असीम प्रेम को पहचान कर शिव जी स्वयं सिरपुर ही चले आए और वह भी इस रूप में कि वैसे दूसरे शिवलिंग के दर्शन आपको और कहीं नहीं होंगें क्योंकि सिरपुर के इस शिवलिंग से अद्भुत गंध निकला करती है। हम बात कर रहे हैं दुर्लभ 'गंधेश्वर महादेव' मंदिर के बारे में,जहां सावन मास में भक्तों का मेला लगता है। यह मंदिर राजधानी रायपुर से करीब 85 किमी की दूरी पर है।

छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा कहलाने वाली महानदी के सुंदर और पावन तट पर स्थापित हैं गंधेश्वर महादेव। आपको बता दें कि सिरपुर को छत्तीसगढ़ का 'बाबा धाम' भी कहते हैं।सावन माह और महाशिवरात्रि के दौरान गंधेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के एक स्पर्श के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है। वहीं दूर- दूर से यहां शिव जी को जल अर्पित करने के लिए आए कांवड़ियों की पंक्तियां देखते ही बनती हैं, जिनके कारण पूरा माहौल शिवमय हो जाता है। गंधेश्वर महादेव की ख्याति भक्तों को यहां खींच कर लाती है।

गंधेश्वर महादेव की कथा ये है...

गंधेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी जो कथा सुनाते हैं उसके अनुसार सिरपुर में 8वीं शताब्दी में बाणासुर का शासन था। बाणासुर शिव जी के अनन्य भक्त थे।

अपने कर्तव्यों के निर्वहन के बीच जैसे ही वे अवसर पाते, काशी ज़रूर जाते। यही नहीं, वापसी में अपने साथ एक शिवलिंग ज़रूर लाते। हर यात्रा के बाद साथ लाए शिवलिंग को वे सिरपुर में स्थापित करते।

कथानुसार जब शिव जी ने भक्त बाणासुर का यह शुद्ध प्रेम देखा तो वे एक दिन स्वयं उनके समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने बाणासुर से कहा कि तुम हमेशा पूजा करने काशी आते हो, अब मैं सिरपुर ही प्रकट हो रहा हूं। इस पर बाणासुर ने कहा कि ' हे प्रभू, मैं सिरपुर में काफी संख्या में शिवलिंग स्थापित कर चुका हूं। अब ऐसे में मैं अल्पज्ञानी कैसे पहचानूंगा कि आप किस शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं।' इस पर भगवान शिव ने कहा कि अवश्य ही विभिन्न शिवलिंग सिरपुर में हैं लेकिन जिस शिवलिंग से गंध का अहसास हो, उसे ही स्थापित कर पूजा करो। बाणासुर ने प्रभू के कहे मुताबिक जांच की तो पाया कि एक शिवलिंग के स्पर्श से हाथों में अद्भुत गंध समा रही है। यही नहीं यह सुगंध दूर- दूर तक फैल रही है। बाणासुर ने पूर्ण सम्मान के साथ यह दुर्लभ शिवलिंग महानदी के तट के करीब एक मंदिर में स्थापित करवाया, जिसे गंधेश्वर महादेव के नाम से जाना गया।

गंधेश्वर महादेव के शिवलिंग से पवित्र तुलसी जैसी सुगंध निकला करती है। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने चंदन जैसी गंध भी महसूस की है। पहले यह सुगंध आसपास के पूरे माहौल में महसूस की जा सकती थी। काल और प्राकृतिक क्षरण के बाद इसमें थोड़ी कमी अवश्य आई है लेकिन अब भी स्पर्श करने पर हाथों से सुगंध आती है, ऐसा भक्तगण कहते हैं।

सावन में जलाभिषेक का है खास महत्व

गंधेश्वर महादेव में भक्तों की आस्था के दर्शन तो सिरपुर में प्रवेश के साथ ही हो जाते हैं, सावन मास में यहां का नज़ारा कुछ और ही होता है। दरअसल वर्षा के आगमन पर जब प्रकृति ऊपर से जल बरसाती है तो कहते हैं उस दौरान शिव जी को जल अर्पित कर आप प्रकृति से एकाकार हो जाते हैं इसलिए सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने का इतना महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गंधेश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित कर सच्चे हृदय से जो भी कामना की जाए, वह ज़रूर फलीभूत होती है।

यदि आप भी गंधेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको बता दें कि सिरपुर राजधानी रायपुर से सड़क मार्ग से 85 किमी और महासमुंद जिले से 40 किमी की दूरी पर है। जहां बस, कार या कैब से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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