Rakshabandhan Special : यहाँ भाई से पहले "माई" को बांधी जाती है कच्चे सूत की राखी... आइये जानें 800 साल से कैसे निभाई जा रही परंपरा

First Rakhi is tied to Danteshwari Devi : मंदिर के सेवादार इस राखी को मंदिर परिसर में ही बनाते हैं. इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद बाकायदा दंतेश्वरी माता की कलाई में विशेष तौर पर तैयार कच्चे सूत की राखी बांधी जाती है.

Update: 2024-07-30 07:49 GMT

 First Rakhi is tied to Danteshwari Devi  :  छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में मौजूद प्रसिद्ध दंतेश्वरी मंदिर में हर साल रक्षाबंधन का त्योहार खास अंदाज में मनाया जाता है. इस मंदिर में राखी का त्योहार मनाने के बाद ही पूरे दंतेवाड़ा जिले में रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा 800 सालों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि दंतेश्वरी देवी (माई) को कच्चे सूत की राखी बांधने के बाद ही जिले की सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं.

मंदिर के सेवादार इस राखी को मंदिर परिसर में ही बनाते हैं. इसे बनाने में 4 से 5 दिन का समय लगता है. इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद  दंतेश्वरी माता की कलाई में विशेष तौर पर तैयार कच्चे सूत की राखी बांधी जाती है और मंदिर परिसर में मौजूद अन्य देवी देवताओं के प्रतिमा में राखी बांधने के बाद ही जिले में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है. दंतेवाड़ा के कतियारास गांव के मादरी परिवार के सदस्य माता के सेवादार हैं. यह परिवार पिछले कई पीढ़ियों से रक्षाबंधन पर्व के समय माता के लिए कच्चे सूत से राखी बनाने का काम करता आ रहा है.


इसके लिए सेवादार रक्षाबंधन पर्व के करीब पांच दिन पहले ही मंदिर परिसर में रहकर कच्चे सूत से राखी बनाते हैं. इसके बाद पूरे विधि- विधान के साथ दंतेश्वरी मंदिर परिसर में ही मौजूद शंकनी-डंकनी नदी के जल से सूत की राखी को धोया जाता है. फिर बांस की बनी टोकनी में राखी रखकर उसमें लाल रंग चढ़ाया जाता है. इसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के पुजारी इसे मां दंतेश्वरी देवी के प्रतिमा में अर्पित करते हैं. उसके बाद परिसर में ही मौजूद अन्य देवी देवताओं के मंदिरों में भी सूत की राखी चढ़ाई जाती है.



क्या है 800 साल पुरानी परंपरा? :


मां दंतेश्वरी के धाम में रक्षाबंधन त्योहार के एक दिन पहले ही राखी तिहार मनाया जाता रहा है. जिसकी तैयारी के लिए मां दंतेश्वरी मंदिर समिति द्वारा एक सप्ताह पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है. यह परंपरा 600 सालों से मादरी परिवार के साथ भंडारी, तुरपा, यादव जाति के लोग निभाते आ रहे हैं.


दंतेश्वरी धाम में कैसे मनाया जाता है रक्षाबंधन ? 



रक्षाबंधन के 2 दिन पहले रेशम के कच्चे धागे को गूथा जाता है. फिर अलग-अलग गांठ बनाकर इन भागों को मां दंतेश्वरी सरोवर तालाब में सरोवर के पानी से धोया जाता है. यहां रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना किया जाता है. दो अलग-अलग टोकरों में रेशम के कच्चे धागों को रखा जाता है और ऊपर से लाल कपड़ा ढंककर विधि विधान से वापस मां दंतेश्वरी मंदिर में लाया जाता है. जिसे प्रधान पुजारी द्वारा पूजा अर्चना कर मां दंतेश्वरी माता के गर्भ गृह में रात भर रखा जाता है.


देव गणों और भैरव को बांधा जाता है रक्षा सूत्र

मां दंतेश्वरी माता के गर्भ गृह में रात भर रखे गए रक्षासूत्र की पूजा की जाती है. पूजा अर्चना कर रक्षा सूत्र तैयार किया जाता है. जिसे सबसे पहले मां दंतेश्वरी के चरणों में अर्पित किया जाता है. इसके बाद मंदिर के सभी देव गणों और भैरव को रक्षा सूत्र बांधा जाता है. देवी देवता को रक्षा सूत्र बांधने के बाद भक्तों को रक्षा सूत्र बांटा जाता है. इस तरह दंतेश्वरी के धाम में रक्षाबंधन त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

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