Dhanvantari Mandir Raipur : रायपुर में यहाँ सिर्फ धनतेरस ही नहीं बल्कि रोज होती है धन्वंतरि भगवान की पूजा

Dhanvantari Mandir Raipur : 2014 में आयुर्वेद कालेज में प्रतिमा स्थापित की गई, ताकि हर कोई आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि को सम्मान दे।

Update: 2025-10-15 11:08 GMT

Dhanvantari Mandir Raipur  : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक ऐसी जगह है जहाँ पर रोज धन्वंतरि देवता की पूजा होती है. यहाँ धन्वंतरि जी की 6 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा हैं, जिसमें भगवान की चार भुजाओं को दिखाया गया है। इसमें एक भुजा में अमृत कलश, दूसरे में आयुर्वेद ग्रंथ, तीसरे में शंख और चौथी भुजा में गिलोय है।


हम बात कर रहे हैं रायपुर शहर के शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज की। जहाँ कई साल पहले यहां कांसे से बनी भगवान की 6 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना की गई थी। तब से लेकर आज तक हर रोज कॉलेज में भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है।


चतुर्भुजी प्रतिमा में ये खास




 पद्मश्री नेलसन द्वारा बनाई गई 6 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा में भगवान की चार भुजाओं को दिखाया गया है। इसमें एक भुजा में अमृत कलश, दूसरे में आयुर्वेद ग्रंथ, तीसरे में शंख और चौथी भुजा में गिलोय है।

 2014 में आयुर्वेद कालेज में प्रतिमा स्थापित की गई 

कॉलेज के  प्रोफेसरों के अनुसार हजारों साल पुरानी आयुर्वेद पद्धति का जनक भगवान धन्वंतरि को माना जाता है। छत्तीसगढ़ में पहले कहीं भी भगवान धनवंतरि की प्रतिमा नहीं थी। 2014 में आयुर्वेद कालेज में प्रतिमा स्थापित की गई, ताकि हर कोई आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि को सम्मान दे।


कौन है भगवान धन्वंतरि


धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि जी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से तेरहवें रत्न थे। मान्यता है इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान धन्वंतरि का जन्म कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि धन्वंतरी जी समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर निकले थे इसी कारण इस दिन कलश या कोई भी बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। 

धन्वंतरि जी को आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना जाता है। पुराणों में इन्हें भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना गया है।

बता दें इस साल धनतेरस पूजा का मुहूर्त 18 अक्टूबर 2025 की शाम 07:16 से रात 08:20 बजे तक रहेगा।

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