Jyotirlinga Darshan 7 (Bhimashankar Jyotirlinga) : इस ज्योतिर्लिंग की कथा जुड़ी है कुंभकरण के बेटे से, जानिए इनकी महिमा और रहस्य
Bhimashankar Jyotirlinga : इस ज्योतिर्लिंग का आकार बहुत बड़ा और मोटा है। इस वजह से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
Bhimashankar Jyotirlinga : सम्पूर्ण भारत में 12 ज्योतिर्लिंग में से छठा ज्योतिर्लिंग है भीमाशंकर. जो महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा रोचक और भक्तिपूर्ण है। इस कथा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने का सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, हालांकि, अगर आपको मानसून की हरियाली और धुंध में प्रकृति का अनुभव करना है तो जून से सितंबर के बीच भी जा सकते हैं,
पौराणिक कथा के अनुसार रावण का भाई कुंभकर्ण और उसकी पत्नी कर्कटी का एक पुत्र था भीमा जो कुम्भकर्ण की मृत्यु के तुरंत बाद ही पैदा हुआ था। भीमा को जब पता चला कि भगवान् राम ने उसके पिता का वध किया था, तो अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए, भीमा ने कठोर तपस्या शुरू की और वरदान स्वरूप उसने भगवान ब्रह्मा से अपार शक्तियां प्राप्त की। ब्रह्मा के वरदान से वह अजेय हो गया और देवताओं को कष्ट देने लगा। भीमा ने अपनी शक्ति के अहंकार में आकर पृथ्वी पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। उसने कई ऋषियों और साधु-संतों को परेशान किया। उसके भय से देवता भगवान शिव की शरण में गए और उनसे प्रार्थना की कि वे इस संकट को समाप्त करें।
भीमा ने एक समय एक स्थान पर बहुत उत्पात मचाया, जहां भक्त शिव की उपासना कर रहे थे। उसने उन्हें शिव जी की पूजा करने से मना किया और स्वयं को पूज्य घोषित कर दिया। भक्तों ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया। इस पर क्रोधित होकर भीमा ने उन सबका नाश करने की ठानी। भगवान शिव ने जब भक्तों की पुकार सुनी, तो वो वहां प्रकट हुए। शिव और भीमा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। यह युद्ध कई दिनों तक चला। अंततः भगवान शिव ने भीमा का वध किया। इस घटना के बाद, वहां शिव जी ने ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया। यह स्थान भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे, महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है। इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। इस ज्योतिर्लिंग को तीर्थयात्रियों और भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की शक्ति और उनके भक्तों के प्रति उनकी करुणा का प्रतीक है।
मोटेश्वर महादेव भी है इनका नाम
इस मंदिर के पास भीमा नदी बहती है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में यहां भगवान शिव (Lord Shiva) और त्रिपुरासुर राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। इस दौरान यहां इतनी गरमी उत्पन्न हुई, जिससे भीमा नदी सूख गई। कहते हैं कि भगवान शिव के पसीने से इस नदी में फिर से पानी आया था। इस ज्योतिर्लिंग का आकार बहुत बड़ा और मोटा है। इस वजह से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव (Moteshwar Mahadev) भी कहा जाता है।
ज्योतिर्लिंग के पास भीमाशंकर गुफा है, जो पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। यह जगह वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र भी है और यहां विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों की रक्षा की जाती है। यहां जाने के लिए आपको पुणे शहर तक पहुंचना होगा। यह देश के सभी बड़े शहरों से हवाई, सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
पुणे से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुंचने के लिए आप बस, टैक्सी या फिर निजी वाहन से जा सकते हैं। पुणे से सुबह 5:30 शाम 4 बजे तक नियमित तौर पर भीमाशंकर के लिए बस सुविधा मिलती है।
भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर का छठा स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत (Bhimashankar Temple Distance) पर स्थित है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है, जिसके कारण इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
शिवजी के पसीने से निकली है नदी
बता दें कि भीमाशंकर मंदिर के पास ही एक नदी बहती है, जिसको लेकर मान्यता है कि जब यहां भीमा असुर और भगवान शिव के बीच युद्ध चल रहा था तब भगवान शिव के शरीर से पसीने की कुछ बूंदें निकलीं। इसी पसीने से भीमा नदी का निर्माण हुआ। भीमा नदी यहीं से बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है।
आसपास हैं 108 तीर्थ स्नान
वैसे भीमाशंकर के बारे में बता दें कि इसके आसपास 108 तीर्थ स्थान हैं। इनमें प्रमुख तीर्थ स्थान सर्वतीर्थ, ज्ञानतीर्थ, मोक्ष तीर्थ, पापमोचन तीर्थ, क्रीड़ा तीर्थ, भीमा उद्गम तीर्थ, भाषा तीर्थ, आदि हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत में इस मंदिर की महिमा के बारे में वर्णित है…
यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च । सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि ॥
अर्थः जो डाकिनी और शाकिनी वृन्द में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं, उन भक्तहितकारी भगवान भीमाशंकर को मैं प्रणाम करता हूं।
कमलजा मंदिर
भीमाशंकर मंदिर के पास ही कमलजा मंदिर भी है जो कि भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध मंदिर माना गया है। कमलजा माता को माता पार्वती का अवतार ही माना जाता है। यहीं भीमाशंकर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमान झील एक शानदार जगह है, जहां आप शांति से दिन बिता सकते हैं।
पार्वती हिल्स
यहीं पास में पार्वती हिल्स है, जहां की छटा बेहद मनोरम है। इसके साथ ही यहां मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित तालाब मंदिर के पीछे की ओर स्थित है। ऋषि कौशिक ने अपने गुरु का पिंडदान इसी पवित्र स्थल पर किया था।
ऐसा माना जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे मोक्ष कुंड तीर्थ कहते हैं। भीमाशंकर मंदिर के दक्षिण की ओर स्थित सर्वतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध यह तालाब सीधे भगवान के मंदिर से जुड़ा हुआ है और यहीं से भीमा नदी निकलती है और बहती है।
गुप्त भीम मार्ग
वहीं गुप्त भीम मार्ग पर स्थित गणपति मंदिर है। मान्यता है कि श्री भीमाशंकर के दर्शन के बाद इन भगवान गणेश के दर्शन भी करने चाहिए। इस गणपति के दर्शन के बाद ही भीमाशंकर यात्रा पूरी मानी जाती है। यह मंदिर भीमाशंकर से लगभग 1.30 किलोमीटर दूर स्थित है।