Bhaum Pradosh Vrat Katha: कल रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, यहां जान लें इसकी पावन कथा और मुहूर्त

Bhaum Pradosh Vrat Katha: 8 जुलाई 2025 मंगलवार को भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखा जाएगा। सनातन परंपरा में भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का अपना अलग ही महत्व है। भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) करके आप न सिर्फ भगवान शिव को प्रसन्न कर पाएंगे, बल्कि यह दिन अपने जीवन के संकट को दूर करने का शुभ अवसर भी है। जी हां जो व्यक्ति श्रद्धा भाव और नियम से भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखता है, उसे आर्थिक समृद्धि, कर्जे से मुक्ति और शांती की प्राप्ति होती है।

Update: 2025-07-07 09:46 GMT

Bhaum Pradosh Vrat Katha: 8 जुलाई 2025 मंगलवार को भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखा जाएगा। सनातन परंपरा में भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का अपना अलग ही महत्व है। भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) करके आप न सिर्फ भगवान शिव को प्रसन्न कर पाएंगे, बल्कि यह दिन अपने जीवन के संकट को दूर करने का शुभ अवसर भी है। जी हां जो व्यक्ति श्रद्धा भाव और नियम से भौम प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखता है, उसे आर्थिक समृद्धि, कर्जे से मुक्ति और शांती की प्राप्ति होती है। 

भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित व्रत

मंगलवार 8 जुलाई 2025 को आषाढ़ मास का अंतिम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से आर्थिक समृद्धि, कर्जे से मुक्ति और शांती की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं प्रदोष काल मुहूर्त, भौम प्रदोष व्रत का महत्व, पौराणिक कथा , पूजा विधि और उपाय।

प्रदोष काल मुहूर्त:

हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के लिए पूजा मुहूर्त रात 7 बजकर 23 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व:

बताया जाता है कि भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) का नाता मंगलवार और भगवान शिव से है। दरअसल, मंगल ग्रह को ऊर्जा, कर्ज और क्रोध का कारक माना ताजा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) रखने से न सिर्फ मानशिक शांती मिलती है , बल्कि स्वास्थ्य सुधार, कर्ज से मुक्ति और शत्रु का नाश होता है।

भौम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा:

पौराणिक कथा की माने तो एक बार चंद्र देव को क्षर रोग हुआ था, उन्होंने भगवान शिव की प्रदोष काल में अराधना की। शिवजी की कृपा से वे रोग मुक्त हो गए। एक अन्य कथा के मुताबिक, कर्ज से परेशान एक निर्धन ब्राह्मण ने आत्महत्या की कोशिश की, उसे भगवान शिव ने प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) के प्रभाव से नया जीवन और समृद्धि प्रदान की।

पूजा विधि:

अगर आप भी व्रत रखने जा रही है तो सबसे पहले प्रातः उठकर स्नान करें और व्रत के लिए संकल्प लें। 

प्रातः से स्नान करके दिन भर व्रत रखें।

संध्या काल में यानी कि प्रदोश काल में स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहने।

इसके बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग में बेलपत्रस दूध, जल, धतूरा, आक गंगाजल अर्पित करें। 

धूप-दीपक जलाकर और फल-प्रसाद चढ़ाकर 'ॐ नमः शिवाय' के मंत्र का जाप करें।

आखिर में आप भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारे।

व्रत के अगले दिन सुबह पारण करें।

विशेष उपाय:

भौम प्रदोष व्रत के दिन मंगल दोष के निवारण के लिए  आप हनुमान जी और मंगल ग्रह के बीज मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

इसके साथ ही आप रुद्राभिषेक करा सकते हैं या फिर सामूहिक शिव चालिसा का पाठ भी कर सकते हैं।

अगर आप भी कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।

अस्वीकरण- यह लेख धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी आस्था और परंपराओं के अनुसार साझा की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी व्रत, पूजा या कर्मकांड को अपनाने से पहले योग्य ब्राह्मण या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। एनपीजी न्यूज किसी भी धार्मिक सलाह की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है।

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