भाई दूज पर भाई को मरने का श्राप!... छत्तीसगढ़ के इस जिले की अजब परंपरा, आइए जानते हैं...

Update: 2022-10-27 08:48 GMT

NPG डेस्क I भाई दूज पर हर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है और उसकी लंबी आयु की कामना करती है। यही होता है न! लेकिन छत्तीसगढ़ के जशपुर के एक समुदाय की परंपरा कुछ अलग ही है। यहाँ बहनें सुबह उठते ही अपने भाई को मरने का श्राप देतीं हैं। हैरान हो गए न आप कि आखिर ऐसा कौन करता है। पर यही सच है। लेकिन इसके पीछे इन लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से भाई को लंबी आयु मिलती है। आइए जानते हैं इस अविश्वसनीय सी लगने वाली परंपरा के बारे में...

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण के कारण यह त्यौहार कहीं 26 तो कहीं 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में प्रायः हर जगह यह पर्व 27 तारीख को मनाया जा रहा है। शेष जगहों पर जहां बहनें भाई को दुलार करते नहीं थकेंगी, माथे पर टीका, मुंह में मिठाई धरेंगी और उसकी लंबी आयु की कामना करेंगी वहीं जशपुर के एक समुदाय की बहनें भाई को मरने का श्राप देती हैं। हालांकि ऐसा करने के लिए बाद में वे खुद को सज़ा भी देती हैं।

*पहले देंगी मरने का श्राप और बाद में करेंगी प्रायश्चित

इस परंपरा के अनुसार, भाई दूज पर बहनें सुबह उठते ही भाई को खूब खरी-खोटी सुनाती हैं और इससे भी जब मन नहीं भरता तो वे भाई को मरने का श्राप भी देती हैं।

इस दौरान लड़कियां यम लोक के प्राणियों की प्रतिमूर्ति बनाती हैं और उसको कूटती हैं। मान्यता है कि भाई दूज के दिन इस परंपरा का पालन करने से यमराज का भय नहीं रहता है।

और भी अजब बात है कि बाद में बहनें अपने इस कृत्य का अनोखे तरीके से प्रायश्चित भी करती हैं। इसके लिए वे अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं। ये एक परंपरा का हिस्सा है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई की उम्र बढ़ती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

*क्या है इस परंपरा के पीछे कथा?

कथा के अनुसार एक बार यम और यमनी संसार में ऐसे व्यक्ति के खोज में विचरण (घूम) कर रहे थे, जिसकी बहन ने उन्हें कभी श्रापित और अपशब्द नहीं कहा हो। ऐसे भाई को वो अपने साथ यमलोक ले जाना चाहते थे। विचरण के दौरान उन्हें एक ऐसा व्यक्ति भी मिला, लेकिन जब इसकी जानकारी उसके बहन को हुई तो उसने अपने भाई की रक्षा के लिए उसे श्राप दिया और अपशब्द भी कहे तब यमराज और यमनी का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। वे उसके भाई के प्राण नहीं हर सके।बस तभी से यह परम्परा चली आ रही है।

इस कथा को मानते हुए बहनें आज के दिन पहले ही अपने भाइयों को दुर्वचन बोल देती हैं जिससे उनके प्राणों पर कभी संकट न आए।

आपको बता दें कि यह अजीबोगरीब परंपरा छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी चलन में है।

और बहनें बड़े उत्साह से इसका पालन करती हैं।

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