Bhadrapada Purnima 2025: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन रखें उमा महेश्वर व्रत, जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मनोकामना होगी पूरी
Bhadrapada Purnima 2025 : व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति दिलाने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. साथ ही इस दिन (Bhadrapada Purnima Vrat Katha) भाद्रपद पूर्णिमा व्रत कथा सुनना बेहद जरूरी होता है.
Bhadrapada Purnima 2025 : व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति दिलाने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. साथ ही इस दिन (Bhadrapada Purnima Vrat Katha) भाद्रपद पूर्णिमा व्रत कथा सुनना बेहद जरूरी होता है.
उमा महेश्वर व्रत का महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा महेश्वर व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट और समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं. साथ ही, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है और वह अपने पापों से मुक्त होता है. इस व्रत को रखने से विशेष रूप से पारिवारिक संबंधों में सुधार और आर्थिक समृद्धि आती है. साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में हर प्रकार के दुखों का नाश होता है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है.
उमा महेश्वर व्रत कथा (Bhadrapada Purnima Vrat Katha)
उमा महेश्वर व्रत की कथा का उल्लेख नारद पुराण और मत्स्य पुराण में किया गया है. इस कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा जी ने भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा की. वहां भगवान शिव और माता पार्वती से मिलने के बाद, भगवान शिव ने उन्हें एक पुष्प भेंट दिया. यह पुष्प ऋषि दुर्वासा ने प्रेमपूर्वक स्वीकार किया.
कैलाश से वापसी के समय, ऋषि दुर्वासा जी का मन भगवान विष्णु से मिलने के लिए हुआ, तो उन्होंने विष्णु लोक का रुख किया. रास्ते में उन्हें इंद्र देव मिले. इंद्र देव ने भगवान शिव के दिए हुए पुष्प को अपने हाथी ऐरावत को पहना दिया, जो कि दुर्वासा जी को बहुत गुस्से में ला दिया. उन्होंने इंद्र देव को शाप दे दिया और कहा, "तुमने शिव भगवान का अपमान किया है, तुम्हारे लोक से माता लक्ष्मी चली जाएंगी और तुम्हें सिंहासन से भी हाथ धोना पड़ेगा."
इंद्र देव इस शाप से घबराए और उन्होंने ऋषि दुर्वासा से क्षमा याचना की. उन्होंने पूछा, ऋषि जी, इस शाप से मुझे कैसे मुक्ति मिलेगी?" तब ऋषि दुर्वासा ने उन्हें बताया कि उन्हें उमा महेश्वर व्रत करना होगा, तभी वह भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से अपने खोए हुए सिंहासन और लक्ष्मी को पुनः प्राप्त कर सकते हैं.
इंद्र देव ने विधिपूर्वक उमा महेश्वर व्रत किया और भगवान शिव तथा माता पार्वती की कृपा से उन्होंने इंद्रलोक और सिंहासन प्राप्त किया. इस कथा से यह सिद्ध होता है कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे पारिवारिक सुख, धन और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है.