Bhadrapada Purnima 2025: इस दिन है भाद्रपद पूर्णिमा, जानें तिथी, मुहूर्त पूजा की विधि और महत्व
Bhadrapada Purnima 2025: भाद्रपद पूर्णिमा 2025 एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण दिन है, जो विभिन्न धार्मिक कार्यों और पूजा के माध्यम से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने का अवसर प्रदान करता है. इस दिन के विशेष संयोग और मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए, व्रत, पूजा, दान और अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं.
Bhadrapada Purnima 2025: भाद्रपद माह की(Bhadrapada Purnima 2025) पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व मानी जाती है. यह तिथि विशेष रूप से भगवान सत्यनारायण की पूजा, चंद्र देव की अर्घ्य पूजा और पुण्य के लिए जाती है. इस दिन को विशेष रूप से सुख-समृद्धि, समर्पण और आत्मिक शांति के लिए पूजा अर्चना करने के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं भाद्रपद माह पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) की तिथी, मुहूर्त पूजा की विधि और महत्व.
भाद्रपद माह पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त (Bhadrapada Purnima Tithi Or Muhurt)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) तिथि 6 सितंबर, रात 1:42 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर, रात 11:39 बजे तक रहेगी. यह तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की समाप्ति होती है. इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान और व्रत रखने का महत्व है.
वहीं, इस दिन(Bhadrapada Purnima 2025) ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:31 बजे से 5:16 बजे तक है, जो किसी भी धार्मिक कार्य के लिए सर्वोत्तम समय होता है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:54 बजे से 12:44 बजे तक रहेगा, जो एक अत्यंत शुभ समय है. रात को निशिता मुहूर्त रात 11:56 बजे से 8 सितंबर की मध्य रात्रि 12:42 बजे तक रहेगा, जो महत्वपूर्ण कामों को संपन्न करने के लिए उपयुक्त होता है.
सुकर्मा योग और शतभिषा नक्षत्र
इस बार भाद्रपद पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है. यह योग प्रात: 9:23 बजे तक रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इसके बाद धृति योग शुरू होगा, जो भी कार्य में स्थिरता और सफलता दिलाने वाला है.
इस दिन शतभिषा नक्षत्र प्रात: से लेकर रात 9:41 बजे तक रहेगा, इसके बाद पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र प्रभावी रहेगा. शतभिषा नक्षत्र विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है, जबकि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र से व्यक्ति के जीवन में आय और समृद्धि में वृद्धि होती है.
भद्रा काल और पंचक का प्रभाव
इस दिन के दौरान भद्रा काल सुबह 6:02 बजे से लेकर दोपहर 12:43 बजे तक रहेगा. भद्रा काल को शुभ कार्यों के लिए मना किया जाता है क्योंकि इसे नकारात्मक ऊर्जा का समय माना जाता है. इस अवधि में कोई भी महत्वपूर्ण काम शुरू करने से बचना चाहिए. साथ ही पूरे दिन पंचक का योग रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है. पंचक के दौरान तंत्र-मंत्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कोई भी नया काम या शुद्धिकरण कार्य न करना चाहिए.
चंद्रोदय और अर्घ्य देने का समय
7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 6:26 बजे होगा. इस समय व्रती चंद्र देव को कच्चा दूध और जल अर्पित करके अर्घ्य देते हैं. चंद्र देव को अर्घ्य देने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. यह पूजा विशेष रूप से दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए की जाती है और इसे रात के समय किया जाता है.
भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि (Bhadrapada Purnima Pooja Vidhi)
भाद्रपद पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें. इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति या चित्र रखें. फिर भगवान का तिलक करें और दीपक जलाएं. पूजा में धूप, चंदन, रक्षासूत्र और रोली अर्पित करें. पूजा के दौरान पूर्णिमा व्रत कथा पढ़ें और अंत में भगवान को भोग अर्पित करें. पूजा के बाद, चंद्र देव को दूध अर्पित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और व्रत का पारण करें.
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व (Bhadrapada Purnima Ka Mahatv)
भाद्रपद पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) के दिन उमा-महेश्वर व्रत का महत्व भी है, विशेष रूप से महिलाएं इस दिन इस व्रत को करती हैं. इस व्रत से संतान सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसके अलावा, सत्यनारायण पूजा का आयोजन भी इस दिन विशेष रूप से किया जाता है. सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और उसके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
दान और पुण्य का महत्व
इस दिन दान का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा(Bhadrapada Purnima 2025) के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का वास होता है. खासकर ब्राह्मणों को इस दिन भोजन, वस्त्र या अन्य सामग्री दान करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है.