औघड़ बाबा संभव राम ने बच्चों को किया पुरस्कृत, बोले...विद्या प्राप्ति के साथ ही राष्ट्रीयता की भावना और नैतिकता का विकास कर बनें सक्षम

औघड़ बाबा संभव राम ने बच्चों को किया पुरस्कृत, बोले...विद्या प्राप्ति के साथ ही राष्ट्रीयता की भावना और नैतिकता का विकास कर बनें सक्षम

Update: 2023-01-28 16:05 GMT

वाराणसी। वाराणसी के पड़ाव में स्थित सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के प्रांगण में संस्था द्वारा संचालित अवधूत भगवान राम नर्सरी विद्यालय के बच्चों को संस्था के अध्यक्ष पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी की उपस्थिति एवं सान्निध्य में दौड़, निबंध और कला प्रतियोगिता में बालक-बालिकाओं को अपने-अपने वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने के लिए मोमेंटो व पुरस्कार प्रदान करके प्रोत्साहित किया गया।


विद्यालय के समक्ष आयोजित पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश सिंह की अध्यक्षता में हुआ। जिसके मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के अवकाश प्राप्त अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ० वी०पी० सिंह थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ पूज्य बाबा संभव राम द्वारा परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। कुमारी काशिका ने बाबा संभव राम जी और कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि को माल्यार्पण कर स्वागत किया। इसके बाद विद्यालय की कक्षा 5 के छात्र प्रदीप पटेल और पवन पटेल ने गुरु-वंदना गाया तथा वीर सैनी ने भजन प्रस्तुत करके एक प्रेरणादायी कथा सुनाई। तत्पश्चात् बाबा संभव रामजी ने दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त कक्षा-5 के बालक-बालिकाओं को मोमेंटो (प्रतीक चिह्न) देकर प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार क्रमशः कक्षा-4 से लेकर नर्सरी-अ तक के बालक-बालिकाओं द्वारा अपने-अपने वर्ग में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थानप्राप्त प्रतिभागियों को सुरेश सिंह, डॉ० वी०पी० सिंह, विद्यालय प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष एस०के०बी० सिंह, डॉ० अरविन्द तथा राजीव कुमार ने मोमेंटो दिया। इसी क्रम में कक्षा-3 से लेकर कक्षा-5 तक के बच्चों के बीच आयोजित निबंध प्रतियोगिता के प्रथम स्थान प्राप्त बालक-बालिकाओं को विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य व अघोर शोध संस्थान के निदेशक अशोक कुमार ने पुरस्कार स्वरूप पठन-पाठन सामग्री देकर प्रोत्साहित किया।

बच्चों और उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बाबा संभव रामजी ने कहा कि शारीरिक और मानसिक दक्षता के लिए आप लोगों को यह पुरस्कार दिए गए। आप प्रकृति की गोद से आये हैं इसलिए आपमें और अधिक पुरस्कार लेने की क्षमताएँ हैं। आपके अभिभावकों ने आपको प्रशिक्षित किया और उन्होंने भी उस चीज को प्राप्त किया है। बालक-बालिकाओं को प्रोत्साहन देकर हर कार्य के लिए तैयार रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यही हमारे देश के भविष्य हैं। अभिभावक अपने बच्चों को देखकर प्रसन्न होते हैं कि हमारे होनहार बालक-बालिकायें इतने प्रयत्नशील हैं। इनसे प्रेरणा पाकर और भी बालक-बालिकाएँ अपने-आपको भविष्य के लिए तैयार करेंगे। सभी बालक-बालिकाओं में राष्ट्रीयता की भावनाओं को दिया जाय, प्रोत्साहित किया जाय, उनमें पिरोया जाय, ताकि एक वृहद् सोच के साथ वह आगे बढ़ें। यहाँ जो व्यावहारिक शिक्षा हमलोग देते हैं उसके साथ इन लोगों को यह भी बताया जाय कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए, चोरी नहीं करना चाहिए, बड़ों का आदर-सम्मान करना चाहिए। इन सभी चीजों को इन लोगों को बार-बार याद कराएँगे, बताएँगे तो ये देश के एक आदर्श नागरिक बनेंगे। हमारा विद्यालय भी पांचवीं कक्षा तक ही है। कुछ सरकारी नियमों के चलते, कुछ और भी समस्याओं के चलते हमलोग चाहते हुए भी उसको आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। बल्कि अब तो उसको हमें और समेत लेना पड़ रहा है। जहाँ-जहाँ हमारी शाखाओं में विद्यालय चल रहे हैं वहाँ भी हमें समेटकर पांचवीं तक ही लाना पड़ रहा है। यह भी एक बड़ा दुखद पहलू है। हम जानते हैं कि यहाँ के बालक-बालिकाएँ यहीं पर आगे की भी पढ़ाई करना चाहते हैं। लेकिन विवशता है, मजबूरियाँ हैं जिसके चलते हमलोग नहीं कर पा रहे हैं। आप सभी से मैं प्रार्थना करूँगा कि आपलोग खेलकूद और अपनी विद्या प्राप्त करने के साथ अपने-आपको सक्षम बनायेंगे, आगे बढ़ेंगे। यह अपने-आप ही हमलोगों को करना होगा, किसी और के भरोसे नहीं रहेंगे। इतना ही कहकर आपलोगों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

इससे पहले कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरेश सिंह और मुख्य अतिथि ने बच्चों को उत्साहित करते हुए कहा कि आप इस प्रांगण में ऐसे वातावरण में अध्ययनरत हैं कि आपलोग आगे चलकर देश के सम्मानित पदों को सुशोभित करेंगे और अपने कार्यों से देह के प्रतिष्ठित सम्मानों से अवश्य ही सम्मनित होंगे। प्रधानाचार्य रमेश जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम का सञ्चालन शिक्षक विजयप्रताप ने किया।

औघड़ बाबा संभव राम ने बच्चों को किया पुरस्कृत, बोले...विद्या प्राप्ति के साथ ही राष्ट्रीयता की भावना और नैतिकता का विकास कर बनें सक्षम

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