Ashta Siddhi: महानवमी पर जानिए अनेक तरह की सिद्धियों के नाम और उनका अर्थ, 9 निधियां कौन-कौन सी हैं, ये भी जान लें

आज नवरात्रि की महानवमी है। आज मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वैसे तो अलग-अलग पुराणों में सिद्धियों की संख्या अलग-अलग बताई गई है, लेकिन मार्कंडेय पुराण में 8 सिद्धियों का जिक्र है, जो हनुमान जी के पास भी हैं। हम आपको बताएंगे सिद्धियों के नाम और उनके अर्थ..

Update: 2024-10-11 06:42 GMT

रायपुर, एनपीजी डेस्क। आज नवरात्रि की महानवमी है। आज मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वैसे तो अलग-अलग पुराणों में सिद्धियों की संख्या अलग-अलग बताई गई है, लेकिन मार्कंडेय पुराण में 8 सिद्धियों का जिक्र है, जो हनुमान जी के पास भी हैं। हम आपको बताएंगे सिद्धियों के नाम और उनके अर्थ..

मार्कंडेय पुराण में 8 सिद्धियों का जिक्र

मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं। सिद्धियां प्राप्त करने के बाद संसार में कोई भी चीज माता के भक्त के लिए असंभव नहीं रह जाता। उसके पास किसी भी चीज को पाने का सामर्थ्य आ जाता है। जहां मार्कंडेय पुराण में 8 सिद्धियां अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व बताई गई है।

ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीकृष्ण जन्मखंड में सिद्धियों की संख्या 18 

वहीं ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीकृष्ण जन्मखंड में ये संख्या 18 बताई गई है, जो इस प्रकार हैं- अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकाया प्रवेशन, वाक् सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व. सर्वन्यायकत्व, भावना, सिद्धि।

अष्ट सिद्धियों का अर्थ

अणिमा- इसका अर्थ है अपने शरीर को सूक्ष्म बना लेने की शक्ति। इस सिद्धि के आने से कोई भी अपने शरीर को अणु बराबर सूक्ष्म यानि छोटा बना सकता है, जो किसी को भी सामान्य आंखों से नजर नहीं आए।

महिमा- वहीं महिमा में शरीर को कितना भी विशाल बनाया जा सकता है।

गरिमा- इस सिद्धि को पा लेने पर अपने शरीर का भार कितना भी किया जा सकता है। शरीर का आकार उतना ही रहता है, लेकिन भार असीमित तरीके से बढ़ाया जा सकता है, जिससे कोई भी हिला नहीं सके।

लघिमा- ये गरिमा के विपरीत है। इसमें शरीर का भार असीमित तरीके से कम कर लिया जाता है। लगभग खत्म हो जाता है शरीर का भार। लघिमा सिद्धि पा लेने पर शरीर इतना हल्का हो जाता है कि वायु की गति से भी उड़ा जा सकता है।

प्राप्ति- इस सिद्धि को पा लेने पर व्यक्ति कहीं भी आ-जा सकता है और अदृश्य भी हुआ जा सकता है।

प्राकाम्य- इस सिद्धि को पा लेने पर किसी के भी मन की बात को पढ़ा जा सकता है।

ईशित्व- इस सिद्धि के जरिए ईश्वर के समान पद पाया जा सकता है। जिसके पास ईशित्व सिद्धि होती है, संसार उसकी पूजा करता है।

वशित्व- इस सिद्धि के जरिए आप किसी को भी अपना दास बना सकते हैं। जिसके पास ये सिद्धि होती है, वो किसी को भी अपने वश में कर सकता है।

इसके अलावा भी कुछ सिद्धियां होती हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए

  • वाक् सिद्धि- इस सिद्धि के रहने से बोली हुई हर बात सच होती है। ऐसे व्यक्ति में शाप और वरदान दोनों देने की क्षमता होती है।
  • दूरश्रवण सिद्धि- अतीत में घटी किसी भी घटना या बातचीत को दोबारा सुन सकते हैं।
  • देवक्रियानुदर्शन सिद्धि- देवताओं का भी साहचर्य मिलता है।
  • कायाकल्प सिद्धि- शरीर हमेशा रोगमुक्त और युवा बना रहता है।
  • दिव्य दृष्टि सिद्धि- इसमें जिसके भी बारे में सोचा जाए, उसका भूत, वर्तमान और भविष्य सब जान सकते हैं। आप भूत, भविष्य और वर्तमान सब देख सकते हैं।
  • प्रज्ञा सिद्धि- ज्ञान, स्मरण शक्ति और बुद्धि।
  • जलगमन सिद्धि- पानी पर भी धरती के समान चला जा सकता है।
  • वायुगमन सिद्धि- एक लोक से दूसरे लोक या एक जगह से दूसरी जगह पर जाया जा सकता है।
  • विषोका सिद्धि- खुद का कई रूप बना लेना।
  • सम्मोहन सिद्धि- सभी को वशीभूत कर लेना। व्यक्ति, पशु-पक्षी सभी को अपने अनुकूल बना लेना।

9 निधियों के भी बारे में जानें

  • पद्म निधि- इससे चरित्र में सात्विकता आती है। ऐसा व्यक्ति बहुत दानी होता है और सोने-चांदी का भी खूब दान करता है।
  • महापद्म निधि- इस निधि में धार्मिक भावनाएं प्रबल होती है। व्यक्ति इसमें भी दानी होता है। उसके अंदर दान करने की क्षमता आती है।
  • नील निधि- नील निधि भी सात्विकता लाता है। इस निधि के रहने से व्यक्ति धनवान होता है।
  • मुकुंद निधि- इससे रजोगुणों का विकास होता है।
  • नंद निधि- जिसके पास नंद निधि हो उसमें राजस और तामस गुणों की अधिकता होती है।
  • मकर निधि- जिसके पास मकर निधि होती है, उसके पास विशाल शस्त्रों का संग्रह होता है।
  • कच्छप निधि- इस निधि के रहने से व्यक्ति संपत्ति का सुखपूर्वक भोग करता है।
  • शंख निधि- यह निधि एक पीढ़ी के लिए होती है। इस निधि के होने से व्यक्ति अतुलनीय संपत्ति का मालिक होता है।
  • खर्व निधि- ये निधि विरोधियों और शत्रुओं पर विजय देती है।

सूर्यदेव से मिली थीं हनुमान जी को अष्ट सिद्धि

हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धि और 9 निधियां हैं, जो उन्हें अपने गुरू सूर्यदेव से मिली थीं।

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