Raipur Purkhouti Muktangan: पुरखौती मुक्तांगन, सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी परंपराओं को संरक्षित करने का एक अनूठा प्रयास
Raipur Purkhouti Muktangan: पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan), नवा रायपुर में स्थित, छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी परंपराओं को संरक्षित करने का एक अनूठा प्रयास है। इसका नाम ही इसके उद्देश्य को स्पष्ट करता है, “पुरखौती” का अर्थ है पूर्वजों को समर्पित और “मुक्तांगन” का अर्थ है खुला आंगन। यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि राज्य के विभिन्न ग्रामीण जीवन, लोक कला, नृत्य, और परंपराओं का व्यापक परिचय भी देता है।
Raipur Purkhouti Muktangan: पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan), नवा रायपुर में स्थित, छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी परंपराओं को संरक्षित करने का एक अनूठा प्रयास है। इसका नाम ही इसके उद्देश्य को स्पष्ट करता है, “पुरखौती” का अर्थ है पूर्वजों को समर्पित और “मुक्तांगन” का अर्थ है खुला आंगन। यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि राज्य के विभिन्न ग्रामीण जीवन, लोक कला, नृत्य, और परंपराओं का व्यापक परिचय भी देता है।
पुरखौती मुक्तांगन का निर्माण
यह स्थल लगभग 24.2 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे 7 नवंबर 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा उद्घाटित किया गया था। संग्रहालय का निर्माण इस दृष्टि से किया गया कि आने वाले समय में लोग छत्तीसगढ़ की जीवनशैली, कला, और सामाजिक संरचना को समझ सकें। यहाँ आने वाले पर्यटक आदिवासी जीवन की झलक, पारंपरिक रीतियों, खानपान, वेशभूषा और कला के विविध रूपों का अनुभव कर सकते हैं।
पुरखौती मुक्तांगन में आकर्षण के केंद्र
पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan) में कई प्रमुख आकर्षण हैं। सबसे पहले, यहाँ आदिवासी जीवन की मूर्तियाँ प्रमुख रूप से स्थापित की गई हैं, जो उनकी दैनिक गतिविधियों जैसे खेती, शिकार, और पारंपरिक कार्यों को प्रदर्शित करती हैं। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ी लोक नृत्यों जैसे पंथी, सुआ, राउत, नाचा और गेड़ी की मूर्तियाँ यहाँ दर्शकों को न केवल देखने के लिए मिलती हैं, बल्कि उनके पीछे की सांस्कृतिक कहानी को भी समझने का अवसर प्रदान करती हैं।
संग्रहालय में प्राकृतिक और ऐतिहासिक संरचनाओं की प्रतिकृतियाँ भी मौजूद हैं, जिनमें भोरमदेव मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, चित्रकोट जलप्रपात, और बस्तर दशहरा के रथ शामिल हैं। ये संरचनाएँ न केवल सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि पर्यटकों को छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत से भी परिचित कराती हैं। आदिवासी आभूषण, लकड़ी की कला और दीवारों पर उकेरी गई पारंपरिक कलाकृतियाँ इस संग्रहालय को और भी आकर्षक बनाती हैं।
संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा और उनके योगदान को दर्शाने वाला संग्रहालय भी स्थित है। यह स्थल छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी के साहस और त्याग को सम्मान देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इससे न केवल पर्यटकों को इतिहास की जानकारी मिलती है, बल्कि उन्हें अपने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव का अनुभव भी होता है।
पर्यटकों के लिए जानकारी
पर्यटकों के लिए पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan) में सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। प्रवेश शुल्क 20 से 30 रुपए, बच्चों और वयस्कों के लिए अलग-अलग है, और कैमरा या विशेष शूटिंग के लिए निर्धारित शुल्क भी लिया जाता है। यह स्थल सप्ताह में छह दिन खुला रहता है। सोमवार को पुरखौती मुक्तांगन बंद रहता है. पुरखौती मुक्तांगन रायपुर रेलवे स्टेशन से महज 27km और स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट माना से 14km की दूरी पर स्थित है। सार्वजनिक परिवहन तथा प्राइवेट टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
पुरखौती मुक्तांगन खुलने का समय (Purkhouti Muktangan Opening Time)
बात करें पुरखौती मुक्तांगन के खुलने के समय के बारे में तो पुरखौती मुक्तांगन सुबह लगभग 8:30 बजे से शाम 6 बजे तक खुला होता है, इस समय में जाकर आप अपने फैमिली या दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं. कभी-कभी कुछ विशेष परिस्थितियों में समय में बदलाव हो सकता है.
2025 की स्थिति: भव्य कलाग्राम का निर्माण
आने वाले समय में इस स्थल के सामने लगभग दस एकड़ भूमि पर एक भव्य कलाग्राम का निर्माण किया जाएगा, जो छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को और भी समृद्ध करेगा। यह विकास पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan) को केवल एक संग्रहालय नहीं, बल्कि पूरे राज्य की सांस्कृतिक पहचान का केंद्र बनाने का प्रयास है।
संक्षेप में, पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan) एक ऐसा स्थल है जहाँ छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नजदीक से देखा और अनुभव किया जा सकता है। यहाँ की आदिवासी जीवनशैली, लोक कला, नृत्य और ऐतिहासिक संरचनाएँ पर्यटकों को राज्य की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत अनुभव प्रदान करती हैं। यह स्थल न केवल शिक्षा और पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने का एक अनमोल प्रयास भी है।