Pani ka asali rang Kya hota Hai: ये होता है पानी का असली रंग, जिसे आपने कभी नहीं देखा होगा, जानिए पानी के रंगीन होने का वैज्ञानिक सच!

Pani ka asali rang Kya hota Hai: क्या आपको पता है पानी का असली रंग क्या होता है? बचपन से ही हमें स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि पानी रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होता है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है, चलिए जानते है पानी का कलर...

Update: 2025-12-28 06:49 GMT

Pani ka asali rang Kya hota Hai: क्या आपको पता है पानी का असली रंग क्या होता है? बचपन से ही हमें स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि पानी रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होता है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है, क्योंकि पानी रंगहीन होती ही नहीं है उसका भी एक विशेष रंग होता है जो भले ही आपको दिखाई नहीं देता। आपने घर में पानी पीते हुए भी यह नोटिस किया होगा कि पानी तो रंगहीन होता है लेकिन आज हम आपको ठोस वैज्ञानिक सबूतो के साथ बताएंगे कि पानी रंगहीन नहीं होता है? बल्कि उसका भी एक विशेष रंग है और आपने कई बार यह भी देखा होगा कि समुद्र का पानी तो नीला होता है तो घर का पानी रंगहीन कैसे? चलिए जानते है पानी का कलर...

पानी का असली रंग क्या होता है?

इसे समझने के लिए आपको सूर्य के रोशनी और पानी के साइंस को समझना होगा। सूर्य से आने वाली रोशनी आमतौर पर सफेद होती है या कहे तो यह सात रंगों का मिश्रण होता है जिसे हम इंद्रधनुष या स्पेक्ट्रम भी कहते हैं। जब सूर्य की रोशनी पानी (H₂O) पर पड़ती है तो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच बांड में कंपन होने लगता है और इसी कंपन के वजह से अधिक तरंग दैर्ध्य(wavelength) वाले रंग जैसे लाल, पीला, हरा जैसे रंगो का अवशोषण हो जाता हैं। जिसके वजह से नीला रंग ही सामने आता है और यही नीला रंग हमें दिखाई भी देता है।

अब कई लोगों के मन में यह भी सवाल होगा कि बैंगनी और जामुनी का तरंग दैर्ध्य तो नीला से भी कम होता है, ऐसे में समुद्र के पानी का रंग तो बैंगनी या जामुनी होना चाहिए। इसका भी उत्तर आपको विज्ञान से ही मिलेगा। जब सूर्य की किरणें पानी पर पड़ती है तो इसके सफेद दिनों में जो सात रंगों की फ्रीक्वेंसी होती है वह अलग-अलग होती है। बैंगनी और जामुनी रंग, नीले रंग की अपेक्षा काफी कम मात्रा में आते हैं। इनकी कम मात्रा के वजह से ही नीला रंग इन्हें अपने अंदर ही समा लेता है और हमे नीला रंग दिखता है।

पानी का नीला रंग दिखने के पीछे हमारी आंखों का भी बहुत बडा रोल होता है। हमारी जो आंखें होती है वह सभी रंगों को समान रुप से नहीं देख पाती। मनुष्य के आंखों में तीन प्रकार के रंग-ग्राही (Color Receptors) होते है– लाल, हरा और नीला। यह तीन रंग हमारी आंखों के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं, जिन्हें हम आसानी से देख पाते हैं। अब पानी के द्वारा तो लाल और हरे रंग को पहले ही अवशोषित कर लिया गया है और जब पानी से रोशनी परावर्तित होकर हमारी आंखों में आती है तो बचा नीला रंग ही हमें दिखाई देता है। समुद्र का नीला रंग दिखने का प्राथमिक कारण रेले प्रकीर्णन है और कुछ हद तक इसमें सी वी रमन प्रभाव का भी मदद लिया जाता है।

गिलास में रखा पानी साफ क्यों दिखता है! नीला क्यों नहीं।

यह सवाल भी अब कई लोगों के मन में आएगा कि जब पानी का रंग नीला होता है तो घर के गिलास में रखे हुए पानी का रंग साफ यानी रंगहीन क्यों है? देखिए जब समुद्र के पानी का नीला रंग होने की बात की जाती है तो यहां पर इसका गहराई भी काफी मायने रखता है। गहराई जैसे-जैसे बढ़ती है समुद्र भी वैसे ही रंगों को अवशोषित करते जाता है। लगभग 40 मीटर से अधिक नीचे केवल नीला रंग ही जा पाता है और सिर्फ वही रंग ही वापस आता है।

गिलास में पानी की बहुत कम मात्रा और गहराई होती है। ऐसे में पानी के अणुओं को प्रकाश के अवशोषण और फैलाने का उचित समय नहीं मिल पाता और पानी बहुत ही कम नीला प्रकाश परावर्तित करती है, जिसे हमारी आँखें देख नहीं पाती और हम पानी को रंगहीन कह देते है। आपने कई ऐसी नदियां देखी होंगी जिनमें ऊंचाई कम होती है और रेत पानी के आर पार दिखाई देता है। यही कारण है कि ऊंचाई कम होने की वजह से नीला प्रकाश कम परावर्तित होता है और पानी बिल्कुल साफ और पारदर्शी नजर आती है।

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