Nobel Prize Winners 2025: भारत में अब तक इन्हें मिला है नोबेल प्राइज...2025 में इनके नाम आया ये खिताब, जानिए नोबेल प्राइज का पूरा इतिहास
Nobel Prize Winners of India: नोबेल प्राइज एक प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कार है। इस पुरस्कार को पाने वाले व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिए रहते हैं। आइए जानते हैं नोबेल प्राइज का इतिहास..
Nobel Prize Winners of India: नोबेल प्राइज एक प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कार है। इस पुरस्कार को पाने वाले व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिए रहते हैं। नोबेल पुरस्कार की स्थापना स्वीडिश रसायनशास्त्री अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर सन् 1901 में हुई थी। अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट का आविष्कार किया था और अपार धन अर्जित किया था। अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन लोगों को पुरस्कृत करने के लिए छोड़ दिया जो मानवता की भलाई के लिए काम करते है।
प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह नकद पुरस्कार लगभग ग्यारह मिलियन स्वीडिश क्रोनर रहता है जो एक मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, भारतीय रुपए में लगभग 10 करोड़ से भी अधिक। यदि यह पुरस्कार जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों को सामूहिक तौर पर दिए जाते हैं तो नगद पुरस्कार का भी बंटवारा कर दिया जाता है। नोबेल पुरस्कार 6 क्षेत्रों में दिया जाता है – भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र।
भारतीय नागरिकों के नोबेल पुरस्कार
भारत में अब तक पांच महान व्यक्तियों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
रवीन्द्रनाथ टैगोर
सबसे पहले नाम आता है रवीन्द्रनाथ टैगोर का जिन्होंने वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में यह गौरव हासिल किया। रवींद्रनाथ टैगोर केवल पहले भारतीय ही नहीं थे बल्कि वे पहले गैर यूरोपीय और पहले एशियाई व्यक्ति बने जिन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
सर चंद्रशेखर वेंकट रमन
सन् 1930 में सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में भारत को यह गौरव दिलाया। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर अपने क्रांतिकारी शोध से विज्ञान की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ा। उनकी खोज को आज भी रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
मदर टेरेसा
1979 में मदर टेरेसा को शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। हालांकि वे अल्बेनिया में जन्मी थीं, लेकिन भारतीय नागरिकता ग्रहण करने के बाद उन्होंने गरीबों और असहायों की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
अमर्त्य सेन
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारत को वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन ने नोबेल पुरस्कार दिलाया। उन्होंने अर्थशास्त्र में अपने योगदान से पूरी दुनिया को प्रभावित किया।
कैलाश सत्यार्थी
नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में कैलाश सत्यार्थी का भी नाम सामने आता है, जिन्हें 2014 में शांति के क्षेत्र में सम्मानित किया गया। बाल श्रम के खिलाफ उनके अथक प्रयासों और बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष ने उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलाया।
भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों का योगदान
भारतीय मूल के चार ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने विदेशी नागरिकता लेने के बाद भी अपनी प्रतिभा से भारत का नाम रोशन किया।
हर गोबिंद खुराना
हर गोबिंद खुराना का नाम इस सूची में सबसे पहले आता है। वर्ष 1968 में उन्हें चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिक के रूप में यह पुरस्कार मिला। दिलचस्प बात यह है कि उनका जन्म पंजाब में हुआ था जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर एक और महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1983 में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिक के रूप में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उनका जन्म भी लाहौर में हुआ था। खगोल भौतिकी में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।
वेंकटरमन रामकृष्णन
इन्हें भी 2009 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। वे तमिलनाडु के चिदंबरम में जन्मे थे और बाद में यूनाइटेड किंगडम तथा अमेरिका की नागरिकता प्राप्त की।
अभिजीत बनर्जी
अभिजीत बनर्जी को 2019 में अमेरिकी नागरिक के रूप में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। इनका जन्म मुंबई में हुआ था। उनके शोध ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता
वर्ष 2025 में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा 6 अक्टूबर से 13 अक्टूबर के बीच की गई। इस वर्ष के विजेताओं ने विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में अपने असाधारण योगदान से पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है।
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में
चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार घोषित हुआ तो तीन वैज्ञानिकों के नाम सामने आए जिनमें मैरी ई. ब्रंको, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन सकागुची का था। इन तीनों को रेगुलेटरी टी सेल्स की खोज के लिए यह सम्मान दिया गया। रेगुलेटरी टी सेल्स वे कोशिकाएं हैं जो इस प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करती हैं।
भौतिकी के क्षेत्र में
भौतिकी के क्षेत्र में भी तीन महान व्यक्तियों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया जिनमें जॉन क्लार्क, मिशेल एच. देवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस है। इन्हें इलेक्ट्रिकल सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और एनर्जी क्वांटाइजेशन की खोज के लिए सम्मानित किया गया।
रसायन विज्ञान के क्षेत्र में
रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तीन रसायन शास्त्रियों को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया जिनमें सुसुमु किटागावा, रिचर्ड रॉब्सन और ओमार एम. यागी शामिल है। इन तीनों ने मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क यानी एमओएफ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह एक तरह का स्पंज जैसा पदार्थ है जिसमें बहुत सूक्ष्म छिद्र होते हैं।
साहित्य के क्षेत्र में
इस वर्ष यह प्रतिष्ठित पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोरकाई को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान उनकी प्रभावशाली और दूरदर्शी कृतियों के लिए दिया गया। वे एक हंगेरियन उपन्यासकार और पटकथा लेखक हैं जो अपनी कठिन और जटिल लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं।
शांति के क्षेत्र में
यह सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को प्रदान किया गया। उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ लड़ने के लिए यह पुरस्कार दिया गया।
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में
इस वर्ष यह सम्मान तीन अर्थशास्त्रियों को प्रदान किया गया जिनमें जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर हॉविट शामिल है। इन्हें आर्थिक विकास की व्याख्या करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया।