Nanak Sagar Gaon Mahasamund: छत्तीसगढ़ का पिंक विलेज, यहां रुके थे गुरु नानक देव जी, जानिए नानक सागर गांव का इतिहास
Nanak Sagar Gaon Mahasamund: यदि आपने कहीं ’गुलाबी शहर’ शब्द सुना तो आपके मन में सबसे पहले नाम आता है राजस्थान के जयपुर का। परंतु आज हम राजस्थान नहीं छत्तीसगढ़ के गुलाबी गांव के बारे में बात करने वाले हैं। सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े एक पवित्र स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
Nanak Sagar Gaon Mahasamund: यदि आपने कहीं ’गुलाबी शहर’ शब्द सुना तो आपके मन में सबसे पहले नाम आता है राजस्थान के जयपुर का। परंतु आज हम राजस्थान नहीं छत्तीसगढ़ के गुलाबी गांव के बारे में बात करने वाले हैं। यहां के महासमुंद जिले में एक ऐसा गांव है जो अपनी अनोखी पहचान और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे देश में चर्चित है। इस गांव का नाम है नानक सागर, जिसे लोग "गुलाबी गांव" या "पिंक विलेज" के नाम से भी जानते हैं। यह गांव सिर्फ अपने रंग-बिरंगे घरों के लिए ही नहीं, बल्कि सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े एक पवित्र स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
यहां हुआ गुरु नानक देव जी का आगमन
नानक सागर की कहानी 519 साल पुरानी है। सन् 1506 में सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान अमरकंटक से जगन्नाथपुरी जा रहे थे। इस यात्रा में वे महासमुंद जिले के बसना क्षेत्र में स्थित गढ़फुलझर गांव में दो दिन रुके थे। इस समय इस क्षेत्र में भैना वंश के राजाओं का शासन था।
गुरु नानक देव जी के साथ बंजारा समुदाय के लोग भी इस यात्रा में शामिल थे। जब उन्होंने इस गांव में विश्राम किया तो उस समय इस गांव का नाम रानी सागर था। लेकिन गुरु नानक देव जी के पवित्र आगमन के बाद स्थानीय राजा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गांव का नाम बदलकर नानक सागर रख दिया। जिस स्थान पर गुरु जी ने विश्राम किया था उस जगह को आज नानक डेरा के नाम से जाना जाता है। बसना के राजा ने सम्मान के रूप में गुरु नानक देव जी को लगभग पांच एकड़ जमीन दान में दी थी। आश्चर्य की बात यह है कि यह जमीन आज भी सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में गुरु नानक देव जी के नाम पर दर्ज है। इसका मतलब साफ है कि गुरु नानक देव जी इस गांव में जरूर पधारे थे।
गुलाबी गांव के पीछे की कहानी
नानक सागर को गुलाबी गांव कहने के पीछे एक दिलचस्प इतिहास है। घरों को गुलाबी रंग में रंगने के पीछे का कारण था स्वच्छता अभियान और खुले में शौच मुक्त भारत। यहां के सरपंच और पंचों ने मिलकर एक नया और अनोखा विचार सभा में प्रस्तुत किया कि जिन घरों में शौचालय की सुविधा होगी उन्हें गुलाबी रंग में रंगा जाएगा। गुलाबी रंग में रंगने का स्पष्ट मतलब है कि वह घर स्वच्छता के प्रति कितना जागरुक है। एक-एक करके यहां सभी घर में शौचालय बनते गए और घरों को गुलाबी रंग में रंगना शुरू कर दिया गया जिससे यह गांव काफी अनोखा और खूबसूरत नजर आता है। स्वच्छ गांव के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार समेत कई अन्य पुरस्कार भी नानक सागर को मिल चुके हैं।
यह गांव काफी आदर्श माना जाता है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं की यहां कभी चुनाव नहीं होते, लोग अपने पदाधिकारीयों को सर्वसम्मति से निर्विरोध चुनते हैं। यहां न तो किसी प्रकार का क्राइम होता है, न ही कोई पुलिस केस दर्ज है। जो भी समस्याएं होती हैं उसे सभी लोगों के सामने नानक चबूतरे पर सुलझा लिया जाता है। जब से यह गांव प्रसिद्ध हुआ है तब से सिख समुदाय के लोगों का यहां आवागमन काफी बढ़ गया है। गढ़फुलझर नामक गांव से सटा हुआ नानक सागर गांव महासमुंद जिले के बसना तहसील में स्थित है और महासमुंद के जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 150 किलोमीटर है।