Manohar Gaushala Khairagarh: छत्तीसगढ़ की कामधेनु गाय, इनके नाम है कई वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए इस गौशाला के बारे में
Manohar Gaushala Khairagarh: छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में स्थित मनोहर गौशाला आज चर्चा का विषय बना हुआ है। गौशाला परिसर में तैयार की गई एक विशाल रंगोली ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बनाई और यह मनोहर गौशाला का लगातार छठवां विश्व रिकॉर्ड बन गया। जानिए इसके पीछे की अद्भुत कहानी।
Manohar Gaushala Khairagarh: हमारे भारत देश में गायों को माता का दर्जा दिया गया है,क्योंकि हमें उनसे दूध के साथ–साथ कई प्राकृतिक चीजें प्राप्त होती है। आज हम छत्तीसगढ़ की ऐसी गाय के बारे में बताने वाले है जिसके नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड है। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में स्थित मनोहर गौशाला आज चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बार की दीपोत्सव पर यहां कुछ ऐसा हुआ जिसने सबका ध्यान खींच लिया। गौशाला परिसर में तैयार की गई एक विशाल रंगोली ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बनाई और यह मनोहर गौशाला का लगातार छठवां विश्व रिकॉर्ड बन गया। जानिए इसके पीछे की अद्भुत कहानी।
कामधेनु रंगोली का निर्माण
इस दिवाली के पावन अवसर पर मनोहर गौशाला ने जो रंगोली तैयार की वह गौ सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस रंगोली की खासियत यह थी कि इसे 27 क्विंटल यानी पूरे 2700 किलोग्राम फलों, ताजा सब्जियों और पौष्टिक सूखे मेवों से तैयार किया गया था। यह आंकड़ा सुनकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस रंगोली में कितनी मेहनत और संसाधन लगे होंगे। 25 प्रतिभाशाली कलाकारों ने मिलकर इस महाकार्य को अंजाम दिया। उन्होंने लगातार 14 घंटे बिना रुके काम किया और एक ऐसी रंगोली बनाई जो देखने वालों को अपनी ओर आकर्षित करें।
सौम्या गाय की अद्भुत कहानी
मनोहर गौशाला में एक और विश्व रिकॉर्ड बना हुआ है और वह है सौम्या नाम की एक गाय का। इस गाय की शारीरिक विशेषताएं इतनी असामान्य हैं कि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसे भी विशेष स्थान दिया है। सौम्या की सबसे चर्चित विशेषता है उसकी पूंछ है जो 54 इंच यानी 4.5 फीट से भी अधिक लंबी है। यह दुनिया की किसी भी गाय की सबसे लंबी पूंछ के रूप में दर्ज है।
सौम्या गाय पूरी तरह से प्राचीन काल के कामधेनु गाय की तरह ही है। इसके पिछले पैर में कमल के डंडे जैसी एक अद्भुत आकृति बनी हुई है जो बेहद दुर्लभ मानी जाती है। एक पैर में तीन समानांतर रेखाएं हैं जबकि दूसरे में पांच रेखाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। भारतीय परंपरा में इन चिन्हों का गहरा अर्थ बताया जाता है और इन्हें शुभ संकेत माना जाता है।
सौम्या गाय तीन साल पहले इस गौशाला में लायी गई थी
आज की स्थिति यह है कि सौम्या मनोहर गौशाला में रहने वाले लगभग 40 बछड़ों को नियमित रूप से दूध पिलाती है। यह उसका स्वैच्छिक कार्य है और कोई उसे इसके लिए मजबूर नहीं करता। कई बार ऐसा होता है कि कोई अनाथ बछड़ा गौशाला में आ जाता है तो ऐसे में सौम्या उन बछड़ों के लिए माँ की भूमिका निभाती है।