Chhattisgarh Vidhan Sabha ka itihas: छत्तीसगढ़ विधानसभा का इतिहास, पढ़िए छत्तीसगढ़ के 25 वर्षों की गौरवशाली गाथा..
Chhattisgarh Vidhan Sabha ka itihas: छत्तीसगढ़ राज्य अपनी 6वीं विधानसभा के साथ 1 नवंबर 2025 को अपना 25 वर्ष पूरा कर चुका है। राजनीतिक संस्थानों में आज हम छत्तीसगढ़ के विधानसभा के बारे में पूरी जानकारी बताने वाले हैं।
Chhattisgarh Vidhan Sabha ka itihas: भारत संघ में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 1 नवंबर सन 2000 को 9वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान किया गया था। मध्य प्रदेश राज्य से अलग होकर इस राज्य की नींव रखी गई। मध्य प्रदेश राज्य से सीमाओं के बंटवारे के साथ-साथ विधायी और राजनीतिक संस्थाओं का भी बंटवारा करना जरूरी था। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी 6वीं विधानसभा के साथ आज 1 नवंबर 2025 को अपना 25 वर्ष पूरा कर चुका है। राजनीतिक संस्थानों में आज हम छत्तीसगढ़ के विधानसभा के बारे में पूरी जानकारी बताने वाले हैं।
विधान सभा की स्थापना
छत्तीसगढ़ वासियों की पृथक राज्य की मांग को मानते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मध्य प्रदेश को विभाजित करने का निर्णय लिया। 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य बना, तो इसके साथ ही एक नई विधान सभा की नींव भी पड़ी। मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के माध्यम से यह पूरी प्रक्रिया संवैधानिक तरीके से संपन्न हुई थी।
छत्तीसगढ़ के गठन के समय राज्य की विधान सभा के लिए भवन तैयार नहीं था, इसलिए 14 से 19 नवंबर 2000 के बीच रायपुर में स्थित राजकुमार कॉलेज के जशपुर हॉल में तंबू लगाकर पहला ऐतिहासिक सत्र आयोजित किया गया। यह दृश्य अपने आप में अनोखा था। इस पहले सत्र में मध्य प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को सर्वसम्मति से प्रथम अध्यक्ष चुना गया। नई विधानसभा के लिए उनके अनुभव काफी कारगर रहे।
फरवरी 2001 तक स्थिति बदल चुकी थी। 27 फरवरी को विधान सभा का दूसरा सत्र नवनिर्मित भवन में शुरू हुआ। यह भवन रायपुर के बलौदा बाजार मार्ग पर ग्राम बरौदा के विधान नगर में बनाया गया था। भवन काफी आधुनिक सुविधाओं से लैस था। विधान सभा का संवैधानिक ढांचा छत्तीसगढ़ की विधायी व्यवस्था को एकसदनीय रखा गया है
यहां केवल विधान सभा होती है। विधान परिषद छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं है। 90 सदस्यों वाली यह विधान सभा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है। चुने हुए प्रतिनिधि 5 साल तक इस विधानसभा भवन में विधेयकों को पारित करते हैं, चर्चा करते हैं व लागू करने का कार्य करते हैं। छत्तीसगढ़ की विधानसभा में 2024 की स्थिति तक 580 विधेयक पारित हो चुके हैं।
विधानसभा में सदस्यों को आरक्षण भी प्रदान किए गए शुरुआत में तो 34 सीटे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी परंतु परिसीमन के बाद 29 हो गई और अनुसूचित जाति के लिए 10 सीटें निर्धारित की गईं है, जबकि बाकी 51 सीटें सामान्य श्रेणी को मिली। पहली विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से एक नामांकित सदस्य भी शामिल था लेकिन बाद में यह परंपरा बदल गई और अब केवल निर्वाचित सदस्य ही विधान सभा का हिस्सा होते हैं।
छत्तीसगढ़ की पहली विधान सभा व अन्य कार्यकाल
छत्तीसगढ़ में पहले विधानसभा के गठन की कहानी काफी रोचक है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 1998 में हुई थी उसे समय मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ भी शामिल था और छत्तीसगढ़ के इलाकों से भी विधायक मध्य प्रदेश विधानसभा में चुने गए थे फिर सन 2000 में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ और वह विधायक जो विभाजित मध्य प्रदेश यानी छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय आए वे छत्तीसगढ़ की विधानसभा के सदस्य बनाए गए। उस समय कांग्रेस के पास 48 सीटें थीं और भारतीय जनता पार्टी के पास केवल 38 सीटे थी। कांग्रेस की बहुमत होने की वजह से कांग्रेस ने अपना प्रतिनिधि अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ का प्रथम मुख्यमंत्री बनाया।
2003 में जब राज्य में पहली बार पूर्ण चुनाव हुए, तो भारतीय जनता पार्टी ने 50 सीटें जीतकर सत्ता में आई और कांग्रेस 33 सीटों के साथ विपक्ष में चली गई। डॉ रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जिन्होंने 15 साल तक लगातार इस पद को संभाले रखा। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड कार्यकाल था।
2018 में छत्तीसगढ़ का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गया। कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 68 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा केवल 15 सीटों तक सिमट गई। कांग्रेस ने बीजेपी के 15 साल के एक छत्र राज को एक झटके में गिरा दिया। कांग्रेस से भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया।
भूपेश बघेल सरकार के 5 साल पूरे होने पर 2023 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए जिसमें फिर से राजनीतिक हवाएं बदल गई। भारतीय जनता पार्टी ने फिर से वापसी की और 54 सीटे जीती। कांग्रेस को 35 सीटें मिलीं और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली। बीजेपी की जीत के बाद विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया जो छत्तीसगढ़ में पहले आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। वर्तमान विधानसभा में केदार कश्यप संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं व डॉक्टर चरण दास महंत नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी में है।
छत्तीसगढ़ को मिला नया विधानसभा भवन
छत्तीसगढ़ की विधानसभा एक तंबू से शुरू होकर भव्य इमारत तक पहुंच चुकी है। 1 नवंबर 2025 के दिन छत्तीसगढ़ को उसका नया विधानसभा भवन आखिरकार मिल ही गया। राज्य गठन के इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस भव्य भवन का लोकार्पण किया गया। यह भवन 273.11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है। विधानसभा भवन में एक 200 सीटों का सेंट्रल हॉल बनाया गया है जो भारत की संसद के तर्ज पर है।
साथ ही यहां सभा भवन, दर्शक दीर्घा, आर्ट गैलरी भी बनाया गया है। भवन सेक्टर 19, नवा रायपुर में 20.78 हेक्टेयर में बनाया गया है। नए विधानसभा भवन को भविष्य की आवश्यकताओं और जरूरत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है क्योंकि विधानसभा में अभी केवल 90 सीटे ही हैं परंतु परिसीमन के बाद यह 120 तक पहुंच सकती है, जिसके लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा को अधिक बैठक व्यवस्था और सुविधाओं की जरूरत पड़नी ही थी।
नए विधानसभा भवन को तीन ब्लाकों में विभाजित किया गया है। ब्लॉक A में विधानसभा सचिवालय, अधिकारी-कर्मचारियों के दफ्तर, सुरक्षा शाखा आदि शाखाएं संचालित होंगी। ब्लॉक B में सदन लगेगी और विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष के कक्ष और दफ्तर, मेंबर्स लाउंज, डाइनिंग एरिया, मुख्य और प्रमुख सचिव कार्यालय बनाए गए है। ब्लॉक C में मंत्रियों और विधायकों के कक्ष बनाए गए हैं,