India ke Samvidhan ko kin desho se liya gya hai: जानिए भारतीय संविधान में कौन से प्रावधान किन देशों से लिए गए है? प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण!

India ke Samvidhan ko kin desho se liya gya hai: हमारे भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। डॉ. भीमराव अंबेडकर के अथक प्रयासों से 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। संविधान बनने के पूरे कार्यकाल में कुल 165 दिनों तक बैठकें हुईं और 11 अधिवेशनों का आयोजन किया गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में 299 सदस्यों ने इस संविधान को तैयार करने में अपना योगदान दिया।

Update: 2025-11-26 11:39 GMT

India ke Samvidhan ko kin desho se liya gya hai: हमारे भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। डॉ. भीमराव अंबेडकर के अथक प्रयासों से 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। संविधान बनने के पूरे कार्यकाल में कुल 165 दिनों तक बैठकें हुईं और 11 अधिवेशनों का आयोजन किया गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में 299 सदस्यों ने इस संविधान को तैयार करने में अपना योगदान दिया।

संविधान बनने की कहानी काफी रोचक है। इसके निर्माताओं ने विश्व के लगभग 60 देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया और उसके बाद भारत के संविधान की नींव रखी गई। हमारे संविधान का लगभग तीन चौथाई हिस्सा भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया है, इसलिए कुछ आलोचकों द्वारा इसे ”उधारों का पिटारा” कहकर आलोचना भी की गई है। इसके जवाब में अंबेडकर जी का कहना था कि किसी देश के कानून का कुछ अंश कॉपी करना किसी प्रकार की कोई साहित्यिक चोरी नहीं है, इन कानूनों पर उन देशों का कोई पेटेंट नहीं होता।

हमारे मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं। इन सभी को किसी न किसी देशों से लिया गया था। आज हम संविधान के प्रमुख नियमों को जानेंगे और यह भी देखेंगे कि उन नियमों को किस देश से लिया गया था।

  • भारत सरकार अधिनियम 1935
  • भारतीय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख स्रोत है।
  • लगभग 250 अनुच्छेद इस अधिनियम से लिए गए हैं।
  • न्यायपालिका की संरचना और व्यवस्था
  • राज्यपाल के कार्यालय का प्रावधान
  • लोक सेवा आयोग की स्थापना
  • आपातकालीन उपबंधों का आधार
  • प्रशासनिक विवरण और संरचना
  • संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का विभाजन

ब्रिटेन के संविधान से

  • संसदीय शासन प्रणाली
  • एकल नागरिकता की व्यवस्था
  • कानून के शासन (Rule of Law) की अवधारणा
  • विधि के समक्ष समता का सिद्धांत
  • द्विसदनीय व्यवस्था (लोकसभा और राज्यसभा)
  • कैबिनेट प्रणाली
  • रिट व्यवस्था (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा)
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पद
  • लोक सेवकों का कार्यकाल

अमेरिका के संविधान से

  • मौलिक अधिकार
  • न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review)
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • संविधान की सर्वोच्चता का सिद्धांत
  • उच्चतम न्यायालय की स्थापना
  • राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया
  • उपराष्ट्रपति का पद
  • निर्वाचित राष्ट्रपति की व्यवस्था
  • न्यायाधीशों को हटाने की विधि
  • प्रस्तावना
  • विधियों का समान संरक्षण
  • आयरलैंड का योगदान
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व
  • समान कार्य के लिए समान वेतन
  • बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा
  • ग्राम पंचायतों का संगठन
  • निर्वाचक मंडल की व्यवस्था
  • राज्यसभा में 12 सदस्यों का मनोनयन

कनाडा के संविधान से

  • केंद्र सरकार राज्यों से अधिक शक्तिशाली होने का प्रावधान।
  • जो शक्तियां तीनों सूचियों में नहीं हैं, वे केंद्र के पास।
  • राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा।
  • GST का स्वरूप और संरचना

ऑस्ट्रेलिया का योगदान

  • समवर्ती सूची
  • प्रस्तावना की भाषा शैली
  • केंद्र और राज्यों के बीच संबंध
  • रूस से लिया गया प्रावधान
  • मौलिक कर्तव्य
  • प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  • पंचवर्षीय योजनाओं का विचार
  • योजना आयोग की स्थापना

फ्रांस का योगदान

गणतंत्र की अवधारणा

GST का प्रावधान और सिद्धांत

तदर्थ न्यायाधीश की नियुक्ति

दक्षिण अफ्रीका से

  • संविधान संशोधन की प्रक्रिया
  • राज्यसभा सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व से।
  • जर्मनी का योगदान
  • आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन।
  • राष्ट्रपति को विशेष शक्तियां
  • जापान का योगदान
  • विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

कई ऐसे फेमस quote भी है जो अंबेडकर जी द्वारा संविधान सभा में संविधान को लेकर कहे गए थे।

1. "संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, यह जीवन का वाहन है।"

2. "अगर मुझे कभी यह महसूस हुआ कि संविधान का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उसे जलाने वाला सबसे पहला व्यक्ति मैं ही बनूंगा।"

3. "संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं हैं, तो वह बुरा साबित हो सकता है।"

— डॉ. बी.आर. अंबेडकर

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