India 10 Digit mobile Number Facts: भारत में मोबाइल नंबर 10 अंकों का ही क्यों? 9 और 11 अंकों का क्यों नहीं! जानिए ये रोचक तथ्य

Mobile number mein 10 digit kyon hote Hain: भारत में जब हम किसी व्यक्ति को फोन करते हैं या किसी को अपना मोबाइल नंबर देते हैं तो हम 10 अंकों का एक नंबर उपयोग में लाते हैं। आइये आपको बताते हैं इन 10 अंको के पीछे के राज़..

Update: 2025-10-25 12:08 GMT

Mobile number mein 10 digit kyon hote Hain: भारत में जब हम किसी व्यक्ति को फोन करते हैं या किसी को अपना मोबाइल नंबर देते हैं तो हम 10 अंकों का एक नंबर उपयोग में लाते हैं। यह नंबर सभी कस्टमर के लिए अलग-अलग और यूनिक होता है। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि यह नंबर सिर्फ 10 अंकों का ही क्यों होता है? चाहे तो 9 या 11 भी कर सकते हैं? परंतु इन सवालों के जवाब को जानने के लिए हमें भारत की जनसंख्या पर एक नजर डालनी होगी। इस लेख में हम मोबाइल नंबर के 10 अंकों के पीछे की जानकारी को समझेंगे।

10 अंकों की गणितीय गणना

भारत में 2025 तक 125 करोड़ से अधिक एक्टिव मोबाइल यूजर्स हो चुके है। कई लोग एक से ज्यादा नंबर रखते हैं और हर रोज करोड़ों नंबर बंद भी होते हैं। इन सभी कारकों को देखते हुए 9 अंकों का सिस्टम कभी काम नहीं कर सकता था।

जब हम 10 अंकों की बात करते हैं, तो इससे कुल 10 अरब यानी 1000 करोड़ यूनिक नंबर कॉम्बिनेशन संभव हैं। यह संख्या सुनने में बहुत बड़ी लगती है, लेकिन जब हम भारत की जनसंख्या और मोबाइल यूजर्स की बढ़ती संख्या को देखते हैं, तो यह बिल्कुल सटीक बैठती है।

अगर मोबाइल नंबर सिर्फ 9 अंकों का होता। तब केवल 100 करोड़ नंबर ही बन पाते। भारत की जनसंख्या 2024 में ही 130 करोड़ को पार कर चुकी थी। ऐसे में 9 अंकों का सिस्टम बिल्कुल सही साबित नहीं होता।

अगर हम 11 अंकों की बात करें, तो यह 100 अरब संभावनाएं पैदा करता है। यह संख्या जरूरत से काफी ज्यादा है और उपयोग की दृष्टि से भी उचित नहीं होती। हर बार 11 अंकों का नंबर डायल करना समय लेने वाला होता और यूजर एक्सपीरियंस भी खराब होता है। इसलिए 10 अंकों का मोबाइल नंबर अभी की जनसंख्या को देखते हुए पर्याप्त है।

राष्ट्रीय Numbering Plan का इतिहास

साल 2003 से पहले भारत में मोबाइल नंबर 9 अंकों के हुआ करते थे। लेकिन सरकार को यह समझ आ गया था कि भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ने वाली है और मोबाइल यूजर्स भी बढ़ने वाले हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 2003 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India - TRAI) ने एक राष्ट्रीय नंबरिंग योजना लागू की, जिसके तहत सभी मोबाइल नंबर 10 अंकों के कर दिए गए।

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