Chhattisgarh Me Foreign Mallard Bird: छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखा ये विदेशी पक्षी, जानिए मलार्ड पक्षी की खास बात
Chhattisgarh Me Foreign Mallard Bird: छत्तीसगढ़ की जैव विविधता मनुष्यों के साथ-साथ पशु पक्षियों के लिए भी काफी अनुकूल है। प्रवासी पक्षियों के लिए अब छत्तीसगढ़ के भी कई स्थानों को प्रसिद्धि मिल रही है।
Chhattisgarh Me Foreign Mallard Bird: छत्तीसगढ़ की जैव विविधता मनुष्यों के साथ-साथ पशु पक्षियों के लिए भी काफी अनुकूल है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में प्रवासी पक्षियों को देखा जाता है, जो अपने प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ आती हैं और कुछ समय बिताकर वापस अपने देश चली जाती हैं। इस साल पहली बार यहां विदेशी बतख प्रजाति मलार्ड की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह पक्षी बेमेतरा जिले के गिधवा-परसदा पक्षी विहार में नजर आया है। प्रवासी पक्षियों के लिए अब छत्तीसगढ़ के भी कई स्थानों को प्रसिद्धि मिल रही है।
मलार्ड डक का परिचय
मलार्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय रूप से पाई जाने वाली बत्तख की प्रजातियों में से एक है। इसका वैज्ञानिक नाम अनास प्लैटिरिनचोस है और यह अनास वंश का सदस्य है। यह प्रजाति मूलत: यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया के ठंडे क्षेत्रों और उत्तरी अफ्रीका में पाई जाती है। विश्व भर में इनकी आबादी लगभग 47 मिलियन है, जो इन्हें सबसे सफल प्रवासी पक्षी प्रजातियों में शामिल करती है। मलार्ड मुख्य रूप से समशीतोष्ण जलवायु को पसंद करते हैं और सर्दियों में ठंडे इलाकों से गर्म स्थानों की ओर प्रवास करते हैं। भारत में भी कई स्थानों पर इनकी उपस्थिति दर्ज की गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह पहली बार देखा गया है।
मलार्ड की शारीरिक बनावट
मलार्ड पक्षी की शारीरिक संरचना एक ही नजर में मंत्रमुग्ध कर देती है। इस प्रजाति के मादा पक्षी की तुलना में नर पक्षी अधिक सुंदर दिखाई देता है। इसके सिर और गर्दन का चटकीला हरा रंग इसे दूसरी बतख प्रजातियों से अलग पहचान देता है। नर पक्षी के पंखों पर नीले रंग का एक चमकता हुआ धारीदार हिस्सा होता है जिसे स्पेक्युलम कहा जाता है। इसकी चोंच पीली होती है और शरीर पर भूरे, सफेद और काले रंगों का बेहतरीन डिजाइन दिखता है। इनके शरीर की बनावट तैराकी और उड़ान दोनों के लिए अनुकूल होती है।
गिधवा-परसदा पक्षी विहार की विशेषताएं
गिधवा-परसदा की जैव विविधता और आसपास की आर्द्रभूमि लगभग 180 हेक्टेयर में फैली हुई है। यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से इतना समृद्ध है कि हर साल यहां सैकड़ों देसी और विदेशी पक्षी आते हैं। इस वर्ष अभी तक 60 से अधिक प्रजातियों के पक्षी यहां देखे जा चुके हैं। इनमें बार-हेडेड गूज, कॉमन टील, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, ग्रे हेरॉन और पिंटेल डक जैसी कई महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं। यह स्थल यूरोप, मंगोलिया, बर्मा और बांग्लादेश से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन गया है।