Bilaspur High Court: 25 साल पहले एक जस्टिस से शुरू हुए बिलासपुर हाई कोर्ट में अब 17 जज, पढ़िये हाई कोर्ट की सफर गाथा
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष: छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़वासियों को अपना हाई कोर्ट भी मिला। अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में जबलपुर हाई कोर्ट की दहलीज तक पहुंचना एक सपना ही था। तब एक मात्र ट्रेन चला करती थी। सड़क मार्ग से जाना तो और भी दुरुह। रास्ता खराब, ऊपर से दूरी इतनी कि समय की बर्बादी और आर्थिक तंगी अलग। आम आदमी के लिए यह सपने से कम नहीं था। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ ही बिलासपुर को हाई कोर्ट मिला। बीते 25 वर्षों से उच्च न्यायालय न्यायदान की दिशा में अपना महत्वपूर्ण काम कर रहा है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से पहले तक छत्तीसगढ़वासियों को न्याय पाने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता था। उस समय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए जबलपुर जाना पड़ता था, जो आम आदमी के लिए न तो आसान था और न ही सुविधाजनक। आर्थिक तंगी के साथ ही आवागमन के सीमित साधन और अनजान जगह। विवशता और संकाेच, इन दो कारणों के चलते लोग वहां तक पहुंच ही नहीं पाते थे। तब निचली अदालतों के फैसले से ही संतोष करना पड़ता था। इसे विवशता कहें या फिर मजबूरी। इन्ही विवशताओं के चलते एक बड़े तबके को न्याय नहीं मिल पाता था। तब और अब में बहुत बड़ा फर्क आ गया है। अब तो सहजता के साथ आम लोगों के लिए न्यायालय का रास्ता सुलभ हो गया है। हाई कोर्ट में बढ़ते मामले मुकदमों की संख्या इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ अलग हाई कोर्ट की मांग तेज़ हुई। इसी क्रम में एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के निर्माण के साथ ही बिलासपुर में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। समय-समय पर रायपुर और जगदलपुर में खंडपीठ स्थापित करने की मांग उठती रही, ताकि न्याय व्यवस्था और अधिक सुलभ हो सके। लोगों की सुविधा को देखते हुए अलग राज्य और अलग हाई कोर्ट की स्थापना ऐतिहासिक कदम साबित हुई। इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया आसान हुई बल्कि बिलासपुर को न्यायधानी के रूप में नई पहचान मिली। हाई कोर्ट की स्थापना के साथ ही भवन की तलाश शुरू हुई। तब नार्मल स्कूल भवन का चयन किया गया। तत्कालीन विधि मंत्री अरुण जेटली ने छत्तीसगढ़ उचच न्यायालय का शुभारंभ किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट संचालन और न्यायदान की जिम्मेदारी जस्टिस आरसी गर्ग को सौंपी। बतौर एक्टिंग चीफ जस्टिस,जस्टिस आरएस गर्ग ने काम संभाला और बेहतर तरीके से काम को अंजाम दिया। जबलपुर हाई कोर्ट में काम करते जस्टिस गर्ग छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति के साथ ही यहां के निवासियों के बारे में जानकारी रखते थे। लिहाजा जनहित याचिकाओं के स्वतः संज्ञान वाली याचिकाओं पर अपना पूरा फोकस किया।
पत्र याचिका का बढ़ा चलन
शुरुआत का यह वह दौर था जब एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस गर्ग ने पत्र को याचिका के रुप में स्वीकार करना प्रारंभ किया और लोगों की दिक्कतों को इसी माध्यम से सुलझाना शुरू किया। उनका उद्देश्य साफ था नए राज्य में न्यायपालिका के प्रति लोगों का भरोसा जितना और कानूनी अधिकार के बारे में अच्छी तरह वाकिफ कराना। जस्टिस गर्ग अपने इस अभियान में काफी हद तक सफल रहे।
न्याय तुंहर द्वार योजना, घरों तक पहुंच रही अदालत
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के मद्देनजर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मॉनिटरिंग में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा न्याय तुंहर द्वार योजना चलाई जा रही है। इसमें कोर्ट सीधे जरूरतमंदों के घरों तक पहुंच रही है और लोगों को न्याय के साथ ही राहत दिला रही है।
जबलपुर से विरासत में मिले 64 हजार मामले
हाई कोर्ट की स्थापना के बाद जबलपुर हाई कोर्ट से ऐसे 64 हजार 435 मामले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को मिले जो इसी राज्य के थे। मामलों के अलावा जबलपुर हाई कोर्ट से कर्मचारियों व अधिकारियों का तबादला भी किया गया। बड़ी संख्या में कर्मचारी व न्यायिक अधिकारी यहां आए।
27 जजों के स्ट्रेंथ, जो अब तक नहीं हुआ पूरा
हाई कोर्ट की स्थापना के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 27 जजों का स्ट्रेंथ तय किया। हाई कोर्ट में आजतक यह स्ट्रेंथ पूरा नहीं हो पाया है। वर्तमान में हाई कोर्ट में जजों की संख्या 17 है।
77458 मामले पेंडिंग
हाई कोर्ट में वर्तमान में 77,458 मामले पेंडिंग हैं। 23,683 ऐसे मामले हैं जो पांच साल से लंबित है।
दूरस्थ इलाकों में पहुंचा न्याय
राज्य सरकार ने लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से जिला व सिविल कोर्ट की संख्या में भी बढ़ोतरी कर दी है। हाई कोर्ट की स्थापना के लंबे समय तक राज्य में 13 जिला कोर्ट के जरिये मामले मुकदमों की सुनवाई की जा रही थी। वर्तमान में 23 जिला न्यायालय के माध्यम से सुनवाई की जा रही है। सरकार की कोशिश है कि लोगों को उनके निवास स्थान से नजदीक न्यायालय मिले। लोगों को निवास से नजदीक अदालत उपलब्ध कराने के अलावा ग्रामीणों को कानूनी शिक्षा व अधिकार से भी लगातार परिचित कराया जा रहा है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के बैनर तले ग्रामीण इलाकों में विधिक साक्षरता के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसमें जजों के अलावा अधिवक्ता व न्यायालयीन अधिकारी शामिल होते हैं और लोगों को उनके कानूनी अधिकार के बारे में बताते हैं।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अब तक के चीफ जस्टिस
1. जस्टिस डब्ल्यू ए शिशाक
कार्यकाल: 05.12.2000-15.01.2002
2. जस्टिस केएचएन कुरंगा
कार्यकाल: 06.02.2002-10.05.2004
3. जस्टिस अय्यमपालयम सोमसुंदरम वेंकटचला मूर्ति
कार्यकाल: 28.05.2004-07.01.2005
4. जस्टिस अनंग कुमार पटनायक
कार्यकाल: 14.03.2005-01.10.2005
5. जस्टिस एसआर नायक
कार्यकाल: 17.11.2005-31.12.2006
6. जस्टिस एचएल दत्तू
कार्यकाल: 12.02.2007-17.05.2007
7. जस्टिस राजीव गुप्ता
कार्यकाल: 02.02.2008-09.10.2012
8. जस्टिस यतीन्द्र सिंह
कार्यकाल: 22.10.2012-08.10.2014
9. जस्टिस नवीन सिन्हा
कार्यकालः 09.04.2015-11.05.2016
10. जस्टिस दीपक गुप्ता
कार्यकालः 16.05.2016-16.02.2017
11. जस्टिस थोट्टाथिल बी. राधाकृष्णन
कार्यकाल: 18.03.2017-06.07.2018
12. जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी
कार्यकाल: 07.07.2018-26.03.2019
13. जस्टिस पीआर. रामचंद्र मेनन
कार्यकाल: 06.05.2019-31.05.2021
14. जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी
कार्यकाल: 12.10.2021-10.03.2023
15. जस्टिस रमेश सिन्हा
कार्यकाल: 29 मार्च 2023 से अब तक