Bhransh ghati me bahane wali nadiyan: भ्रंश घाटी में बहने वाली नदियां, विवर्तनिक प्लेटों के बीच दरार से हुआ हैं इनका निर्माण
Bhransh ghati me bahane wali nadiyan: हमारे भारत देश को प्रकृति से बहुत कुछ प्राप्त है। यहां स्थित नदियां, जल स्रोत, पहाड़, पर्वत और मैदान सभी भारत के अभिन्न अंग हैं। भारत में बहने वाली अधिकांश नदियों का ढाल पूर्व की ओर होता है, जो कि बंगाल की खाड़ी में जाकर विसर्जित हो जाती हैं। परंतु इस लेख में हम ऐसी नदियों के बारे में जानेंगे जो भ्रंश घाटी में बहती है और जिनका बहाव क्षेत्र पश्चिम दिशा की ओर होता है।
Bhransh ghati me bahane wali nadiyan: हमारे भारत देश को प्रकृति से बहुत कुछ प्राप्त है। यहां स्थित नदियां, जल स्रोत, पहाड़, पर्वत और मैदान सभी भारत के अभिन्न अंग हैं। भारत में बहने वाली अधिकांश नदियों का ढाल पूर्व की ओर होता है, जो कि बंगाल की खाड़ी में जाकर विसर्जित हो जाती हैं। परंतु इस लेख में हम ऐसी नदियों के बारे में जानेंगे जो भ्रंश घाटी में बहती है और जिनका बहाव क्षेत्र पश्चिम दिशा की ओर होता है।
जानिए भ्रंश घाटी क्या होती है?
भ्रंश घाटी तब बनती है जब पृथ्वी की सतह पर विवर्तनिक प्लेटों (टेक्टोनिक प्लेट) के बीच दरारें पड़ती हैं। नर्मदा और ताप्ती नदियां विशेष रूप से इस भ्रंश घाटी प्रणाली का हिस्सा हैं। ये घाटियां भूकंपीय दृष्टिकोण से स्थिर होती हैं, लेकिन इनका निर्माण प्राचीन भूवैज्ञानिक गतिविधियों के परिणाम स्वरूप हुआ है। इन नदियों के आसपास का क्षेत्र जैव-विविधता से समृद्ध है, जहां कई प्रकार के वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं।
नदियों के नाम
भारत में पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां भ्रंश घाटी का निर्माण करती हैं और यही भ्रंश घाटियां इन नदियों का प्रवाह क्षेत्र भी बन जाती है।
1. साबरमती नदी
2. माही नदी
3. नर्मदा नदी
4. ताप्ती नदी
आइए, अब इन नदियों के बारे में विस्तार से जानते हैं, ताकि इनके भौगोलिक और आर्थिक महत्व को गहराई से समझा जा सके।
साबरमती नदी:
साबरमती नदी पश्चिमी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो राजस्थान के अरावली पर्वतमाला में उदयपुर के निकट से निकलती है। यह नदी लगभग 371 किलोमीटर की यात्रा तय करती है और गुजरात के अहमदाबाद शहर से होकर खंभात की खाड़ी में मिलती है। साबरमती का प्रवाह क्षेत्र शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु वाला है, जिसके कारण यह नदी मानसून के मौसम में विशेष रूप से सक्रिय रहती है। अहमदाबाद, जो भारत का एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र है, इसी नदी के किनारे बसा है। साबरमती नदी का पानी गुजरात में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
माही नदी:
माही नदी मध्य प्रदेश के धार जिले में विंध्य पर्वत श्रृंखला से निकलती है और लगभग 580 किलोमीटर की दूरी तय करके खंभात की खाड़ी में मिलती है। यह नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होकर बहती है, जिससे यह तीन राज्यों की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। माही नदी का प्रवाह क्षेत्र भ्रंश घाटी से संबंधित है और इसकी गहरी घाटियां और तीव्र ढाल इसे भौगोलिक दृष्टिकोण से विशिष्ट बनाते हैं। इस नदी पर बना माही बजाज सागर बांध राजस्थान में सिंचाई और जल संरक्षण का एक प्रमुख स्रोत है।
नर्मदा नदी:
नर्मदा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार में मैकल पर्वत से निकलती है और लगभग 1,312 किलोमीटर की यात्रा के बाद खंभात की खाड़ी में अरब सागर से मिलती है। नर्मदा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर बहती है और इसका प्रवाह क्षेत्र भ्रंश घाटी से संबंधित है। इस नदी को "रेवा" के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू धर्म में इसकी परिक्रमा (नर्मदा परिक्रमा) का विशेष धार्मिक महत्व है। नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध भारत की सबसे महत्वपूर्ण जल परियोजनाओं में से एक है, जो सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन और पेयजल आपूर्ति के लिए उपयोगी है।
ताप्ती नदी:
ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से निकलती है और लगभग 724 किलोमीटर की दूरी तय करके खंभात की खाड़ी में मिलती है। यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर बहती है और इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ताप्ती नदी पर बना उकाई बांध सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन के लिए एक प्रमुख स्रोत है। इस नदी के किनारे बसा सूरत शहर भारत का एक प्रमुख व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र है। यह भ्रंश घाटी से निकलने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है।