Bharat Ke Prasiddh Vyaktiyon ka Samadhi Sthal: इन जगहों पर हैं वीरों की समाधि, बलिदान, नेतृत्व और देश के प्रति समर्पण की गाथा, पढ़िए पूरी जानकारी

Bharat Ke Prasiddh Vyaktiyon ka Samadhi Sthal: भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्म व समाज के लोग निवास करते हैं। यहां स्थित प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को काफी आकर्षित करती है। भारत देश कई ऐसे महापुरुषों की जननी रही है जिन्होंने यहां अपने प्राण न्यौछावर कर देश को समृद्ध बनाने का काम किया है। आइए जानते हैं उनकी समाधी कहां-कहां है.

Update: 2025-10-08 13:25 GMT

Bharat Ke Prasiddh Vyaktiyon ka Samadhi Sthal: भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्म व समाज के लोग निवास करते हैं। यहां स्थित प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को काफी आकर्षित करती है। भारत देश कई ऐसे महापुरुषों की जननी रही है जिन्होंने यहां अपने प्राण न्यौछावर कर देश को समृद्ध बनाने का काम किया है। आज हम इन्हीं महापुरुषों के समाधि स्थल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। ये समाधि स्थल केवल स्मारक नहीं हैं, बल्कि वे उन महान व्यक्तियों के बलिदान, नेतृत्व और देश के प्रति समर्पण की गाथा हैं, जिन्होंने भारत को आधुनिक स्वरूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजघाट

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का समाधि स्थल राजघाट, दिल्ली में यमुना नदी के तट पर स्थित है। 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या के बाद, यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया। यह स्मारक एक साधारण काले संगमरमर का मंच है, जिस पर "हे राम" शब्द अंकित हैं, जो गांधी जी के अंतिम शब्द थे। राजघाट न केवल एक समाधि स्थल है बल्कि यह शांति और अहिंसा का भी प्रतीक है।

शांति वन

दिल्ली में राजघाट के उत्तर में स्थित शांति वन, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का समाधि स्थल है। 1964 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। यह स्मारक यमुना नदी के किनारे पर बनाया गया है। शांति वन, नेहरू के शांतिपूर्ण और प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विजय घाट

विजय घाट, दिल्ली के राजघाट परिसर में स्थित है जो भारत के तीसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का समाधि स्थल है। 1966 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। "जय जवान, जय किसान" का नारा देने वाले शास्त्री जी की सादगी और देशभक्ति इस स्मारक में झलकती है। यह स्थल 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनके साहसी नेतृत्व और देश के प्रति उनके समर्पण की याद दिलाता है।

शक्ति स्थल

दिल्ली के राजघाट परिसर में शक्ति स्थल, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का समाधि स्थल है। 1984 में उनकी हत्या के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। यह स्मारक उनकी शक्तिशाली नेतृत्व शैली और भारत के विकास में उनके योगदान को दर्शाता है।

समता स्थल

समता स्थल, दिल्ली के राजघाट क्षेत्र में स्थित दलित समुदाय के प्रमुख नेता और स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम का समाधि स्थल है। 1986 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। यह स्मारक सामाजिक समानता और उनके संघर्ष को समर्पित है। बाबू जगजीवन राम ने दलितों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए और भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

किसान घाट

किसान घाट भी दिल्ली के राजघाट परिसर में स्थित है जो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का समाधि स्थल है। 1987 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। चौधरी चरण सिंह ने किसानों के हितों को प्राथमिकता दी और उनकी नीतियों ने ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वीर भूमि

दिल्ली के राजघाट परिसर में वीर भूमि, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का समाधि स्थल है। 1991 में उनकी हत्या के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। राजीव गांधी ने भारत को सूचना प्रौद्योगिकी और आधुनिकता के युग में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह स्मारक उनकी प्रगतिशील सोच और तकनीकी क्रांति के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है।

नारायण घाट

गुलजारी लाल नंदा जो दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे, उनका समाधि स्थल नारायण घाट अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर स्थित है। 1998 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। कुछ स्रोतों के अनुसार, उनकी अस्थियां हरियाणा के कुरुक्षेत्र में विसर्जित की गईं।

चैत्य भूमि

मुंबई के दादर में स्थित चैत्य भूमि, भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर का समाधि स्थल है। 6 दिसंबर 1956 को उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। अंबेडकर ने दलितों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए जीवनभर संघर्ष किया और बौद्ध धर्म अपनाकर सामाजिक समानता का संदेश दिया।

कर्म भूमि

दिल्ली में स्थित कर्म भूमि, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा का समाधि स्थल है। 1999 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। यह स्मारक उनके विद्वतापूर्ण नेतृत्व और शांतिपूर्ण स्वभाव को दर्शाता है। डॉ. शर्मा ने शिक्षा और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपने समर्पण से देश को दिशा दी।

उदय भूमि

दिल्ली में स्थित उदय भूमि, भारत के पहले दलित राष्ट्रपति के. आर. नारायण का समाधि स्थल है। 2005 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। के. आर. नारायण ने अपने कार्यकाल में शिक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया।

सदैव अटल

दिल्ली में सदैव अटल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का समाधि स्थल है। 2018 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ और 25 दिसंबर 2018 को यह स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह स्मारक भारत की परमाणु शक्ति के विकास और आर्थिक सुधारों में उनके योगदान को दर्शाता है।

एकता स्थल

दिल्ली में एकता स्थल भारत के पहले सिख राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का समाधि स्थल है। 1994 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। ज्ञानी जैल सिंह ने सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया और अपने कार्यकाल में देश की एकता को मजबूत किया।

अभय घाट

अहमदाबाद, गुजरात में स्थित अभय घाट, भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का समाधि स्थल है। 1995 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। अभय घाट, उनके जीवन और सिद्धांतों को सम्मानित करता है।

महाप्रयाण घाट

पटना में गंगा नदी के तट पर महाप्रयाण घाट स्थित है। यह भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का समाधि स्थल है। 1963 में उनके निधन के बाद यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इंडिया गेट

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित इंडिया गेट एक ऐसा स्मारक है जो न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान की गाथा को भी जीवंत रखता है। यह स्मारक 42 मीटर ऊँचा है। इंडिया गेट का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था। 1921 में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य 1931 में पूर्ण हुआ। इसकी संरचना पेरिस के प्रसिद्ध आर्क डी ट्रायम्फ से प्रेरित है।स्मारक की दीवारों पर उन 70,000 सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस स्मारक का डिज़ाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने तैयार किया था।

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