Bharat ka Ekmatra Mitti ka Jawalamukhi: भारत का एकमात्र मिट्टी का ज्वालामुखी; 20 साल बाद हुआ फिर से सक्रिय

Bharat ka Ekmatra Mitti ka Jawalamukhi: Bharat ka Ekmatra Mitti ka Jawalamukhi: भारत में हर दिन कई ऐसी घटनाएं घटती हैं जो लोगों का ध्यान आकर्षित करती है। ऐसी ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बसा बारातांग द्वीप प्रकृति का एक अनोखा नजारा पेश करता है। यहाँ स्थित मड वोल्केनो, यानी मिट्टी का ज्वालामुखी...

Update: 2025-10-06 11:58 GMT

Bharat ka Ekmatra Mitti ka Jawalamukhi: भारत में हर दिन कई ऐसी घटनाएं घटती हैं जो लोगों का ध्यान आकर्षित करती है। ऐसी ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बसा बारातांग द्वीप प्रकृति का एक अनोखा नजारा पेश करता है। यहाँ स्थित मड वोल्केनो, यानी मिट्टी का ज्वालामुखी भारत का एकमात्र ऐसा भूवैज्ञानिक चमत्कार है जो न केवल वैज्ञानिकों बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। 2 अक्टूबर 2025 को यह ज्वालामुखी लगभग दो दशक बाद फिर से सक्रिय हुआ। जिसने तेज धमाके और मिट्टी के फव्वारे के साथ सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।

मड वोल्केनो क्या है?

मड वोल्केनो, जिसे हिंदी में मिट्टी का ज्वालामुखी कहा जाता है। यह एक ऐसी भूवैज्ञानिक संरचना है जो पारंपरिक ज्वालामुखियों से अलग होती है। यह गर्म लावा के बजाय ठंडी मिट्टी, पानी और गैसों का मिश्रण सतह पर उगलता है। यह प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार है, जो आमतौर पर टेक्टॉनिक गतिविधियों और भूगर्भ में कार्बनिक पदार्थों के सड़ने से बनता है। इसमें सतह पर गैस के बुलबुले बनते हैं, और कभी-कभी तेज धमाके की आवाज के साथ मिट्टी भी उछलती है। भारत में बारातांग द्वीप का मड वोल्केनो इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है।

इससे पहले 2005 में यह ज्वालामुखी इतनी तीव्रता से सक्रिय हुआ था कि विस्फोट के दौरान मिट्टी, पानी और गैस का मिश्रण 10-15 मीटर की ऊँचाई तक उछला। जिससे एक 3-4 मीटर ऊँचा मिट्टी का टीला बन गया। मिट्टी का फैलाव हजारों वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में हुआ, जिसने पर्यटकों के लिए बने रास्तों और रेलिंग्स को नष्ट कर दिया था।

कहां स्थित है यह बारातांग द्वीप

बारातांग द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित है। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है। पर्यटन की दृष्टि से बारातांग द्वीप एक प्रमुख स्थल है। मड वोल्केनो यहाँ का मुख्य आकर्षण है, जो अपनी दुर्लभता के कारण एक जीयो-हैरिटेज साइट माना जाता है। यहां स्थित चूना पत्थर की गुफाएं भी पर्यटको को आकर्षित करती हैं। 2 अक्टूबर के विस्फोट के बाद सुरक्षा कारणों से इस साइट को पर्यटकों के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

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