Angar Moti Mata Mandir Dhamtari: इस जगह पर संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है रहस्यमयी अनुष्ठान, जानिए अंगारमोती माता मंदिर के बारे में..

Update: 2025-10-14 05:44 GMT

Angar Moti Mata Mandir Dhamtari: छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जो निसंतान दंपतियों के लिए एक वरदान है। यहां की अनूठी परंपरा संतान प्राप्ति के लिए विश्व विख्यात है। यह मंदिर धमतरी जिले के गंगरेल बांध के निकट स्थित है जिसे मां अंगारमोती का पवित्र मंदिर माना जाता है। मां अंगारमोती को वनदेवी के रूप में पूजा जाता है और उनकी महिमा विशेष रूप से निसंतान दंपतियों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जानी जाती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको इस अनोखे मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।

अंगारमोती मंदिर का इतिहास

मंदिर का इतिहास लगभग 600 वर्ष पुराना माना जाता है। कीवदंतियों के अनुसार, मां अंगारमोती ऋषि अंगिरा की पुत्री हैं, जिनका मूल आश्रम सिहावा क्षेत्र में था। यह भी कहा जाता है कि माता की मूर्ति स्वयं धरती से प्रकट हुई थी। जो 52 गांवों की कुलदेवी के रूप में पूजी गई। मां अंगारमोती का मंदिर खुले आकाश के नीचे है क्योंकि माता ने पुजारी के स्वप्न में आकर मंदिर भवन न बनाने का आदेश दिया था, तो कुछ विशेष अनुष्ठान आदि करके वर्तमान में एक टीन की शीट द्वारा छत बनाया गया है। 1999 से इस मंदिर का संरक्षण गोड़ समाज का ट्रस्ट कर रहा है। इन्हें मां विंध्यवासिनी की बहन माना जाता है।

इस मंदिर में माता के चरणों की पूजा की जाती है ऐसा इसलिए क्योंकि 1937 के आसपास माता की मूर्ति चोरी होने की बात सामने आई थी, परंतु चोरों द्वारा माता के पैरों को नहीं ले जा सके इसलिए माता के इन चरणों को गंगरेल बांध के समीप फिर से प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित किया गया है।

निसंतान दंपतियों के लिए वरदान

मंदिर की सबसे अनूठी परंपरा है मड़ई मेला, जो हर साल दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को आयोजित होता है। मां अंगारमोती का मंदिर विशेष रूप से निसंतान दंपतियों के लिए आस्था का केंद्र है। यह विश्वास है कि माता की कृपा से निसंतान महिलाओं की सुनी गोद भरती है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु, माता के दर्शन के लिए आते हैं।

इस दौरान एक विशेष अनुष्ठान होता है जिसमें महिलाएं जमीन पर लेटती हैं और आदिवासी बैगा, माता के वास में सवार होकर उनके महिलाओं के ऊपर से गुजरते हैं। मान्यता है कि जिन महिलाओं पर बैगा का पैर पड़ता है उनकी मनोकामना पूरी होती है। एक और अनोखी परंपरा यह है कि मां अंगारमोती विवाहित नहीं है, इसलिए मंदिर में महिलाएं सिर पर पल्लू रखे बिना प्रार्थना करती हैं जो इस स्थान की विशिष्टता को दर्शाता है। नवरात्रि में मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

कैसे पहुंचे मंदिर

यह मंदिर, गंगरेल बांध के ठीक बगल में है जो महानदी पर बना एक विशाल जलाशय है। यह बांध अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और ट्रैवल में रुचि रखने वालों के लिए आकर्षक स्थान है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 93 किलोमीटर और धमतरी शहर से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सर्दियों का मौसम इस स्थान की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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