कलेक्टर रानू साहू से पहले दयानंद से भी हुआ था मंत्री जय सिंह अग्रवाल का पंगा, 21 साल में पहली बार कलेक्टर पर कोई मंत्री ने लगाए गंभीर आरोप

Update: 2022-03-04 07:35 GMT

रायपुर, 4 मार्च 2022। राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कोरबा कलेक्टर रानू साहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने यहां तक कह डाला कि वे जहां भी रहीं है, भ्रष्टाचार में लिप्त रही हैं। मंत्री के कलेक्टर पर सनसनीखेज आरोप से सूबे में हड़कंप मच गया। आमतौर पर कोई मंत्री कलेक्टर पर इस तरह का आरोप लगाता नहीं। वह इसलिए क्योंकि कलेक्टर जिले में मुख्यमंत्री का प्रतिनिधि होता है। कलेक्टरों की पोस्टिंग मुख्यमंत्री करते हैं। और किसी कलेक्टर से नाराजगी भी होती है तो उसे सार्वजनिक रूप से बोलने की बजाए जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री की नोटिस में ला देते हैं। इस सरकार में भी विधायकों की शिकायतों पर दो-तीन कलेक्टरों की सरकार ने छुट्टी की। वैसे भी, छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहली बार हुआ कि कोई मंत्री अपनी ही सरकार के कलेक्टर पर इतना बडा़ हमला बोला।

आश्चर्यजनक यह है कि मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने यह आरोप तब लगाया है, जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि कोरबा में डीएमएफ में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है...कुछ होगा तो जांच करा ली जाएगी।

मंत्री जय सिंह का इससे पहले बीजेपी शासन काल में कोरबा कलेक्टर पी दयानंद से भी काफी विवाद हुआ था। उस समय जयसिंह अग्रवाल विधायक थे। तकरार जब बढ़ती गई तो 19 मई 2017 को तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल कोरबा पहुंचे। बृजमोहन विकास कार्यों को लेकर अफसरों पर बरस पड़े थे। तब उनका कलेक्टर दयानंद से उनकी बहस हो गई थी। उस समय यह खबर काफी सुर्खियों मे रही थी। बातें ये भी हुई कि बृजमोहन जयसिंह की मदद के लिए तो नहीं पहुंचे थे। उसके बाद भी दयानंद हेठा नहीं खाए। वे दमदारी से अपना काम करते रहे। बाद में सरकार ने उनका प्रमोशन करते हुए बिलासपुर का कलेक्टर बना दिया था। हालांकि, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल गंभीर नेता हैं...मर्यादा को जानते हैं, लिहाजा, इस एपीसोड पर उन्होंने मीडिया में एक शब्द नहीं बोला, गंभीर आरोप लगाने की बात तो अलग है।

उसके बाद कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनते ही दयानंद के खिलाफ जय सिंह अग्रवाल ने बड़ा हमला बोला था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि दयानंद को मैं छोड़ूंगा नहीं। अब जय सिंह का प्रभाव बोलें या कुछ और...दयानंद को साढ़े तीन साल में कोई अच्छी पोस्टिंग नहीं मिली। सिकरेट्री बनने के बाद अभी भी समाज कल्याण डायरेक्टर बना कर रखा गया है, जिस पद पर कभी संविदा में पंचायत सेवा के अधिकारी पीपी सोती कार्यरत रहे हैं। जबकि, दयानंद डायरेक्ट आईएएस हैं।

ब्यूरोक्रेसी के जानकार कहते हैं, जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं द्वारा कलेक्टरों पर इस तरह के आरोपों से आम आदमी में संदेश अच्छे नहीं जाते। कलेक्टर एक व्यक्ति या अधिकारी नहीं, जिले का मुखिया होता है। कई लाख लोगों की उम्मीदें उससे जुड़ी होती हैं। जब उन पर ऐसे आरोप लगेंगे तो आम आदमी का विश्वास टूटेगा।

Tags:    

Similar News