शर्मनाक : कोरोना पॉजेटिव गर्भवती को डिलेवरी के पहले वार्ड से निकाला…दर्द से कराहती महिला ने जमीन पर ही दिया बच्चे को जन्म…. NPG से बोले सिविल सर्जन…

Update: 2020-08-30 10:16 GMT

रायपुर 30 अगस्त 2020। कोरोना संकट में डाक्टरों को जहां भगवान मानकर पूजा जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ अपने पेशे को बदनाम करने का कोई भी मौका चूक नहीं रहे हैं। दंतेवाड़ा में शराबी डाक्टर की करतूत अभी लोग भूले भी नहीं थे कि राजधानी के जिला अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आ गयी। जिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को वार्ड से बाहर कर दिया। महिला का कसूर बस इतना भर था कि वो कोरोना पॉजेटिव पायी गयी थी।

दर्द से गर्भवती रोती रही, मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन पत्थर दिल ना डाक्टरों का दिल पसीजा और ना ही नर्स और मेडिकल स्टाफ को रहम आया। रोती-बिलखती महिला कुछ देर बाद ही बेसुध हो गयी, जिसके बाद गर्भवती ने लाबी में ही जमीन पर बच्चे को जन्म दे दिया।

पूरा मामला कालीबाड़ी स्थित जिला अस्पताल का है। अस्पताल के एक महिला प्रसव के लिए आयी हुई थी। जिला अस्पताल में ये व्यवस्था है कि डिलेवरी के पहले महिला का कोरोना टेस्ट कराया जाता है। निगेटिव आने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, जबकि पॉजेटिव होने पर एम्स या मेकाहारा रेफर कर दिया जाता है। पीड़ित गर्भवती के मामले में जब डिलेवरी के पूर्व कोरोना टेस्ट कराया गया तो उसकी रिपोर्ट पॉजेटिव आ गयी। महिला की रिपोर्ट देखते ही वार्ड में हड़कंप मच गया। हद तो तब हो गयी जब मेडिकल स्टाफ ने महिला को वार्ड से बाहर कर दिया और मेकाहारा रेफर करने की बात कही।

इधर महिला को लेबर पेन शुरू हो गया और वो दर्द से बैचेन हो गयी। वो डाक्टर्स व मेडिकल स्टाफ से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने भी उसकी एक नहीं सुनी, उधर गर्भवती को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी वक्त पर नहीं आया, जिसके बाद लेबर पेन से बेसुध गर्भवती ने लॉबी में बच्चे के जन्म दे दिया। बाद में महिला को मेकाहारा भर्ती किया गया।

घटना को लेकर सिविल सर्जन डॉ रवि तिवारी ने एनपीजी ने कहा है कि…

घटना मेरे संज्ञान में आयी है, हमने मरीज के एडमिशन से लेकर रेफर तक के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है, हमने कल शाम 4 बजे तक रिपोर्ट तलब की है, रिपोर्ट मिलने के बाद जो कोई भी दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

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