UNICEF की पहल: 7 में से 1 युवा मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित, चौबे बोले शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य
- दो दिवसीय नोनी जोहार कार्यक्रम की हुई शुरुआत
- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के विषयों पर केंद्रित रहा पहला दिन
- यूनिसेफ की पहल, मानसिक स्वास्थ्य सर्वांगीण स्वास्थ्य की ओर : एक अभिनव प्रयास
- विभिन्न सेशन के माध्यम से युवा मानसिक स्वास्थ्य और लड़कियों के सामने मौजूदा समस्या पर हुई चर्चा
- चेतना देसाई ने कहा - छत्तीसगढ़ में मेंटल हेल्थ को कम्युनिटी में ले जाना हमारा उद्देश्य
UNICEF रायपुर। मानसिक स्वास्थ्य आज पूरी दुनिया के लिए तेजी से उभरती चुनौती है। खासकर 15 से 29 वर्ष के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या है। भारत एक युवा देश है, ऐसे में पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां इस विषय पर खुलकर बात करना और भी जरूरी हो जाता है। विश्व में हर सातवे व्यक्ति में से एक मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित हैं। यह चुनौती छत्तीसगढ़ में भी है, जिसे दूर करने के लिए यूनिसेफ और उसकी सहयोगी संस्थाएं पूरे प्रदेश में लगभग 10 हजार वॉलंटियर्स के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैला रहे हैं और स्वस्थ संवाद का माहौल तैयार कर रहे हैं।
इसी उद्देश्य से आज यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से वी द पीपुल, अलायंस फॉर बिहेवियर चेंज और माई एफएम के संयुक्त तत्वावधान में एक आयोजन की आज शुरुआत हुई। नोनी जोहार कार्यक्रम का पहला दिन विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के विषय पर केंद्रित रहा। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। स्वागत भाषण सामाजिक कार्यकर्ता मंजीत कौर बल ने दिया, जिसमें उन्होंने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला।
यूनिसेफ की चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट चेतना देसाई कहा कि हमारा उद्देश्य था कि छत्तीसगढ़ में मेंटल हेल्थ को कम्युनिटी में ले जाना था। हमने इस कार्यक्रम को तीन जिलों से शुरू किया था आज यह छत्तीसगढ़ में हर जिले में चल रहा है। देश में भी हमारी पहल की बात हो रही है। अलग अलग मुद्दों को लेकर युवा खुलकर बात कर सके यही हमारा उद्देश्य है। एसबीसी स्पेशलिस्ट अभिषेक सिंह ने नोनी जोहर के दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा बताई।
जनसंपर्क विभाग के संचालक सौमिल रंजन चौबे मंच से कार्यक्रम को सम्बोधित किया। चौबे ने कहा कि आज के परिवेश में शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी मानसिक स्वास्थ्य भी है। मेंटल हेल्थ को नापने का कोई पैरामीटर नहीं है। इंडिया में 15 साल अब 29 साल के बीच के आयुवर्ग के लोगों में सुसाइड रेट ज्यादा है, ये एक विकराल समस्या है। लेकिन इस पर अब तक अच्छी तरह बातचीत नहीं हुई है या वह बात परिणाममूलक नहीं है। हम दुनिया के विकसित देशों से ज्यादा बेहतर इस दिशा में काम किया है। अमेरिका ने जो अधिकार महिलाओं को 150 साल बाद दिया था वो मतदान का अधिकार हमने अपनी आजादी के पहले दिन से दिया। हमें प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक मेंटल हेल्थ पर काम करना जरूरी है। सभी को जागरूक होकर एक साथ इस विषय पर काम करना होगा ताकि लगातार बातचीत होती रहे। आपस में संवाद बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम के प्रारंभिक सेशन के बाद आइस ब्रेकिंग सेशन में विभिन्न गतिविधियां कराई, जिसमें क्विज़, डांसिंग जैसे अलग अलग फ़न सेशन हुए। इस सेशन के बाद स्ट्रेस फ्री सेशन आओ बात करें में लोगों ने एक दूसरे से विचार साझा किए। कार्यक्रम में नेहरू युवा केन्द्र और अविन्या संगठन रायगढ़ के वालंटियर्स ने महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और समाज में बढ़ रहे यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता पर एकाग्र नाटक की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में इंगेजिंग विथ मेंटल वेल बिंग ऑफ़ यंग इंडिया विषय पर केंद्रित सेशन का आयोजन किया गया। जिसमें कोंडानार की युवोदय यूथ वालंटियर कु. गीतेश्वरी नेगी, प्रोग्राम कॉर्डिनेटर आओ बात करें दानिश.के.हुसैन, साइकोलॉजिस्ट और काउन्सलर नितिन श्रीवास्तव, मंकी स्पोर्ट्स के फाउंडर कौशल अग्रवाल ने परिचर्चा में भाग लिया। इस सेशन के बाद रैपर निखिल तांडेकर ने रैप सॉन्ग की प्रस्तुति दी। इसी क्रम में विभूति दुग्गड़ ने ”उम्मीदो भरे खत” सेशन के माध्यम से युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यता और इस विषय में लगातार बात करने रहने की जरूरत पर प्रकाश डाला और थियेटर आर्टिस्ट मंजुल भारद्वाज ने रचनात्मक ढंग से “कहानी की शुरुआत” की प्रस्तुति दी।