Sarveshvari Samooh News: शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य में नैतिक और चारित्रिक विकास-बाबा संभव राम, विद्यार्थियों में स्कूल किट का वितरण...
Sarveshvari Samooh News: वाराणसी(पड़ाव)। अघोर पीठ, सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम प्रांगण में संचालित अवधूत भगवान राम नर्सरी विद्यालय के नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों को सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद औघड़ गुरुपद संभव राम जी के हाथों स्कूल बैग, कापियाँ और शारीरिक स्वच्छता के लिए एक किट वितरित किया गया। किट में साबुन शैम्पू, ब्रश, पेस्ट, कंघी आदि रखी थी। बाबा ने बच्चों को अच्छे से पढाई करके राष्ट्र-रक्षण के योग्य बनने तथा अपने में नैतिकता का विकास कर एक कुशल नागरिक बनने और अपने देश का नाम विश्व में ऊँचा करने का आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक रमेश जी, विद्यालय के सभी अध्यापक और अध्यापिकाएं तथा संस्था के अन्य पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे।
अघोर पीठ सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम् , अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम, पड़ाव, वाराणसी के प्रांगण में चलने वाला अवधूत भगवान राम नर्सरी विद्यालय की स्थापना सन् 1973 में परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान रामजी ने बालमन में भारतीय संस्कारों के बीजारोपण के पावन उद्देश्य से किया है। इस बाल वाटिका को संचालित करने के लिए अघोरेश्वर महाप्रभु ने एक व्यवहारिक शिक्षा पद्धति दी है। इस पद्धति के माध्यम से बालमन के सम्यक् विकास का आवश्यक प्रयास किया जाता है। आश्रम के आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा के वातावरण में अध्ययनरत बच्चों का मानसिक स्तर बहुत ही ऊँचा रहता है।
बच्चों में राष्ट्रीयता की भावना भरने के साथ ही खेती-बारी और औषधीय पौधों का ज्ञान कराया जाता है। देश सेवा के अनेक प्रमुख संस्थानों यथा भारतीय सेना, इसरो, डीआरडीओ आदि में यहाँ पढ़े हुए बच्चे अपनी सेवा दे चुके या दे रहे हैं। वर्तमान में सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी ने संस्था की अनेक शाखाओं में बाल वाटिका का प्रारंभ करवाया है। उल्लेखनीय है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों विशेषकर आदिवासी बच्चों की निःशुल्क शिक्षा-व्यवस्था, भोजन, वस्त्र एवं आवासीय सुविधा भी इस संस्था की अनेक शाखाओं की बाल-वाटिकाओं में उपलब्ध कराई जाती है। प्रतिभावान कुशाग्र विद्यार्थियों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्वर्ण पदक प्रदान कर वर्ष भर के शिक्षण शुल्क के बराबर प्रोत्साहन राशि प्रदान कर बच्चों को उत्साहित किया जाता है।