Chhattisgarh land scam 2024: छत्तीसगढ़ में SDM ने लैंड यूज बदलकर रजिस्ट्री और इंकम टैक्स को 500 करोड़ की लगाई चपत, 10 हजार करोड़ की ब्लैक मनी हुई व्हाईट...

Chhattisgarh land scam 2024: इस खबर की हेडिंग से आप हैरान होंगे कि छत्तीसगढ़ का एसडीएम इतना पावरफुल हो सकता है। मगर यह सही है कि उसने आवासीय और कमर्सियल लैंड को एग्रीकल्चर में चेंज किया और जैसे ही रजिस्ट्री हो गई, फिर से उसे आवासीय और कमर्सियल में बदल दिया। पिछले पांच साल में यह खेला पूरे छत्तीसगढ़ में हुआ, मगर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और दूसरे बड़े शहर बिलासपुर में तो पराकाष्ठा हो गया। जाहिर सी बात है कि रायपुर, बिलासपुर में ही सक्षम लोग और बड़े भूमाफिया, बिल्डर अधिक हैं।

Update: 2024-09-06 07:41 GMT

Chhattisgarh land scam 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ में लैंड यूज बदलकर बड़े राजनेताओं, भूमाफियाओं और बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का बड़ा मामला सामने आया है। जमीनों के डायवर्सन में खेला तो पूरे छत्तीसगढ़ में हुआ। मगर रायपुर और बिलासपुर इसमें सबसे आगे रहा। इन दोनों शहरों में आरगेनाइज ढंग से काम किया गया। डायवर्टेड जमीन का लैंड यूज बदलकर उसे कृषि कर दिया गया। और रजिस्ट्री होने के बाद फिर एसडीएम ने उसका लैंड यूज बदल दिया।

दरअसल, लैंड डायवर्सन का अधिकार एसडीएम के पास होता है। एसडीएम अपनी टीम से सर्वे के बाद उसका लैंड यूज तय करता है। एसडीएम के बाद फिर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का काम प्रारंभ होता है। रायपुर, बिलासपुर के एक एसडीएम ने गजब का खेला किया। इक्का-दुक्का मामला होता तो शायद ये मामला उजागर भी नहीं होता। मगर सैकडां की संख्या में माफिया की तरह किया गया कारनामों की कलई अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। सबसे बड़ी बात कि इस गड़बड़झालों से राज्य के खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ। जानकारों का कहना है कि जिस तरह के मामलों को अंजाम दिया गया है, उससे रजिस्ट्री और इंकम टैक्स को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ होगा। वहीं करीब 10 हजार करोड़ की ब्लैकमनी, व्हाईट की गई।

आवासीय जमीन कृषि

अगर एक बार किसी जमीन का लैंड यूज बदलकर कृषि से आवासीय या फिर कामर्सियल हो गया तो फिर ये कतई संभव नहीं कि उसे फिर से लैंड यूज बदलकर कृषि कर दिया जाए। वो भी एकाध केस नहीं, रायपुर, बिलासपुर में 100 से अधिक भूखंडों का लैंड यूज बदल दिया गया। जाहिर है, लैंड यूज आम आदमी नहीं बदलवाता। बडे़ रसूखदार लोग या फिर राजनेता या बिल्डर और भूमाफिया ही एकड़ में बड़े भूखंड खरीदे रहते हैं। और इस केस में वे लोग ही एसडीएम के जरिये इस खेला को अंजाम दिए।

मनी लॉड्रिंग

कृषि जमीन की तुलना में आवासीय और कामर्सियल लैंड का सरकारी रेट दस गुना अधिक रहता है। मसलन, कृषि भूमि का रेट अगर 300 रुपए फुट होगा तो आवासीय और कामर्सियल का 3000 फुट से भी अधिक। आवासीय को अगर कृषि भूमि में एसडीएम ने चेंज कर दिया तो रजिस्ट्री 300 रुपए के रेट से होगा। इससे राज्य सरकार और इंकम टैक्स का नुकसान होता है। क्योंकि, रजिस्ट्री 300 के रेट से होगा ही एक नंबर में 300 रुपए के हिसाब से विक्रेता को देना होगा। बाकी पैसा कैश में। इससे बड़े राजनेताओं, भूमाफियाओं और बिल्डरों का ब्लैकमनी व्हाइट हो गया। उपर से इंकम टैक्स को नुकसान हुआ सो अलग। अगर आवासीय और कामर्सियल रेट से जमीन की रजिस्ट्री होगी तो रजिस्ट्री विभाग को दस गुना अधिक पैसे मिले होते, वहीं इंकम टैक्स विभाग को भी उसी हिसाब से टैक्स मिला होता।

पांच साल की जांच

राज्य सरकार सिर्फ रायपुर और बिलासपुर में पिछले पांच साल के लैंड यूज चेंज की जांच करा ले तो जानकारों का दावा है कि अब तक का सबसे बड़ा लैंड स्केम सामने आएगा। इसमें एसडीएम, तहसीलदार से लेकर बड़े राजनेता, नौकरशाह, भूमाफिया और बिल्डर लपेटे में आएंगे। क्योंकि, बहती गंगा में इन लोगों ने खूब डूबकी लगाई है।

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