CG Teacher Transfer: DPI के साथ शिक्षक नेताओं की बैठक में ट्रांसफर और प्रमोशन का भी उठेगा मुद्दा, युक्तियुक्तकरण पर क्या होगा शिक्षकों का स्टैंड?

CG Teacher Transfer: युक्तियुक्तकरण का विरोध कर रहे शिक्षक संगठनों के नेताओं को डीपीआई दिव्या मिश्रा ने आज बातचीत के लिए बुलाया है। बैठक में युक्तियुक्तकरण प्रमुख मुद्दा होगा ही, इसके अलावा शिक्षकों की समस्याओं से जुड़े और कई मसले भी उठेंगे।

Update: 2024-08-28 06:48 GMT

CG Teacher Transfer: रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने विष्णुदेव साय सरकार शिक्षकों के साथ स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करने जा रही है। दोनों के युक्तियुक्तकरण के 13 हजार शिक्षक सरप्लस हो रहे हैं। जाहिर है, इन अतिशेष शिक्षकों को छत्तीसगढ़ के 5781 शिक्षक विहीन और सिंगल टीचर वाले स्कूलों में पोस्ट किया जाएगा। ये 5781 स्कूल जिला मुख्यालयों से काफी दूर रिमोट एरिया में हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों ने मोटी रिश्वत देकर या फिर एप्रोच के बूते शहरों में अपना ट्रांसफर करा लिया। अब उन स्कूलों के बच्चे भगवान भरोसे हैं। आप समझ सकते हैं, जब टीचर ही नहीं होंगे, तो उन 5781 गांवों के नौनिहालों के भविष्य का क्या होगा?

युक्तियुक्तकररण पर मुख्य चर्चा

शिक्षक संगठनों के नेताओं ने युक्तियुक्तकरण का जबर्दस्त विरोध करते हुए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी है। शिक्षक संगठनों की हड़ताल की नोटिस के बाद डीपीआई दिव्या मिश्रा ने आज नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया है। इंद्रावती भवन में आज अपरान्ह तीन बजे डीपीआई के साथ शिक्षक नेताओं की बैठक होगी। इसमें प्रमुख चर्चा युक्तियुक्तकरण पर होगी। जैसा कि जानकारों का कहना है कि सरकार की प्रतिनिधि के तौर पर डीपीआई शिक्षक संगठनों के नेताओं को समझाने का प्रयास करेंगी कि 5781 स्कूलों के बच्चों के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए युक्तियुक्तकरण जरूरी है, इसके राह में शिक्षक रोड़ा न बनें। अलबत्ता, वे शिक्षकों से चाहेंगी कि वे इसमें सहयोग करें। हो सकता है कि वे यह भी गारंटी दें कि शिक्षक नेताओं और उनसे जुड़े शिक्षकों को अतिशेष के केटेगरी से अलग रखा जाएगा। कुल मिलाकर डीपीआई की कोशिश होगी कि किसी तरह बीच का रास्ता निकाल युक्तियुक्तकरण किया जाए। क्योंकि, स्कूल शिक्षा विभाग के कौशनल की कसौटी होगी। वो इसलिए कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस समय खुद स्कूल शिक्षा विभाग के भारसाधक मंत्री हैं और उनके निर्देश पर ही युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। मगर शिक्षक नेताओं के तेवर को देखकर ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वे पीछे हटेंगे। शिक्षक नेताओं की कोशिश होगी कि किसी तरह युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में सरकार ब्रेक लगाए।

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ट्रांसफर, प्रमोशन का मसला भी

डीपीआई के साथ बैठक में सिर्फ युक्तियुक्तकरण का मसला ही नहीं उठेगा बल्कि शिक्षक नेता स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमोशन और ट्रांसफर का मामला भी उठा सकते हैं। जाहिर है, स्कूल शिक्षा विभाग में लंबे समय से प्रमोशन नहीं हुआ है। हालांकि, विष्णुदेव साय सरकार प्रमोशन की दिशा में काम करते हुए ग्रेडेशन लिस्ट तैयार कर लिया है। मगर अभी तक मामला फाइनल नहीं हुआ है।

छत्तीसगढ़ के 5500 स्कूल अगर एक शिक्षक के भरोसे चल रहे और 300 स्कूल शिक्षक विहीन है। उधर, 13 हजार सरप्लस शिक्षक स्कूलों में बिना काम के कुर्सी तोड़ रहे। सिस्टम से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्या स्कूल शिक्षा विभाग संचालनालय से लेकर खटराल ज्वाइंट डायरेक्टर इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं? इन शिक्षकों की पोस्टिंग आखिर इनलोगों ने ही तो की है।

स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने जा रही है। दो-दो, चार-चार बच्चों के लिए चलाए जा रहे 4077 स्कूलों को आसपास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। और एक ही कैंपस में दो-तीन स्कूल होंगे, तो उन्हें आपस में मिला दिया जाएगा। इससे करीब छह हजार शिक्षक एक्सट्रा हो जाएंगे। उधर, 7300 शिक्षक विभिन्न जिला मुख्यालय के स्कूलों में अतिशेष हैं। दोनों को मिलाकर करीब 13 हजार शिक्षक सरप्लस हो रहे हैं।

300 स्कूल शिक्षक विहीन

छत्तीसगढ़ के 300 स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 5500 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 231 मीडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक पोस्टेड हैं। अब आप समझ सकते हैं कि एक शिक्षक आठवीं तक के बच्चों को कैसे पढ़ाता होगा। इसी तरह 45 मीडिल स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। याने पूरा रामभरोसे चल रहा स्कूल शिक्षा विभाग का सिस्टम। इसी तरह प्रायमरी स्कूलों में 5253 स्कूल बरसों से एक शिक्षक भरोसे चल रहे हैं। इसी तरह प्रायमरी में 252 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। याने शिक्षक विहीन।

40 बच्चे पर 9 शिक्षक

एक तरफ 300 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं और 5500 स्कूल सिर्फ एक मास्टर साहब के सहारे चल रहे हैं और सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं, जहां सेटअप से अधिक शिक्षक पोस्टेड हो गए हैं। भिलाई के एक मीडिल स्कूल में 40 बच्चे हैं और वहां नौ शिक्षक पोस्टेड हैं। सरप्लस शिक्षकों में सबसे अधिक रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ की स्थिति खराब है। प्रायमरी में रायपुर में 424 शिक्षक सरप्लस हैं। वहीं, बिलासपुर में 264, रायगढ़ में 217, जांजगीर में 198, बलौदा बाजार में 211, बालोद 170, धमतरी 180 अतिशेष स्कूल हैं। वहीं, बस्तर में 425 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे संचालित हैं। इसी तरह कांकेर 318 और रायगढ़ में 251, बलरामपुर 251 और सूरजपुर में 236 स्कूलों में शिक्षक विहीन हैं। इसी तरह जीरो शिक्षक वाले स्कूलों में 32 और बीजापुर में 51 और बलरामपुर में 23 स्कूल शिक्षक विहीन हैं।

अधिकारी की जिम्मेदारी, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं?

पिछली सरकारों की गल्तियों को दुरूरूत करने विष्णुदेव साय सरकार युक्तियुक्तकरण करने जा रही है। मगर सवाल यह भी है कि इन 13 हजार अतिशेष शिक्षकों को पोस्ट किसने किया? क्या इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर और डीपीआई के अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं बनती। डीपीआई में बैठे बड़े अधिकारी और संभागों में तैनात ज्वाइंट डायरेक्टरों ने मोटा पैसा लेकर जहां जरूरत नहीं, वहां भी इन शिक्षकों को पोस्ट कर दिया। अफसरों के पास स्कूलों की संख्या के साथ ही पूरा सेटअप होता है। जब उन्हें मालूम था कि स्कूलों में जब स्वीकृत पोस्ट के अनुसार शिक्षक काम कर रहे हैं, तब क्यों वहां और शिक्षकों की पोस्टिंग क्यों कर दी। जब पैसे लेकर पोस्टिंग की तो क्या उन पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। युक्यिक्तकरण का विरोध कर रहे शिक्षक संगठनों के नेताओं का भी यही कहना है कि अतिशेष के लिए शिक्षकों से ज्यादा जिम्मेदार डीपीआई के अधिकारी और ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। पहले कार्रवाई उन पर होनी चाहिए।

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