CG Teacher News: शिक्षा विभाग प्रमोशन घोटाला: 2024 के बजाय 2 साल पुराने 2023 की वरिष्ठता सूची के आधार पर शिक्षक एलबी का प्रमोशन! मास्टर माइंड की होने लगी तलाश...
CG Teacher News: व्याख्याता प्रमोशन में हुई गड़बड़ियों का खुलासा NPG.NEWS ने पदोन्नति आदेश जारी होने के महज एक घंटे के भीतर कर दिया था। इसके बाद से ही NPG.NEWS पर्दे के पीछे खेले गए खेल का भंडाफोड़ करते आ रहा है। पर्दे के पीछे शिक्षा विभाग के जिन अफसरों ने खेल खेला अब उसका भांडाफोड़ हो गया है। पदोन्नत आदेश जारी करने में गजब का खेला किया है।
CG Teacher News: रायपुर। व्याख्याता प्रमोशन में हुई गड़बड़ियों का खुलासा NPG.NEWS ने पदोन्नति आदेश जारी होने के महज एक घंटे के भीतर कर दिया था। इसके बाद से ही NPG.NEWS पर्दे के पीछे खेले गए खेल का भंडाफोड़ करते आ रहा है। पर्दे के पीछे शिक्षा विभाग के जिन अफसरों ने खेल खेला अब उसका भांडाफोड़ हो गया है। पदोन्नत आदेश जारी करने में गजब का खेला किया है। विभाग ने शिक्षक एलबी के प्रमोशन आर्डर में पूरे एक साल का खेल कर दिया है। 2024 की वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति देनी थी, अफसरों ने 2023 की वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति दे दी है। वरिष्ठता क्रमांक के साथ जारी किए गए आदेश का 2023 की वरिष्ठता सूची से मिलान करेंगे तो सब-कुछ साफ हो जाएगा।
दरअसल विभाग ने प्रमोशन ऑर्डर जारी करने के साथ उसमें जारी वरिष्ठता क्रमांक, 2024 से मैच ही नहीं कर रहा है। इसके बाद यह सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है, वह भी तब, जब 29 सितंबर 2025 को विभाग ने डीपीआई के अपने ही वेबसाइट पर 1 अप्रैल 2024 की स्थिति में जारी अंतिम वरिष्ठता सूची का प्रकाशन किया है । इस मामले की जब गंभीरता से जांच की तो पता चला की डीपीआई की ही वेबसाइट पर 6 नवंबर 2024 को जारी एक और वरिष्ठता आदेश है, जो 1 अप्रैल 2023 की स्थिति में जारी अंतिम वरिष्ठता सूची है। और इसी के आधार पर प्रमोशन का आदेश जारी किया गया है।
बड़ा सवाल: क्या 2 साल पुराने आदेश पर जारी किया जा सकता है पदोन्नति आदेश?
दरअसल इस सच्चाई के सामने आते ही सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है, क्या विभाग ऐसा कर सकता है। नियमों व प्रावधानों पर नजर डालें तो यह पूरी तरह नियम विरुद्ध है। ऐसा कर ही नहीं सकते। नियमों व प्रावधानों पर गौर करें तो जैसे ही नई वरिष्ठता सूची जारी होती है वैसे ही पुरानी वरिष्ठता सूची के आधार पर इस प्रकार का कोई भी कार्रवाई और असंवैधानिक हो जाता है । देश के विभिन्न न्यायालयों ने भी अपने निर्णय में इस बात का उल्लेख किया हुआ है कि, प्रमोशन हमेशा नवीनतम वैध वरिष्ठता सूची के आधार पर किया जाना चाहिए। ऐसे में पुरानी सूची (2023), नई सूची (2024) के आने के बाद स्वतः अप्रासंगिक हो गया है।
आखिर किसे लाभ पहुंचाने के लिए खेला गया है यह बड़ा खेल
इस पूरे मामले में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और डीपीआई शामिल हैं, उनकी चुप्पी हैरान कर देने वाली है। नियमित शिक्षक संघ और एलबी संवर्ग के वे शिक्षक जिनका नाम छूटा हुआ है वह लगातार इस मामले को लेकर हमलावर हैं। बावजूद इसके विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस मामले में किसी प्रकार का कोई एक्शन न लिया जाना समझ से परे है। वह भी तब जब इसके चलते पूरे स्कूल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
किसने किया खेला, क्या है मंशा?
शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, आखिर किसने इस तरह की गड़बड़ी को अंजाम दिया। फर्जीवाड़ा के पीछे उनका अपना स्वार्थ क्या है। प्रमोशन को लेकर शिक्षक लंबे समय से राह देख रहे हैं। हाई कोर्ट में इसी तरह की याचिकाओं पर कोर्ट का फैसला आया है। हैरान करने वाली बात ये कि शिक्षक संगठनों द्वारा डीपीआई के अफसरों को नियमों का हवाला देते हुए पदोन्नति सूची जारी ना करने की मांग की गई थी। इसके कुछ घंटे बाद ही पदोन्नति सूची जारी कर दी गई। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिरकार इतनी बड़ी गड़बड़ी आखिर किसके इशारे पर हुई है।
स्वाभाविक है कि 2023 की वरिष्ठता सूची के आधार पर प्रमोशन देने का फैसला कोई सामान्य निर्णय नहीं है, वह भी तब जब विभाग ने स्वयं अपनी वेबसाइट पर 2024 की वरिष्ठता सूची जारी की है। सबसे बड़ी बात यह है कि विवादों में आते ही प्रमोशन ऑर्डर को डीपीआई की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है। पदोन्नति आदेश सोशल मीडिया के अलग-अलग ग्रुप में तो वायरल हुआ, पर विभाग ने अपनी वेबसाइट पर इसे अब तक अपलोड नहीं किया है। इसके पीछे की वजह यह हो सकती है कि NPG.NEWS ने महज एक घंटे के भीतर इस पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया था। नियमित शिक्षक संघ ने भी इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से कर दी है।
छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ ने सीएम व स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर जताई है नाराजगी
शिक्षक व प्रधान पाठक ई संवर्ग की घोर उपेक्षा करके 26 दिसंबर.2025 को केवल शिक्षक एलबी. संवर्ग से व्याख्याता पदोन्नति की गई है। शिक्षक व प्रधान पाठक ई संवर्ग को, वरिष्ठों की उपेक्षा पूरी तरह अनुचित व असंवैधानिक है। स्कूल शिक्षा विभाग के भर्ती पदोन्नति अधिनियम (राजपत्र मार्च 2019) का उल्लंघन है। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र व निर्देश के विपरीत है।
22 दिसंबर 2025 को विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में केवल शिक्षक एलबी. संवर्ग से व्याख्याता पदोन्नति हेतु नियम विरूद्ध डीपीसी के उपरान्त छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा (पत्र क्रमांक 119 24 दिसंबर 2025) आशुतोष चवरे, उपसंचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ को उपरोक्त विसंगतियों की ओर ध्यानाकृष्ट कराकर शीघ्र निराकरण की मांग रखी गई थी। उपसंचालक के आश्वासन के बाद भी उपरोक्त नियम विरूद्ध, असंवैधानिक पदोन्नति सूची वार्ता के दो दिन बाद ही उपसंचालक द्वारा ही हस्ताक्षरित आदेश 26 दिसंबर 2025 को निकाल दी गई है। जिसके कारण प्रदेश के शिक्षकों व प्रधान पाठकों ई संवर्ग में घोर आक्रोश व्याप्त है। निवेदन है कि शिक्षक एलबी संवर्ग से व्याख्याता के नियम विरुद्ध पदोन्नति को तत्काल हस्तक्षेप कर निरस्त कराते हुए शिक्षक व प्रधान पाठक ई संवर्ग तथा शिक्षक व प्रधान पाठक एलबी. संवर्ग की संयुक्त डीपीसी. के जरिए दोनों संवर्गो के पात्र शिक्षकों को नियमानुसार पदोन्नति प्रदान की जाए।
क्या कहते हैं शिक्षक संघ के पदाधिकारी
छत्तीसगढ़ विद्यालय शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष संजय तिवारी ने शिक्षा विभाग के आला अफसरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि पदोन्नति के विषय पर शिक्षा विभाग ने 8 दिसंबर 2025, को महाधिवक्ता कार्यालय को झूठी जानकारी दी है। प्रधान पाठकों की पदोन्नति के संबंध में 8 दिसंबर को ओआईसी एवं बलौदा बाजार जिला शिक्षा अधिकारी ने महाधिवक्ता कार्यालय में शपथ पत्र देते हुए जानकारी दी कि सभी प्रधान पाठकों को पदोन्नति दी जा चुकी है। इस आधार पूरा मामला अब निष्प्रभावी हो चुका है। शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय सहित उच्च न्यायालय को प्रधान पाठकों की पदोन्नति देने की झूठी जानकारी दी जा रही है। 22 दिसंबर को गठित डीपीसी में इनके नामों पर भी विचार नहीं किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नत फोरम के अनिल शुक्ला का कहना है कि पदोन्नति से पहले डीपीसी के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम व मापदंड तय कर रखा है। नियमानुसार नियमित शिक्षक व शिक्षक एलबी का साझा डीपीसी करना होगा। इसके बाद ही पदोन्नति सूची जारी किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर अपने ही बनाए नियम व कायदे को दरकिनार कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो प्राचार्य पदोन्नति की तरह मामला एक बार फिर अदालत में पहुंचेगा। नियमो के विपरीत पदोन्नति के लिए डीपीसी कराना विभागीय अफसरों की स्वेच्छारिता ही कहा जाएगा।