CG School News: सावधान, MDM की गुणवत्ता हो रही चेक: गुणवत्ता तय मापदंड के आधार पर नहीं मिली तो स्व सहायता समूहों से अनुबंध होगा निरस्त...
CG School News: बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बनने वाले मध्यान्ह भोजन एमडीएम के गुणवत्ता की जांच की जा रही है। जांच के दौरान कैलोरी और प्राेटीन की जांच की जा रही है। तय मापदंड के अनुसार भोजन ना बनने पर स्व सहायता समूहों से किए गए अनुबंध को निरस्त किया जाएगा। चीफ सिकरेट्री के आदेश के बाद अब कड़ाई बरतने का निर्णय लिया है।
CG School News: रायपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बनने वाले मध्यान्ह भोजन एमडीएम के गुणवत्ता की जांच की जा रही है। जांच के दौरान कैलोरी और प्राेटीन की जांच की जा रही है। तय मापदंड के अनुसार भोजन ना बनने पर स्व सहायता समूहों से किए गए अनुबंध को निरस्त किया जाएगा। चीफ सिकरेट्री के आदेश के बाद अब कड़ाई बरतने का निर्णय लिया है। एमडीएम बनने के बाद सबसे पहले भोजन शिक्षक चख रहे हैं, उनके द्वारा सही रिपोर्ट देने के बाद बच्चों को भोजन परोसा जा रहा है। शिक्षक जब भोजन चखेंगे तो उसे रजिस्टर में दर्ज भी कर रहे हैं।
चीफ सिकरेट्री के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। एमडीएम में कैलोरी और प्रोटीन की जांच के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने अमरावती के लैब से अनुबंध किया है। लैब के तकनीकी स्टाफ एमडीएम की गुणवत्ता जांच करने के साथ ही प्रोटीन और कैलोरी की भी जांच कर रहे हैं। एमडीएम में कैलोरी की कमी की शिकायत मिल रही थी। इसके पीछे कारण बताया था कि एमडीएम में बच्चों को चावल तो मिल रहा है, दाल प्रतिदिन नहीं बन रहा है, अगर बना भी रहे हैं तो क्वालिटी इतनी घटिया है कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिल पा रही है।
45 हजार स्कूलों में पढ़ाई कर रहे 55 लाख बच्चे, 25 लाख बच्चों को एमडीएम
आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में 45 हजार सरकारी स्कूलों में 55 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से 25 लाख बच्चों को एमडीएम परोसा जाता है। एमडीएम योजना पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों के लिए है। अधिकांश में स्व सहायता समूहों को ही जिम्मेदारी दी गई है। एनजीओ के माध्यम से बन रहे मध्यान्ह भोजन की निगरानी भी बेहद जरुरी है। राज्य सरकार की व्यवस्था के तहत भोजन को विशेष प्रकार के पॉलिथिन में पैक कर लैब भेजा रहा है। लैब में एमडीएम की क्वालिटी की जांच की जा रही है।