Alok Kumar Chakrawal: शिक्षक में राष्ट्र का उन्नायक बनने की क्षमता है- कुलपति प्रो. चक्रवाल, CU में तीन दिवसीय 57वीं आईएटीई की राष्ट्रीय संगोष्ठी...

Alok Kumar Chakrawal: शिक्षक में राष्ट्र का उन्नायक बनने की क्षमता है- कुलपति प्रो. चक्रवाल, CU में तीन दिवसीय 57वीं आईएटीई की राष्ट्रीय संगोष्ठी...

Update: 2025-02-20 16:57 GMT
Alok Kumar Chakrawal: शिक्षक में राष्ट्र का उन्नायक बनने की क्षमता है- कुलपति प्रो. चक्रवाल, CU में तीन दिवसीय 57वीं आईएटीई की राष्ट्रीय संगोष्ठी...
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Alok Kumar Chakrawal: बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय में 20-22 फरवरी तक तीन दिवसीय 57वीं आईएटीई की राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल की अध्यक्षता में हुआ।

20 फरवरी, 2025 को सुबह 10.30 बजे रजत जयंती सभागार में आयोजित उद्घाटन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि युगों से शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका रही है। शिक्षक में राष्ट्र का उन्नायक बनने की क्षमता निहित है।

विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ टीचर्स एजुकेटर्स के संयुक्त तत्वावधान में शेपिंग टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम्स: मेकिंग दि फ्यूचर टीचर विषय पर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि शिक्षा के व्यावसायीकरण के दौर में एक अच्छा शिक्षक बनना बड़ी चुनौती है। व्यावसायीकरण के चलते हमने मानवीयता एवं नैतिकता की तुलना में लाभार्जन पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर दिया है। अच्छा शिक्षक बनने के लिए हमें संवेदनशील और मूल्यनिष्ठ गुणों से संपन्न होना होगा। शिक्षक के शिक्षा और शिक्षण के केंद्र में सदैव से विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होता है।

संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. संजीव सोनावने, कुलपति, यशवंतराव चव्हाण, महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय नासिक ने कहा कि विकसित भारत 2047 के निर्माण में शिक्षक की भूमिका अहम है। शिक्षक का मूल्य तथा कौशल आधारित शिक्षा विदायर्थियों को प्रदान करना चाहिए। आईएटीई के अध्यक्ष प्रो. एम. मियां ने कहा कि शिक्षक का ज्ञानवान होने के साथ ही उत्तरदायित्व का बोध आवश्यक है। नकारात्मकता से दूर रहते हुए शिक्षक को ईमानदार एवं नैतिकबल से संपन्न होना चाहिए।

बीज वक्तव्य देते हुए प्रो. धनंजय यादव, निदेशक, एमएमटीसी एवं विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा में समाहित करते हुए वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप विद्यार्थियों के कौशल विकास पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि प्रो. बी.आर. कुकरेती, महासचिव, आईएटीए ने कहा कि इंडियन एसोसिएशन ऑफ टीचर्स एजुकेटर्स द्वारा किये जा रहे कार्यों का ब्योरा दिया।

इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती, बाबा गुरु घासीदास एवं छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। नन्हें पौधों से अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत उद्बोधन शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संबित कुमार पाढ़ी ने दिया। शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. सी.एस. वझलवार ने शिक्षा विभाग की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कुलसचिव प्रो. ए.एस. रणदिवे ने विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न योजनाओँ के साथ उपलब्धियों के विषय में जानकारी दी।

इस अवसर पर 57वीं आईएटीई संगोष्ठी में प्रो. विभा जोशी, प्रो. आर.पी. पाठक और वृंदा वाजले को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. सुजीत कुमार मिश्रा ने तथा संचालन डॉ. जानकी धपोला एवं अल्पना ने किया। अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर संक्षेपिका, आईएटीई के जर्नल एवं पुस्तकों का विमोचन हुआ। उद्घाटन कार्यक्रम में आईएटीई के पदाधिकारी, विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षक एवं अधिकारी, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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