Kunkuri Church Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के जशपुर में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, 10 हजार लोग एक साथ कर सकते हैं प्रार्थना...

Update: 2023-02-13 08:01 GMT

npg.news डेस्क 

Kunkuri Church Chhattisgarh: भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में (Kunkuri Church Chhattisgarh) जशपुर जैसे छोटे से जिले में स्थित यह चर्च इतना सुंदर है कि अगर आप यहां आएं ,तो यूं लगेगा मानो प्रभू यीशु के प्रेम में मग्न किसी यूरोपीय कस्बे में आए हों। यहां सुकून है, यहां सद्भावना और मानवता को अहं पर तरजीह देने की सीख है, यहां हर कोने पर यीशु मसीह के जीवन के विभिन्न पड़ावों को प्रदर्शित करके छोटे काॅटेजनुमा निर्माण हैं, जिनमें प्रदर्शित मूर्तियों को देख कर आप द्रवित हुए बिना नहीं रह सकते।आखिर यीशु ने इतने अत्याचार जो सहे। फिर भी जाते-जाते सीख दे गए कि इंसानी भूलों को क्षमा करो और सबको प्रेम से अपनाओ क्योंकि ईश्वर ने सदा यही चाहा है।

कहाँ है चर्च

भारत का यह सबसे बड़ा चर्च 'अवर लेडी ऑफ रोज़री कैथेड्रल' जशपुर जिले के कुनकुरी में है। जिला मुख्यालय जशपुर से इसकी दूरी 16 किलोमीटर है।

प्रवेश के साथ ही खिल जाता है मन

गेट से भीतर प्रवेश करते ही चर्च तक ले जाने वाली सड़क के दोनों तरफ हरे-भरे वृक्षों की लंबी कतार है जो मन को सुकून के अहसास से भर देती है। जगह- जगह पर प्रभू यीशु के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रदर्शित करती मूर्तियां हैं। जिन्हें देखकर उनके बारे में पढ़ी हुई सारी घटनाएं आपके ज़ेहन में एकदम जीवंत हो उठती हैं। बहुत दूर से ही दिखाई देता है उस विशालकाय और एकमात्र 'बीम' का ऊपरी हिस्सा जिसके सहारे इतना विशाल चर्च बनाया गया है। सिर्फ इस बीम को बनाने में ही पूरे दो साल लग गए थे। लेकिन यह इसकी बहुत हैरान करने वाली खासियत भी है।

चर्च को खास बनाती है इसकी डिज़ाइन और विशाल आकार

बिशप स्तानिसलास ने बेल्जियम के सुप्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कारसी से इसका नक्शा बनवाया था। इस नक्शे ने ही इस चर्च को इतना खास बनाया। जोसेफ टोप्पो ने 1962 में इसका निर्माण शुरू करवाया जिसे वर्ष 1979 में मैनुस्टेन एसजे ने बिशप फ्रांसिस एक्का की अवधि में पूरा करवाया। इस महागिरजाघर का लोकार्पण वर्ष 1982 में हुआ। जब लोगों ने पहले -पहल इसे देखा तो वे अविभूत हो गए। दरअसल अर्द्ध गोलाकार में बने इस चर्च की डिज़ाइन ही कुछ ऐसी है जैसे प्रभू यीशु खुली बांहों से लोगों का स्वागत कर रहे हों। चर्च का आकार इतना विशाल है कि इसमें एक साथ 8000 से 10000 लोग प्रार्थना कर सकते हैं।

7 के अंक का विशेष महत्व है कुनकुरी चर्च में

कुनकुरी (Kunkuri Church Chhattisgarh)

के इस विशाल चर्च में सात के अंक का बहुत महत्व है। चर्च में 7 छतें हैं जो एक ही बीम पर टिकी हुई हैं। चर्च के फादर 7 के अंक के महत्व पर रौशनी डालते हुए बताते हैं कि हफ्ते में 7 दिन होते हैं। 7वां दिन भगवान का होता है। चर्च में 7 दरवाजें हैं। इसकी खिड़कियों पर 7 संस्कारों (बपतिस्मा, पवित्र परम प्रसाद ग्रहण, पाप स्वीकार संस्कार, दृढ़ीकरण संस्कार, विवाह संस्कार, पुरोहिताई संस्कार और रोगियों का संस्कार) के चिन्ह अंकित हैं।इन सातों संस्कारों का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। यीशू इन संस्कारों को अंगीकृत कर, इन्हें जीवन में उतारते हुए पूर्णता और प्रेम को फैलाने का सन्देश देते हैं।

कहाँ-कहाँ से आया चर्च के निर्माण के लिए सामान

फादर बताते हैं कि चर्च को बनाने के लिए पत्थर सतपुड़ा पर्वत से लाया लाल गया है। वहीं छत को उड़ीसा के राउरकेला से मंगाया गया है। संस्कार चिह्नों से युक्त खिड़कियां झारखण्ड में तैयार हुई हैं और चर्च की घंटी केरल से डोनेशन में प्राप्त हुई है। पवित्र आत्मा का प्रतीक है क्रॉस के ऊपर बना कबूतर, उसे छत्तीसगढ़ के बस्तर से बनवाया गया है।इस विशालतम और अद्भुत चर्च के निर्माण के लिए आदिवासी श्रमिकों ने अथक श्रम किया है।

कुनकुरी के इस (Kunkuri Church Chhattisgarh)

चर्च को प्रत्यक्षतः देखने हर साल देशी-विदेशी लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अगर आप यहां आएं तो इसकी बेहद खूबसूरत सजावट और शानदार प्रस्तुतियां आपका मन मोह लेंगी।

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