जन्मदिवस विशेष: मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत...अभाव रोड़ा नहीं सीढ़ी है

Update: 2022-10-15 16:05 GMT

Abdul Kalam

NPG DESK

शिक्षा किसी व्यक्ति को कहाँ से कहाँ पहुंचा सकती है यह जानना हो तो भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति और मिसाइल मैन, भारत रत्‍न स्‍वर्गीय डॉ. ए.पी.जे अब्‍दुल कलाम के जीवन को देखना चाहिए। कलाम आर्थिक दुश्वारियां झेल रहे परिवार की पांचवी संतान थे। उन्होंने स्कूली पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए अखबार बांटे और स्काॅलरशिप रद्द न हो जाए, इस डर से दिन रात जागकर महज 24 घंटों में राॅकेट का माॅडल भी बनाया और आगे चलकर मिसाइल मैन भी कहलाए, राष्ट्रपति भी बने। उनका पूरा जीवन विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है और सबक भी कि अभाव सीढ़ी हैं, रोड़ा नहीं। यही बात बच्चों को समझाने के लिए कलाम साहब के जन्मदिवस 15 अक्टूबर को छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए इस खास दिन पर जानते हैं मिसाइलमैन के अद्भुत जीवन के बारे में।

कैसा रहा बचपन

अब्दुल कलाम जी का जन्म तमिलनाडु में रामेश्वरम के तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता का नाम जैनलाब्दीन था जो पेशे से नावों को मछुआरों को किराये पर देने और बेचने का काम करते थे। कलाम जी के पिता अनपढ़ थे पर उनके विचार आम सोच से कहीं ऊपर थे।उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश की। इनकी माँ का नाम असीम्मा था।

अब्दुल कलाम कुल पांच भाई बहन थे जिसमें तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन थीं। जब अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब इनका परिवार गरीबी से जूझ रहा था। परिवार की मदद करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने छोटी सी उम्र में ही अखबार बेचने का काम शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों में वह पढ़ाई में सामान्य थे परन्तु नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। चीजों को सीखने के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे और घंटों पढ़ाई किया करते थे। गणित विषय इन्हें विशेष पसंद था। कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में ही पूरी की। सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली।

24 घंटे में बनाया राॅकेट का माॅडल

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम एक प्रोजेक्ट पर काम करने लगे। उनके प्रोजेक्ट इंचार्ज ने रॉकेट का मॉडल मात्र तीन दिन में पूरा करने का समय दिया और साथ यह भी कहा कि अगर यह मॉडल ना बन पाया तो उनकी स्कॉलरशिप रद्द हो जायेंगी। फिर क्या था? अब्दुल कलाम जी ने न रात देखी, ना ही दिन देखा, ना भूख देखी, ना ही प्यास देखी। मात्र 24 घंटे में अपने लक्ष्य को पूरा किया और रॉकेट का मॉडल तैयार कर दिया। प्रोजेक्ट इंचार्ज को विश्वास नहीं हुआ कि यह मॉडल इतनी जल्दी पूरा हो जायेंगा। अब्दुल कलाम ने अपने पूरे जीवन में चुनौतियों का इसी तरह डटकर सामना किया।

कैसा रहा कैरियर

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। इन्होनें प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। 1969 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इसरो (ISRO) आ गये और वहां पर इन्होनें परियोजना निर्देशक के पद पर काम किया। इसी पद पर काम करते समय भारत का प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया।

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में रहते हुए इन्होंने पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइल को ऑपरेशनल किया और मिसाइलमैन कहलाए। राजस्थान में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण (शक्ति2) को सफल बनाया। एपीजे अब्दुल कलाम ने 1998 के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूरी टीम को लीड किया।

आगे चलकर बने देश के राष्ट्रपति

अब्दुल कलाम विभिन्न सरकारों में विज्ञान सलाहकार और रक्षा सलाहकार के पद पर रहे। 1992 से 1999 तक वह मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ सचिव रहे। राष्ट्रपति से पहले वह पीएम के मुख्य सलाहकार भी रहे। एपीजे अब्दुल कलाम 11वें राष्ट्रपति थे। साल 2002 से 2007 तक वे राष्ट्रपति रहे। डाॅक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की बायोग्राफी, 'विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी' अंग्रेजी में छपी थी। लेकिन यह इतनी प्रसिद्ध हुई कि चीनी और फ्रेंच सहित 13 भाषाओं में यह किताब छपी।

स्कूल के दिनों में कलाम अपने एक शिक्षक अयादुरै सोलोमन से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। उनके शिक्षक का मानना यह था कि ख्वाहिश, उम्मीद और यकीन को हमेशा अपने जीवन में रखना चाहिए। इन तीन मूल मंत्रों के कारण आप अपनी मंजिल को बिना किसी परेशानी के पा सकते हैं। इन मूल मंत्रों को अब्दुल कलाम जी ने सदा याद रखा और अपने आखिरी समय तक वे विद्यार्थियों को मेहनत करने के साथ उम्मीद का दामन थामे रहने की सीख देते रहे। यहाँ तक की उनकी मृत्यु भी 27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहटी में बच्चों को संबोधित करते समय कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई। अब वे तो नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो अद्भुत जीवन जिया वह छात्रों के लिए उदाहरण है। जिससे उन्हें आज के दिन स्कूलों में परिचित कराया जाता है।

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