Janjgir-champa district : जांजगीर-चांपा जिले को जानिए : जांजगीर-चांपा जिले का इतिहास और सामान्य परिचय
जांजगीर-चांपा जिला छत्तीसगढ़ के मध्य भाग में स्थित है। इस वजह इसे छत्तीसगढ़ का हृदय भी कहा जाता है।यह जिला खाद्यान्न उत्पादन में अग्रणी है। हसदेव परियोजना जिले को छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक सिंचित जिला बनाती है। जिले का जनसंख्या घनत्व 420 व्यक्ति वर्ग किमी है जो प्रदेश में सर्वाधिक है। यहाँ का 'कोसा उद्योग ' बेहद प्रसिद्ध है। माता शबरी का आश्रम जिले के शिवरीनारायण में स्थित है।कोटमीसोनार में अनोखा क्रोकोडाइल पार्क स्थित है।यह छत्तीसगढ़ के मूर्धन्य साहित्यकारों मुकुटधर पांडे और लोचन प्रसाद पांडे और स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता बेरिस्टर छेदीलाल की जन्म स्थली भी है। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति का सर्वाधिक प्रतिशत यहीं पर है। जिले के बारे में विस्तार से जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।
जिले का इतिहास
जाज्वल्य नगर शासक जाज्वल्य देव ने 12 वीं शताब्दी में बसाया था। जाज्वल्य देव के रतनपुर शिलालेख से यह जानकारी मिलती है। उन्होंने यहां मंदिर और तालाब भी बनवाए। उन्हीं के द्वारा बनवाया गया विष्णु मंदिर जांजगीर-चांपा जिले के स्वर्णिम अतीत का आईना है।कालांतर में यही नगर जांजगीर कहलाया। 1947 ई. में भारत की आजादी के बाद यह जिला बिलासपुर के अंतर्गत आ गया। मध्य प्रदेश शासन के दौरान 1998 ई. में जिले को बिलासपुर से विभाजित कर एक नए जिले का दर्जा प्रदान किया गया। साल 2000 में यह छत्तीसगढ़ के हिस्से में आया।
प्रशासनिक जानकारी
जिला जांजगीर-चांपा का गठन 25 मई 1998 को हुआ था। इसका क्षेत्रफल 4466.74 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 16, 19, 707 है।जिले का मुख्यालय जांजगीर है। इसके अंतर्गत 14 तहसील, 9 विकासखंड, 4 नगर पालिका परिषद, 915 गांव हैं।
कृषि
धान, मक्का, दलहन, तिलहन एवं सब्जी की खेती जिले में प्रमुख रूप से होती है। यहाँ काले चावल का उत्पादन किया जा रहा है जो पौष्टिकता में सफेद और ब्राउन राइस से बेहतर है। इनके अलावा मूंगफली, अलसी आदि का भी उत्पादन यहां होता है।
अर्थव्यवस्था
चांपा कोसा उद्योग के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ब्रुक बाॅन्ड और मध्य भारत पेपर मिल भी चांपा में स्थित हैं। इनके अलावा प्रकाश स्टील, लाफार्ज़ सीमेंट,
1000 मेगावाट की क्षमता वाला मड़वा ताप विद्युत संयत्र, नेशनल हथकरघा प्रोद्योगिकी सेंटर, सीमेंट कारखाने आदि इसकी अर्थव्यवस्था को गति देते हैं।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान डीबीएम औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,
यश आईटीआई
कोणार्क कॉलेज ऑफ एजुकेशन,
ज्ञानोदय कॉलेज ऑफ एजुकेशन,
पंडित हरिशंकर कॉलेज ऑफ एजुकेशन,
उत्कर्ष कॉलेज ऑफ एजुकेशन
ज्ञानदीप कॉलेज ऑफ एजुकेशन
आयुष्मान नर्सिंग कॉलेज
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज
जाजल्य देव सरकारी नवीन गर्ल्स कॉलेज ठाकुर इंद्रजीत सिंह महाविद्यालय,अकलतरा आदि
स्कूल
सेंट जेवियर्स हायर सेकेंडरी स्कूल,अकलतरा
लोटस पब्लिक स्कूल
दिल्ली पब्लिक स्कूल
ज्ञानदीप हायर सेकेंडरी स्कूल, जांजगीर
ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल,
गुरुकुल पब्लिक स्कूल, जांजगीर
श्री कैलाशपत सिंघानिया हायर सेकेंडरी स्कूल, गोपाल नगर
जागृति हायर सेकेंडरी स्कूल, चांपा
विवेकानंद हायर सेकेंडरी स्कूल,
लायंस इंग्लिश हायर सेकेंडरी स्कूल चांपा
नेशनल कॉन्वेंट स्कूल, डबरा आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
शिवरीनारायण
महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के पावन तट पर स्थित है शिवरीनारायण। यह जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से करीब 47 किमी दूर स्थित है। माता शबरी का आश्रम शिवरीनारायण के विशाल मंदिर परिसर में स्थित है।कहा जाता है कि यहीं माता शबरी ने प्रेम के वशीभूत मीठे बेर ढूंढ-ढूंढ कर प्रभु श्री राम को खिलाए थे और राम ने बड़े प्रेम से वे जूठे बेर खाए थे। उन्हीं के आशीर्वाद से शबरी माता को इसी स्थान पर मोक्ष भी प्राप्त हुआ था।
चंद्रहासिनी देवी मंदिर
छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है माँ चंद्रहासिनी मंदिर। यह मंदिर चंद्रपुर में महानदी के तट पर स्थित है और मां चंद्रहासिनी देवी को समर्पित है। मंदिर के प्रांगण में अर्धनारीश्वर, पवन पुत्र, कृष्ण लीला, चीरहरण, महिषासुर वध, चार धाम, नवग्रह, सर्वधर्म सभा, शेषनाग आसन आदि पौराणिक कथाओं पर आधारित झांकियां और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
दलहा पहाड़
जांजगीर-चांपा जिले में अकलतरा के पास है दलहा पहाड़। माना जाता है कि सतनामी समाज के संस्थापक गुरु घासीदास ने यहीं पर तपस्या की थी। और दलहापोड़ी गांव में ही उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था।दलहा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल से गुजरते हुए और पत्थरों से भरा लंबा रास्ता तय करने के बाद चार किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।मार्ग में कुछ प्रसिद्ध कुंड और मंदिर भी मिलते हैं। यहां के एक कुंड "सूर्यकुंड" को लेकर मान्यता है कि जो भी उसका पानी पीता है, उसकी हर बीमारी दूर हो जाती है।
विष्णु मन्दिर
जांजगीर के विष्णु मंदिर को नकटा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण हेह्य वंश के शासकों ने 12वीं शताब्दी में कराया था। इसके पास ही भीमा तालाब है, जो बहुत खूबसूरत है और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। मन्दिर का शिखर अधूरा है। मन्दिर की दीवारों पर देवताओं, गन्धर्वो और किन्नरों के सुन्दर चित्र बने हुए हैं, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं।
गुंजी (ऋषभतीर्थ), दमऊदहरा जलप्रपात
यह जांजगीर जिले के सक्ती तहसील में है। यहाँ जलप्रपात, गुफाएं, रामजानकी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर हैं। यहां ऋषभ देव मंदिर भी है जिसमें जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव की मूर्ति है।यहां पहाड़ी नाले पर झरना है जिसे दमउदहरा जलप्रपात के नाम से जानते हैं।गुंजी में सातवाहन वंशीय राजकुमार वरदत्तश्री की शिलालेख प्राप्त हुआ है।
क्रोकोडाइल पार्क, कोटमीसोनार
यह जिले की अकलतरा तहसील के कोटमीसोनार ग्राम में स्थित है। यह प्रदेश का एकमात्र मगरमच्छ संरक्षण केंद्र है।जहां मगरमच्छ का कृत्रिम रूप से संरक्षण किया जा रहा है।
कैसे पहुँचे
सड़क मार्ग
जांजगीर-चांपा जिला राष्ट्रीय राजमार्ग 49 पर स्थित है। सडक मार्ग द्वारा जांजगीर, बिलासपुर जिले से 65 किमी और छत्तीसगढ राज्य की राजधानी रायपुर जिले से 175 किमी दूरी पर है।
रेलमार्ग
साउथ-इस्टर्न-सेन्ट्रल रेल्वे जांजगीर-चांपा जिले के मुख्यालय जांजगीर से जुडा हुआ है। यह मुम्बई-हावडा मुख्य रेलमार्ग पर स्थित है। निकटतम रेल्वे स्टेशन जांजगीर-नैला एवं चांपा स्टेशन है।
प्लेन से
निकटतम एयरपोर्ट स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर है। यहाँ से आप बस या कैब से जांजगीर-चांपा जा सकते हैं।