हाथी मानव द्वंद कम करने के लिए वन्यजीव प्रेमियों ने की मुख्यमंत्री से फसल मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग....इससे जनहानि भी कम होगी

वन्यजीव प्रेमियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मांग की है कि हाथियों से प्रभावित फसलों की मुआवजा राशि 9000 से बढ़ाकर ₹24000 प्रति एकड़ की जाए, इससे किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और फसल बचाने जाते वक्त अचानक हुए हमलों से होने वाली जनहानि में भी कमी आएगी

Update: 2021-11-14 13:24 GMT

रायपुर, 14 नवंबर 2021। वन्यजीव प्रेमियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मांग की है कि हाथियों से प्रभावित फसलों की मुआवजा राशि 9000 से बढ़ाकर ₹24000 प्रति एकड़ की जाए, इससे किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और फसल बचाने जाते वक्त अचानक हुए हमलों से होने वाली जनहानि में भी कमी आएगी, साथ में हाथी मानव द्वंद भी कम होगा. इस दर से भुगतान करने पर किसान अपनी जान जोखिम में डाल कर फसल बचाने हाथी का सामना नहीं करेगा.

पत्र के बताया गया है कि वर्तमान में प्रचलित मुआवजा राशि 9000 का निर्धारण 2016 में किया गया था. 2016 में मिनिमम सेल्लिंग प्राइस अर्थात एम.एस.पी. रुपए 1470 प्रति क्विंटल थी जो अब 2021 में 32 प्रतिशत बढ़ कर रुपए 1940 प्रति क्विंटल हो गई है. अगर हाथियों द्वारा फसल हानि की क्षतिपूर्ति की दर रुपए 9000 में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जावे तो अब हाथियों द्वारा फसल हानि की क्षतिपूर्ति की दर रुपए 11880 प्रति क्विंटल होनी चाहिए.

विगत 2 वर्षों से किसानों को धान की खरीद पर राजीव किसान न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ रुपए 9000 का भुगतान किया जा रहा है, जो कि उस धान फसल पर किसानों को नहीं मिल पाता जिनका खेतों में नुकसान हाथियों द्वारा हो गया होता है, इससे किसानों का अतिरित नुकसान हो जाता है.

बढ़ी हुई एम.एस.पी., महंगाई तथा राजीव किसान न्याय योजना के फायदे को देखते हुए मांग की गई गई कि प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति का भुगतान रुपए 20880 प्रति एकड़ (रुपए 11880 प्रति क्विंटल एम.एस.पी. और राजीव किसान न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ रुपए 9000) कि दर से कराया जाये

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि अमूमन सभी क्षेत्रों में हाथी द्वारा फसल नुकसान पर किसानों में नाराजगी रहती है. हाथियों से फसल नुकसान बचाने के लिए किसान खेतों में भी सोते हैं, कई बार हाथियों को भगाने हेतु सामूहिक प्रयत्न भी करते है. जहां पर कई बार अचानक हाथियों से सामना होने पर घातक भी होता है और जनहानि होती है. कुछ किसान कई बार हाथी सहित अन्य वन्यप्राणियों से फसल बचाने के लिए तार में बिजली प्रभावित कर देते है, जिससे हाथी और अन्य वन्यप्राणि ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की मृत्यु की भी घटनाएं बढ़ रही है. अतः किसानों की नाराजगी कम करने के लिए और मानव-हाथी सह-अस्तित्व बनाए रखने के लिए हाथी से फसल नुकसान पर रुपए 3000 प्रति एकड़ का अतिरिक्त भुगतान कुल रुपए 23880 प्रति एकड़ अथवा रुपए 24000 प्रति एकड़ का भुगतान कराया जाये. इस दर से भुगतान करने पर किसान अपनी जान जोखिम में डाल कर फसल बचाने हाथी का सामना नहीं करेगा.

प्रति वर्ष हाथियों से हुई फसल का मुआवजा लगभग 15 करोड़ दिया जाता है. 24000 प्रति एकड़ का भुगतान कराया जाने से 40 करोड़ का भुगतान होगा, 25 करोड़ का अतिरित भुगतान प्रदेश के एक लाख करोड़ के बजट का सिर्फ 0.025 प्रतिशत होगा.

पत्र में मांग की गई है कि किसानों को फसल हानि की क्षतिपूर्ति भुगतान करने की लिए कम से कम 33 प्रतिशत फसल के नुकसान की शर्त को खत्म कराया जाये और भुगतान की प्रक्रिया सुगम कर, निर्धारित समय अवधि में किसानों को भुगतान कराया जाये. 

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