छत्तीसगढ़ के इस छोटे से हिल स्टेशन में पहाड़ हैं, नदी है, झरने हैं, मंदिर हैं और है फैमिली फोटो के लिए एकदम फिल्मी लोकेशन। पढ़िए और नज़ारे देखिए
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नया साल आ रहा है। पूरी दुनिया इस दौरान सेलिब्रेशन के मूड में रहती है और खाने- पीने, घूमने पर बेहिसाब खर्च करती है। हम आपको बताएं कि आप छत्तीसगढ़ में भी एक छोटी और शानदार वेकेशन इंजाॅय कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में आने वाला चिरमिरी एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। अगर आप प्रकृति की गोद में सुकून का अहसास चाहते हैं तो आपके लिए ये परफेक्ट डेस्टिनेशन है। अपने परिवार के साथ फोटो लेने के लिए आपको यहां के पहाड़ों, वाॅटर फाॅल्स, पेड़ों के शानदार झुरमुटों के बीच बिल्कुल फिल्मों जैसी लोकेशन मिलेंगी और साथ में मिलेगा दिली सुकून। जानते हैं छत्तीसगढ़ के इस प्यारे से - छोटे से हिल स्टेशन चिरमिरी के बारे में। यकीं मानिए आपको शिमला-मनाली का मज़ा यहीं छत्तीसगढ़ में मिल जाएगा।
समुद्र तल से लगभग 579 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये हिल स्टेशन किसी जन्नत से कम नहीं है। महानदी की सहायक नदी हसदेव के तट पर बसे चिरमिरी को ऊपरवाले ने प्राकृतिक सौंदर्य से जी भर कर नवाज़ा है। यहाँ बेहद खूबसूरत वाॅटरफाॅल हैं। ऊंचे-ऊंचे वृक्षों के झुरमुट हैं, नदी है,हरियाली से परिपूर्ण पहाड़ हैं, ट्रेकिंग का मज़ा है और 36 मोड़ों वाली रोमांचक सड़क है जो चिरमिरी को बिलासपुर से जोड़ती है। इन्हीं कारणों से चिरमिरी को "छत्तीसगढ़ का स्वर्ग" भी कहा जाता है। चिरमिरी में प्राकृतिक सुंदरता के अलावा कोयले की खदानें भी बड़ी संख्या में पाई जाती हैं।
जगन्नाथ मंदिर
छत्तीसगढ़ खास स्थलों और मंदिरों की वजह से हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहा है। अगर आप चिरमिरी जा रहे हैं तो भगवान जगन्नाथ के मंदिर जाना न भूलें। खास बात है कि चिरमिरी का ये मंदिर पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर जैसा ही दिखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके निर्णाण के लिए ओडिशा के राजमिस्त्रियों को काम पर रखा गया था। मंदिर इतना सुंदर बन पड़ा है कि लगता है कि चिरमिरी में उड़िया समुदाय ने इस मंदिर को हकीकत बनाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी। इसके अलावा यहां पर गुफा मंदिर, बैगापारा, और कालीबाड़ी जैसे धार्मिक स्थलों को देखने भी आप जा सकते हैं।
हसदेव नदी
छत्तीगढ़ का चिरमिरी अपनी नैचुरल खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह हसदेव नदी के तट पर बसा है। हसदेव महानदी की सहायक नदियों में से एक है। हासदेव नदी की लंबाई 210 किलोमीटर है, और अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से ही यह पर्यटकों का फेवरेट स्पॉट बन गई है। इस नदी को जिले की जीवनधारा भी माना जाता है।
अमृतधारा जलप्रपात
चिरमिरी से लगभग 38 किमी दूर मनेंद्रगढ़ में स्थित अमृत धारा जलप्रपात यहां का सबसे खूबसूरत वाॅटरफाॅल है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। अमृत धारा वाटरफॉल 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है।बरसात के मौसम में जब यह अपने चरम पर होता है तब इसकी गर्जना 2-3 किलोमीटर तक सुनाई देती है। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां की यात्रा कर सकते हैं।यहाँ पिकनिक मनाना एक यादगार अनुभव होगा। परिवार के साथ बैठ कर आसपास के जंगल और 90 फीट के ऊँचाई से गिरते अमृतधारा झरना को देखने पर अलग ही खुशी मिलती है।यहां झमाझम गिरता पानी आपको तरोताजा कर देगा।जलप्रपात के पास में ही प्राचीन शिव मंदिर हैं जो सिद्ध बाबा पर्वत के ऊपर स्थित है। यहाँ श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
रामदाह वॉटरफॉल
बनास नदी पर स्थित रामदाह वॉटरफॉल भी एक परफेक्ट ट्रैवलिंग डेस्टिनेशन है। इस वॉटरफॉल की ऊंचाई लगभग 120 फीट से अधिक है और इसकी चौड़ाई लगभग 25 फीट हैं।मानसून के वक्त यहां आना लोग अधिक पसंद करते हैं। हालांकि आप इस वॉटरफॉल के खूबसूरत नजारे को किसी भी मौसम में देख सकते हैं।
गौराघाट वाॅटरफाॅल
गौराघाट वॉटरफॉल हासदेव नदी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह वॉटरफॉल काफी ऊंचा है और करीब 60 फीट की ऊंचाई से यहां पानी गिरता है। पिकनिक या फिर वीकेंड पर छुट्टियां बिताने के लिए यह जगह बहुत सुंदर है। मानसून के मौसम में यह बेहद खूबसूरत दिखता है।
36 मोड़ों वाली सड़क
चिरमिरी की पहचान उसके 36 मोड़ों वाली सड़क भी है। करीब 70 साल पहले चिरमिरी से बिलासपुर के बीच सड़क यातायात काे जाेड़ने के लिए इस सड़क को विकसित किया गया था। आमतौर पर पर्वतीय क्षेत्राें में ऐसी ज्यादा मोड़ वाली सड़कें दिख जाती हैं, लेकिन चिरमिरी में इस सड़क को बनाने की मुख्य वजह यहां से निकलने वाला कोयला बताया जाता है। कोयले की ट्रांसपोटिंग में सुविधा के लिए इस सड़क को विकसित किया गया है। बताया जाता है कि इसका पहला स्वरूप 1930 के आसपास ही तैयार किया जा चुका था। बिना मशीनों के पहाड़ों को काटकर स्थानीय मजदूरों ने इस रास्ते को बनाया था। पहला कच्चा रास्ता ब्रिटिश शासन में रेलवे ट्रैक के लिए जरूरी टिम्बर की जरूरताें काे देखकर तैयार किया गया था। बाद में 1958 में चिरमिरी को बिलासपुर से जोड़ने इस सड़क का विस्तार हुआ। चिरमिरी के कोलंबस के नाम से पहचाने जाने वाले विभूति भूषण लाहिड़ी ने सड़क का सर्वे पूरा करवाया था। इसलिए सड़क की पहचान कोलंबस नाम से भी है।
कैसे पहुँचें
फ्लाइट से: यदि आप प्लेन से चिरमिरी आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले रायपुर के स्वामी विवेकानंद अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर आना होगा। रायपुर एयरपोर्ट चिरमिरी से कुछ 318 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप बस या टैक्सी ले सकते हैं।
ट्रेन से: इसके लिए आपको छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर रेलवे स्टेशन आना होगा। जो चिरमिरी से करीब 100 किमी. की दूरी पर है। अम्बिकापुर आने के लिए आपको देश के सभी हिस्सों से ट्रेनें मिल जाएंगी।चिरमिरी में एक छोटा रेलवे स्टेशन भी है जो बिलासपुर से जुड़ा हुआ है।
रोड से : अंबिकापुर करीबी बड़ा शहर है और सड़कों से बाकी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। यहाँ से कार, टैक्सी से आप बड़ी आसानी से चिरमिरी पहुंच सकते हैं।
सर्दियों की मखमली धूप में आप इस हिल स्टेशन में ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं। कैपिंग भी कर सकते हैं या आसपास के गांवों में होमस्टे का भी मज़ा ले सकते हैं।साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का मज़ा ले सकते हैं। आप अंबिकापुर में भी ठहर सकते हैं। यहां पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस और छोटे-बड़े अनेक निजी होटल हैं।