आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए विष्णुदेव सरकार का शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर जोर

छत्तीसगढ के मूलतः बस्तर और सरगुजा अंचल में रहने वाले आदिवासियों को मुख्य धारा में लाने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर फोकस कर रही है।

Update: 2024-11-22 13:27 GMT

रायपुर। देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर आदिवासी समाज की महिला है। उनके मार्गदर्शन में आदिवासी समाज का विकास हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भी आदिवासी समाज से हैं। उनके नेतृत्व में विगत 11 माह में छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश में आदिवासी समाज के उत्थान की दिशा में योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है। सड़क, पुल-पुलिया, स्कूल एवं आंगनबाड़ी भवन तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य किये जा रहें हैं।

विष्णु देव साय की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए लगातार कार्य हो रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने आदिवासियों के उत्थान के लिए अलग से विभाग बनाया। आदिवासी समाज के बच्चों को पढ़ाई के लिए जगह-जगह छात्रावास एवं एकलव्य विद्यालय खोले जा रहे हैं। प्रदेश सरकार आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए लगातार योजना बनाकर कार्य कर रही है।

आदिवासी समाज के भाई-बहनों की तरक्की और वनांचल के विकास के लिए विष्णु देव साय की सरकार समर्पित है और पूरी तत्परता से कार्य कर रही है। आज आदिवासी समाज की बेटी राष्ट्रपति के रूप में देश के सर्वाच्च संवैधानिक पद पर बैठी हैं। यह सौभाग्य की बात है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज का बेटा मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। ’हमने बनाया है हम ही संवारेंगे’ के मूल मंत्र के साथ आज छत्तीसगढ़ का सर्वांगीण विकास हो रहा है।

10 महीने में दिखने लगा बड़ा बदलाव

छत्तीसगढ़ की लगभग 3 करोड़ आबादी में एक तिहाई जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है। इन समुदायों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए साय सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा पर विशेष फोकस किया गया है। इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाने के लिए नए-नए प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से नया वातावरण बन रहा है। साय सरकार ने पिछले 10 माह में इन सभी मुददों पर काम किया है। मुददा चाहे आदिवासी समुदाय के आवास, पेयजल, विद्युत या सड़क सहित सभी बुनियादी जरूरतों पर तेजी से काम किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने आदिवासी समुदाय की विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुददों को वरीयता दी है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में समग्र विकास का स्वप्न साकार हो रहा है। प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में जिस तरह स्वास्थ्य, सड़क, संचार और सुरक्षा नेटवर्क को मजबूती दी जा रही है, उसका सर्वाधिक लाभ आदिवासी वर्ग को मिल रहा है। इससे जहां आदिवासी समाज के जीवन स्तर में गुणवत्ता का संचार हो रहा है, वहीं सुशासन की इस बयार से प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद की समस्या को परास्त करने में भी मदद मिल रही है। इन इलाको में केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पी.एम.जनमन योजना और राज्य सरकार की नियद नेल्ला नार योजना गेम चेंजर साबित हो रही है।

आदिवासी क्षेत्र में मिल रही सभी सुविधाएं

आदिवासी क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद को रोकने के लिए सुरक्षा और विकास को मूल मंत्र बनाया है, इसके सार्थक परिणाम दिख रहे हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ-साथ उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं भी दी जा रही है। बीते 10 महीनों के दौरान मुठभेड़ों में 195 माओवादियों को ढेर किया गया। 34 फारवर्ड सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई। निकट भविष्य में दक्षिण बस्तर एवं माड़ में रि-डिप्लायमेंट द्वारा 30 नए कैम्पों की स्थापना प्रस्तावित है। राज्य शासन की नियद नेल्ला नार योजना जनकल्याण का अभिनव उपक्रम साबित हो रही है।

इस योजना के अंतर्गत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित नए कैम्पों के आसपास के 5 किमी के दायरे में आने वाले 96 गांवों का चयन कर शासन के 17 विभागों की 53 योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत आवास, अस्पताल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, स्कूल इत्यादि मूलभूत संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ के माओवादी आतंक प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण मिलेगा। शेष जिलों के विद्यार्थियों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाएगा। ब्याज अनुदान के लिए शिक्षा ऋण की अधिकतम सीमा 4 लाख रूपए रखी गई है।

जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू

केन्द्र सरकार द्वारा आदिवासी समाज को प्राथमिकता जनजातीय परिवारों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू किया जा रहा है। इस योजना से देशभर के इसमें 63,000 गावों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे। छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में लगभग 30 प्रतिशत अनुपात आदिवासी समाज को सीधा लाभ मिलेगा। इसी प्रकार कृषि बजट में वृद्धि खेती-किसानी से जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है। किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्म जारी की गई है।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10,000 जैव आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएगा, इसका लाभ भी राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों को मिलेगा। आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा माओवादी प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों में मेधावी विद्यार्थियों को अखिल भारतीय मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराई जा रही हैं। यकीनन, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के नए आयाम गढ़ रहा है।

आदिवासी समाज के छात्र, खिलाड़ी, समाजसेवी सम्मानित

उद्योग, वाणिज्य एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने कोरबा के कलेक्ट्रेट में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी समाज प्रमुखों एवं आदिवासी समाज के प्रतिभावान विद्यार्थियों, खिलाड़ियों, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों, समाज सेवी संगठनों, आदिवासी जनप्रतिनिधियों, अधिकारी-कर्मचारी संगठनों एवं आदिवासी समाज के शहीदों के परिजनों का शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया। उन्होंने शासन के विभिन्न योजनाओं से हितग्राहियों को लाभान्वित किया।

कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज, धनवार समाज, मुण्डा समाज, मंझवार, ,खैरवार, गोंड़, अगरिया, भारिया, बिंझवार, उरांव समाज प्रमुखों का शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया। इसी तरह आदिवासी समाज के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, जनजाति समाज हेतु उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वयं सेवी संगठनों, मेधावी छात्र-छात्राओं, खिलाड़ियों, प्रतियोगी परीक्षा में विभिन्न पदों पर चयनित उम्मीदवारों, कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों, सरहुल नृत्य में राज्य स्तर पर सम्मानित उरांव समाज के प्रतिभागियों को भी सम्मानित किया गया। जनजातीय गौरव दिवस में मेधावी छात्र के रूप में दिलेश कुमार, कुमारी जस्मिन्ता राठिया, कु. शुभलता, मोसेस वैभव एक्का, गुंजिता राठिया, सुनील कुमार, कु. चुनिषा, अनुराग सिंह राज, गामनी कंवर, कृतिका कंवर को सम्मानित किया गया।

स्वस्थ मानसिकता से होगा भावी-पीढ़ी का समुचित विकास

रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में दो दिवसीय जनजातीय गौरव दिवस 2024 एवं अंतर्राज्यीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव के दौरान ’जनजातीय समुदायों के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। संगोष्ठी-परिचर्चा के प्रमुख वक्ता छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण के सीईओ एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी श्री विजय दयाराम के. ने कहा कि जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ियों के युवाओं के मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बस्तर के कलेक्टर के रूप में जनजातीय क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए ’मनोबस्तर’ कार्यक्रम की शुरुआत की। उनके इस अभियान का मूल उद्देश्य था जनजातीय लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए न केवल मनोबस्तर पर काम करना बल्कि छत्तीसगढ़ के सभी जनजातीय समाज के साथ जुड़कर उन सभी युवाओं से संपर्क करना है जो अपनी बातों को किसी दूसरे तक पहुंचा नहीं पाते हैं।

विजय दयाराम के, ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार अपने देश के युवाओं के मेंटल हेल्थ को लेकर बेहद चिंतित है और अपनी नई नीतियों से सभी राज्यों के युवाओं के मेंटल हेल्थ पर ध्यान केंदित करने जा रही है। वक्ता के रूप में डॉ. सचिन बर्बड़े ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य में अपने 10 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा कि आदिवासी समुदाय के युवाओं के मानसिक स्वास्थ को लेकर उनकी टीम ’सुखू दुखू’ नाम से एक ऐसी योजना का संचालन करती है जिसमें आदिवासी युवक-युवती अपने सुख-दुख को अपने हमउम्र के लोगों के साथ बांट सकते हैं। एक अन्य वक्ता एमएचआई की सीईओ प्रीति श्रीधर मारीवाला ने जनजातीय समुदाय के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर अपने 25 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा कि जनजातीय युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि उनकी स्थानीय भाषा में उनसे जुड़ा जाए और उनके साथ बातचीत कर उनकी मनःस्थिति को समझा जाए। बस्तर विश्वविद्यालय में बी.एससी. जूलॉजी की छात्रा मनीषा नाग मनो बस्तर कार्यक्रम में स्वयंसेवक हैं। मनीषा अपने समुदाय के जनजातीय युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और सहायता का कार्य अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय के युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ्य को समझने के साथ-साथ उनके विकास को लेकर भी हमें गम्भीर होना होगा और हमें जमीनी स्तर पर जनजातीय समुदाय के लोगों के साथ जुड़ना होगा, तभी हम उनके विकास में सहभागी बन पाएंगे।

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