Top Maoist Madvi Hidma: मां की अपील पर नहीं किया सरेंडर, एनकाउंटर में मारा गया बस्तर में लाल आतंक का साम्राज्य चलाने वाला एक करोड़ का ईनामी माओवादी लीडर हिड़मा
Top Maoist Madvi Hidma: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय बन चुका माओवादी लीडर हिड़मा आखिरकार मारा गया। उस पर एक करोड़ का ईनाम था। छत्तीसगढ़ और तेलांगना के बॉडर पर आज सुबह फोर्स के साथ मुठभेड़ में जवानों ने मोस्ट वांटेड हिड़मा व उसकी पत्नी समेत छह बड़े नक्सलियों को मार गिराया है।
Top Maoist Madvi Hidma: रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में जवानों को अबतक की सबसे बड़ी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा अल्लुरी सीताराम जंगल में हुये मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों के टॉप लीडर व 1 करोड़ के इनामी मोस्ट वांटेड माड़वी हिड़मा को मार गिराया है। मुठभेड़ में हिड़मा की पत्नी, हिडमा का पर्सनल गार्ड समेत छह माओवादी मारे गये। मारे गये माओवादियों में हिड़मा सीसी मेंबर, हिड़मा की पत्नी मडगाम राजे हिड़मा, गार्ड देवा, लकमल डीसीएम, कमलू पीपीसीएम, मअल्ला पीपीसीएम शामिल है। जवानों ने मौके से दो एके 47, 1 रिवाल्वर, 1 पिस्टल बरामद किया है।
बता दें कि माड़वी हिड़मा नक्सलियों का टॉप कमांडर था। हिड़मा ने कई बड़े नक्सली घटनाओं का मास्टरमाइंड था। हिडमा ने ही झीरम और ताड़मेटला की घटना की प्लानिंग रची थी।
सबसे बड़ा नक्सली हमला
सुकमा में 6 अप्रैल 2010 को चिंतलनार कैंप से करीब पांच किमी दूर ताड़मेटला गांव के पास सुरक्षाबल के जवान गश्त कर रहे थे। इसी बीच सीआरपीएफ के जवानों को जंगल में नक्सलियों के होने की सूचना मिली। यहां पर पहले से घात लगाये नक्सली जवानों का इंतेजार कर रहे थे। नक्सलियों ने ही जवानों को अपने जाल में फंसाने के लिए यह योजना बनाई थी और इस योजना का मास्टर माइंड हिड़मा ही था।
जवान जैसे ही सर्चिंग करते हुये जगंल में पहुंचे तो पेडों के पीछे छुपे नक्सलियों ने जवानों को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दिये। जवान कुछ समझ पाते नक्सलियों ने इससे पहले ही ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। सुबह 6 बजे हुई मुठभेड़ करीब एक घंटे चली थी।
झीरम हमला, कई बड़े कांग्रेसी नेता हुये थे शहीद
छत्तीसगढ़ के सुकमा में ही 25 मई 2013 को नक्सलियों ने झीरम के पास सबसे बड़े राजनीतिक हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस घटना में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री और बस्तर टाईगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा समेत 30 लोग मारे गये थे।
दरअसल, 2013 में विधानसभा चुनाव होना था। इससे पहले ही कांग्रेस ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए परिवर्तन यात्रा की शुरूआत की थी। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा सुकमा से जगदलपुर लौट रही थी। इसी बीच 25 मई को झीरम के पास घात लगाये नक्सलियों ने ब्लास्ट किया। सड़क पर हुये ब्लास्ट के बाद परिवर्तन यात्रा में चल रही गाड़िया रूक गई और जैसे वाहन सवार नेता नीचे उतरे उन पर नक्सलियों ने अंधाधूंध फायरिंग कर दी। इस घटना में एक साथ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के कई नेता मारे गये थे। नक्सलियों के हमले में शहीद हुये नेताओं में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित लगभग 30 नेता शामिल थे। झीरम हमले की घटना को मास्टर माइंड हिड़मा को ही माना जाता था।
गृह मंत्री विजय शर्मा पहुंचे थे हिड़मा के गांव
बीते 10 नवंबर को उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा अचानक सुकमा जिले के कोंटा विकासखण्ड के अतिसंवेदनशील ग्राम पूर्वर्ती पहुंचे थे। जहां उन्होंने गांव में जनचौपाल का आयोजन किया। इस चौपाल में समस्त ग्रामवासी और पूर्वर्ती से संबंध रखने वाले नक्सल लीडर माड़वी हिड़मा एवं बारसे देवा के परिजन भी शामिल हुए। जिसमें माड़वी हिड़मा की माता माड़वी पुंजी तथा बारसे देवा की माता बारसे सिंगे भी शामिल थीं।
इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात की और गांव में आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी ली। नक्सल लीडरों के परिजनों से भी उपमुख्यमंत्री शर्मा ने मुलाकात कर उनके माता पिता से आशीर्वाद लिया। जहां उनकी माताओं माड़वी पुंजी तथा बारसे सिंगे ने बताया कि वे बड़े गैर जिम्मेदाराना तरीके से सब कुछ छोड़ कर जंगल में हथियार लेकर भटक रहे हैं। उन्होंने अपने बच्चों से अपील करते हुए कहा कि परिवार, गाँव, समाज को छोड़कर जंगल में हथियार लेकर भटकने से किसी का भला नहीं हो रहा है। अपने हथियार छोड़कर पुनर्वास का रास्ता चुनो और समाज, परिवार, परिजनों के बीच रहकर विकास एवं सबके हित के लिए कार्य करें। उनकी माताओं ने भी वीडियो जारी कर अपने बेटों को पुनर्वास करने की अपील की थी।
जानिए कौन है माड़वी हिड़मा
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूर्वर्ती गांव में माड़वी हिड़मा का जन्म हुआ था। महज 17 साल की उम्र 1996 में माओवादी संगठन से जुड़ गया था। हिड़मा को हिडमालु उर्फ संतोष के नाम से भी जाना जाता था। बताया जाता है कि माओवादी संगठन में शामिल होने से पहले हिड़मा अपने परिवार के साथ पुवर्ती में ही खेती किया करता था। उसका पूरा परिवार पूर्वर्ती गांव में ही रहता है।