Raigarh Police Attack: उठते सवाल...ग्रामीणों को किसने भड़काया, सिस्टम के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

Raigarh Police Attack: रायगढ़ जिले के तमनार में आज जो हुआ, वह शर्मनाक करने वाला है। ग्रामीणों के हमले में एसडीओपी समेत कई पुलिस कर्मी घायल हुए ही सबसे अधिक विचलित करने वाला वीडियो महिला टीआई का रहा, जिसे जमीन पर गिरा कर पिटा गया...जमीन पर गिरने के बाद एक महिला उन्हें लात मारती रही...टीआई बेबस होकर हाथ जोड़े माफी मांगती रही। सवाल उठता है कि ग्रामीणों को किसने भड़काया। राधेश्याम नाम का एक व्यक्ति कुछ दिन पहले मंत्री के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, उसके खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

Update: 2025-12-27 16:13 GMT

Raigarh Police Attack: रायगढ़। रायगढ़ में हिंसा से बडा सवाल यह है कि ग्रामीणों को आखिर किसने हिंसा के लिए उकसाया। रायगढ़ के तमनार से कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें राधेश्याम नाम का व्यक्ति मंत्री और सरकार के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। यह वही व्यक्ति है, जिसने बिलासपुर हाई कोर्ट के जजों का घेराव करने का ऐलान किया था मगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

नोटिस करने वाली बात यह है कि जब लोग पखवाड़े भर से कोल ब्लॉक की जनसुनवाई को लेकर गुस्से में स्कूल में धरना दे रहे थे, ऐसे में अकेले एक महिला टीआई को वहां कैसे भेज दिया गया। जिस वीडियो में टीआई को जमीन पर पटककर लातों से मारा जा रहा, उसमें एक भी उनके आसपास कांस्टेबल नहीं दिख रहे। एक महिला सिपाही टीआई को बचाती दिख रही।




ये तो गजबे है। रायगढ़ पुलिस की ऐसी लापरवाही...इतने संवेदनशील मामले को उन्होंने इतने हल्के में ले लिया कि महिला टीआई को ग्रामीणों से सुलह करने भेज दिया। महिला टीआई से मारपीट के बाद भी मौके पर पर्याप्त फोर्स नहीं भेजा गया। इसका खामियाजा यह हुआ कि एसडीओपी समेत कई पुलिस कर्मी पत्थरबाजी में जख्मी हुए। गुस्साये लोगों की लात टीआई को नहीं बल्कि रायगढ़ के एसपी और पुलिस प्रशासन को है।

पुलिस ने इस मसले को तब हल्के में लिया, जब हफ्ते भर पहले कांकेर के आमाबेड़ा हिंसा में एडिशनल एसपी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। वहां भी ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला किया था। इस मामले में सरकार ने कांकेर के एसएसपी इंदिरा कल्याण इलेसेला की छुट्टी कर दी। पुलिस के लोग ही हैरान हैं कि आमाबेड़ा हिंसा से भी रायगढ़ पुलिस ने सबक नहीं लिया और सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी।

एसपी अनुभवी नहीं

छत्तीसगढ़ के अधिकांश पुलिस अधीक्षक लॉ एंड आर्डर को फेस करने के लायक नहीं है। उन्हें इस बात का अनुभव नहीं है कि विकट स्थितियों से कैसे निबटा जाना चाहिए। और बड़े आंदोलनों और कार्यक्रमों में किस तरह बल की तैनाती करनी चाहिए।

जानिये क्यों भड़की हिंसा

छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के तमनार गारे पेल्म कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर 14 गांव के ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। इसके पीछे की असली वजह गुपचुप तरीके से की गई जनसुनवाई को माना जा रहा है। जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण से पहले तमनार के जनसुनवाई का आयोजन किया था। ग्रामीणों के विरोध के कारण जनसुनवाई नहीं हो पाई है। इसके बाद जिला प्रशासन ने 8 दिसंबर को जनसुनवाई की औपचारिकता पूरी कर ली। ग्रामीणों की नाराजगी और गुस्सा का आलम ये कि प्रभावित 14 गांव के ग्रामीण घरों में ताला जड़कर तमनार के स्कूल कैम्पस को अस्थाई डेरा बना लिया है।

ग्रामीणों का आरोप है कि तमनार में जनसुनवाई स्थगित होने के बाद जिला प्रशासन और जिंदल के अधिकारियों ने मिलकर गुपचुप तरीके से कुछ ग्रामीणों को अपने साथ मिलाकर जनसुनवाई की औपचारिकता को पूरी कर लिया। इसकी प्रतिक्रिया भी देखने को मिली थी। जब ग्रामीणों ने जनसुनवाई में साथ देने वालों को जूतों की हार पहनाकर बीच सड़क पर घुमाया था।

पुलिस ने जारी किया बयान

इस संबंध में पुलिस द्वारा जारी बयान में बताया गया कि 8 दिसंबर 2025 को भौराभाठा में हुई जनसुनवाई के विरोध में सेक्टर 1 कोल ब्लॉक के अंतर्गत प्रभावित 14 ग्रामों के ग्रामवासी द्वारा दिनांक 12 दिसंबर 2025 से धरने पर बैठे हैं जिस पर आज सुबह 9 बजे के आस-पास लगभग 300 लोगों की भीड़ थी, उनमें से कुछ लोगों के द्वारा सड़क पर बैठकर सामान्य आवागमन को बाधित किया जा रहा था। इसके लिए सुबह 10 बजे एसडीएम, एसडीओपी और एडिशनल एसपी के द्वारा लोगों को समझाइश देकर वापिस उन्हें धरना के लिए लगाए गए टेंट पर वापस करा दिया गया।

समय-समय पर भीड़ उग्र होती रही तथा सामान आवागमन को बाधित करने का प्रयास करती रही। उक्त भीड़ को एसडीएम घरघोडा व पुलिस अधिकारियों द्वारा लाउडस्पीकर से उन्हें बार बार समझाइश तथा शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन हेतु अपील की जा रही थी। लगातार आस-पास के गांवों से लोग जमा होते जा रहे थे जिनकी संख्या लगभग 1000 के आस-पास थी।

अचानक लगभग दोपहर ढाई बजे भीड़ बेकाबू हो गई और बैरियर को तोड़ते हुए पत्थर एवं डंडों से वहां उपस्थित पुलिस पर टूट पड़ी। उपद्रवी भीड़ ने जमकर लाठी डंडे बरसाए। जिससे एसडीओपी अनिल विश्वकर्मा, थाना प्रभारी तमनार कमला पुसाम तथा एक आरक्षक को गंभीर चोट आई तथा कई पुलिस के जवान और महिला आरक्षक घायल हैं, जिन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अनियंत्रित भीड़ द्वारा मौके पर पुलिस की बस, जीप, एंबुलेंस को आग लगा दी गई तथा कई शासकीय वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके पश्चात अनियंत्रित भीड़ जिंदल के कोल हैंडलिंग प्लांट सीएचपी की ओर बढ़कर अंदर घुसकर कन्वेयर बेल्ट तथा दो ट्रैक्टर 


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