Bilasspur High Court: साइबर क्राइम- म्यूल अकाउंट से 36.48 लाख की ठगी, हाई कोर्ट ने तीन आरोपियों की जमानत याचिका को कर दिया खारिज और ये कहा...
Bilasspur High Court: साइबर क्राइम से जुड़े एक मामले में जेल में बंद तीन आरोपियों ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। तीनों आरोपियों ने म्यूल अकाउंट के जरिए साढ़े 36 लाख रुपये की ठगी की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तीनों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ इस तरह की टिप्पणी भी की है।
Bilasspur High Court: बिलासपुर। म्यूल अकाउंट के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा हड़पने वाले तीन आरोपियों की जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के सिंगल बेंच में हुई। चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में लिखा है कि यह संगठित अपराध है। केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले इनपुट के आधार पर रायपुर पुलिस ने कार्रवाई की थी। इसके पहले भी तीनों आरोपियों की जमानत कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
रायपुर के सिविल लाइन पुलिस को 20 जनवरी 2025 को गृह मंत्रालय के पोर्टल से पुलिस को सूचना मिली थी कि रायपुर के उत्कर्ष बैंक में 104 म्यूल एकाउंट खोले गए हैं। इन सभी खातों का उपयोग साइबर ठगी में किया जा रहा है। पुलिस ने बीएनएस की धारा 317(2), 317(4), 317(5), 111 और 3(5) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। जांच में तीन आरोपी पकड़े गए। इसमें से एक आरोपी अनुपम शुक्ला बैंक में सेल्स एग्जीक्यूटिव था। उसने अपनी आईडी से 5 खाते खोले। ये सभी खाते मुख्य आरोपी यश भाटिया और उसके साथियों द्वारा ठगी करने में उपयोग किया गया था। मुख्य आरोपी 27 जनवरी 2025 से जेल में है। दूसरे आरोपी प्रवीण ठाकुर ने 5 हजार रुपए में अपना बैंक खाता बेचा। तीसरे आरोपी ओम आर्य के द्वारा एक्टिव किए गए दो सिम कार्ड साइबर ठगी के लिए ठगों ने इस्तेमाल किया था।
राज्य सरकार ने ठगों के संबंध में हाई कोर्ट को दी जानकारी
राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि तीनों अपराधी संगठित अपराध में शामिल है और साइबर ठगी के जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा हड़प रहे हैं। विधि अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि साइबर ठगी के सह आारोपियों
आयुष मसरक, शुभम सिंह ठाकुर और उमेश की जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं। कोर्ट ने सभी तथ्यों और केस डायरी का अवलोकन करने के बाद पाया कि आरोपी साइबर ठगी में सक्रिय रूप से शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि यह संगठित अपराध है। इस कड़ी टिप्प्णी के साथ सिंगल बेंच ने तीनों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।