सीयू में स्वराज क्रांति के नायक बिरसा मुंडा की जयंती पर होगी चर्चा, CU देश का पहला केंद्रीय विवि जहां मुंडा के आदर्शों को युवाओं के बीच पहुंचाने हो रहा काम

0 कुलपति प्रो0 चक्रवाल बोले, बिरसा मुंडा का जीवन युवा पीढ़ी के लिए मिसाल

Update: 2021-11-10 14:36 GMT

बिलासपुर, 10 नवंबर 2021। छत्तीसगढ़ में पहली बार अबकी स्वराज क्रांति के ध्वजवाहक बिरसा मुंडा की जयंती पर वेबिनार के माध्यम चर्चा होगी। और मंच होगा सेंट्रल यूनिवर्सिटी का। कुलपति प्रो0 आलोक कुमार चक्रवाल ने इसकी पहल की है। उनके नेतृत्व में संघर्ष और साहस की प्रतिमूर्ति आजादी के लिए जनजातीय संघर्ष के महानायक स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 146 वीं जयंती पर अहम चर्चा होगी।

विशेष बात यह है कि पड़ोसी राज्य झारखंड के वीर सपूत के बारे में छत्तीसगढ़ में कभी चर्चा या कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। जबकि, छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है और बिरसा मुंडा को स्वराज्य क्रांति के महानायक के साथ ही आदिवासियों में जनजागरण का अलख जगाने के तौर पर जाना जाता है।

बहरहाल, 15 नवंबर को सुबह 11 बजे से विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान एवं जनजातीय विकास विभाग, एनटेनर्ज्ड लैंग्वेज सेल तथा इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जनजातीय समाज में जागरुकता और समरसता का विस्तार करने वाले बिरसा मुंडा के जीवन पर वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। शोषित और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले स्वराज क्रांति के ध्वजवाहक परमवीर बिरसा मुंडा का जीवन युवा पीढ़ी के लिए मिसाल है।

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 24 अक्टूबर को आयोजित मन की बात कार्यक्रम में आजादी की लड़ाई में बिरसा मुंडा के विशिष्ट योगदान को याद किया। उन्होंने कहा था कि इस समय सभी अमृत महोत्सव में देश के पीर बेटे-बेटियों और महान पुण्य आत्माओं को याद कर रहे हैं। 15 नवंबर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म जयंती आने वाली है। बिरसा मुंडा को धरती आबा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है धरती पिता।

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ का एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यहां स्वराज क्रांति के संवाहक बिरसा मुंडा जी के आदर्शों, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक सरकारों के साथ समरसता की भावना को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ एक जनजातीय बाहुल्य राज्य होने के साथ-साथ जननायक बिरसा मुंडा की पावन भूमि झारखंड से लगा हुआ प्रदेश भी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भी युवा पीढ़ी को देश के सर्वांगीण विकास, राष्ट्र निर्माण में हमारे वीर नायकों के इतिहास, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जानने, समझने और अपने जीवन में आत्मसात करने का सुअवसर मिलेगा। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को संपूर्ण रूप में लागू करने के लिए सक्रियता के साथ प्रयासरत है।

केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिरसा मुंडा जी जैसे महान व्यक्तित्व के जनजातीय कलेवर को संरक्षित करने के लिए मध्य प्रदेश के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक एवं झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय रांची के साथ मिलकर लुप्तप्राय भाषाओं को संजोने का कार्य विश्वविद्यालय में स्थापित एडेन लैंग्वेज सेल द्वारा किया जा रहा है। अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान जैसे एक ऐतिहासिक आंदोलन की का नेतृत्व करने वाले जननायक बिरसा मुंडा जी ने अथक परिश्रम और क्रांतिकारी विचारों से आदिवासी समाज के उत्थान व उनके सशक्तिकरण के लिए मगीरथ प्रयास भी किये।

अंग्रेजी हुकूमत को अपनी जीवटता से ललकारने वाले वीर लढाके बिरसा मुढा ने क्रांति का बिगुल फूंकते हुए स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाने संदेश दिया था कि महारानी की सत्ता का अंत होना चाहिए और हमारा स्वराज आना चाहिए। उनके इस संदेश से न सिर्फ सभी जनजातीय युवा बल्कि समाज के हर तबके ने अंग्रेजी सल्तनत को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था।

15 नवंबर, 1875 में झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातू गांव में किसान के परिवार में जन्म राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक बिरसा मुंडा जी ने नैतिक आत्म-सुधार, आचरण की शुद्धता और एकेश्वरवाद का उपदेश देने के साथ अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया। अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ संघर्ष करते हुए 09 जून, 1900 को महज 25 वर्ष की आयु में राष्ट्र को सर्वस्य समर्पित कर रांची जेल में चल बसे।

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