कोल सिकरेट्री ने छाल कोल साईडिंग का किया उद्घाटन, कोयला ले जाने के अब दो विकल्प से कोयला कारोबारियों को बड़ी राहत
रायगढ़। सालाना 35 लाख टन व प्रतिदिन 10 हजार टन कोयले का उत्पादन करने वाली छाल कोल माइंस में अब रेल व सड़क दोनों मार्ग से कोयले का परिवहन हो सकेगा। आज छाल कोल साइडिंग की शुरूआत हो गई। कोयला सचिव एएल मीणा ने आज इस नई साइडिंग का उद्घाटन किया।
इस दौरान कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा, जिला पंचायत सीईओ अविनाश मिश्रा व एसईसीएल के अधिकारियों व दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के भी आलाधिकारी उपस्थित रहे।
कोल व्यापारी व जिले के लिए बड़ी उपलब्धि
अफसरों का दावा है, कोयला कारोबारियों और जिले के लिए छाल साईडिंग का शुरू होना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह साईडिंग विकास की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगी।
छाल कोल माइंस के उत्पादन की सालाना 35 लाख टन क्षमता है। वर्तमान में इस माइंस से 10 हजार टन कोयला भेजा जाता है।
अब सड़क व रेल दो विकल्प
अभी तक छाल कोल माइंस से सड़क मार्ग से ही कोयला भेजा जा रहा था। ऐसे में क्षेत्र की सड़कों का हाल बेहाल था। अब तकरीबन 5 हजार टन कोयला रेल मार्ग से रवाना किया जाएगा। ऐसे में सड़कों को और इस सड़क में चलने वाले वाहनों को भी गुजरने में आसानी होगी।
कम होगा ट्रैफिक का दबाव
रेल मार्ग से कोयले की आपूर्ति होने की स्थिति में सड़कों से ट्रैफिक का दबाव कम हो सकेगा। ऐसे में सड़कों की दुर्गति से बेहाल इस क्षेत्र के लोग कुछ हद तक राहत पा सकेंगे।
8 साल बाद किया जा रहा है सड़कों का निर्माण
8 साल बाद जिले में इस बड़े पैमाने पर सड़कों का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिसका लाभ जिले व राज्य समेत सीमा से लगे हुए राज्यों को मिलना तय है।
हटा टोल टैक्स, बंद हुआ सड़क निर्माण
8 साल पूर्व कोल परिवहन करने वाले वाहनों के लिए लगाया जाने वाला टोल टैक्स स्थानीय दबाव के चलते बंद कर दिया गया। ऐसे में सड़कों का निर्माण व मरम्मत कार्य भी बजट उपलब्ध न होने के कारण बंद हो गया। जिसका परिणाम जिला, राज्य व सीमा से लगे अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों को बर्दाश्त करना पड़ा। अब हालात भी सुधरने की संभावना दिख रही है और सड़कें भी रेलवे साईडिंग हो जाने के बाद लंबे समय तक सुरक्षित रह पाएंगी। ऐसा नजर आ रहा है।